फ़ेसबुक कंपनी पर बार बार आरोप लग रहे हैं कि वह इस प्लेटफ़ार्म को ख़तरनाक लक्ष्यों के लिए प्रयोग होने दे रही है।
हाल ही में फ़ेसबुक की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने अमरीका में कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए थे वहीं अब भारत में कांग्रेस नेता रोहन गुप्ता ने शुक्रवार को सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि फ़ेसबुक भारत में नफ़रत फैलाने के लिए बीजेपी का हथियार बन चुकी है।
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उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से रिपोर्ट आ रही हैं कि फ़ेसबुक पर जो कुछ सामग्री आ रही है, चाहे वो फ़ेक न्यूज़ या नफ़रत फैलाने वाली सामग्री हो, उसे नियंत्रित नहीं किया जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया हेड रोहन गुप्ता ने फ़ेसबुक की महत्वपूर्ण रिपोर्टों का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब नफ़रत भरी सामग्री की पहचान करने के लिए जारी बजट में ही कटौती कर दी गयी तो फ़ेसबुक ऐसी सामग्री को कैसे रोकेगी।
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गुप्ता बताते हैं कि हम लोग रिपोर्ट कर रहे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. क्योंकि फ़ेसबुक ने उत्तर भारत में जहां सबसे ज़्यादा हिंदी भाषी लोग रहते हैं, वहां उन्होंने सिर्फ़ 9 फ़ीसदी बजट इस्तेमाल किया. ऐसे में आप हेट स्पीच को कैसे पकड़ेंगे. ऐसे में दो साल में जिस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं, उसके आधार पर ये कहा जा सकता है कि फ़ेसबुक ने ख़ुद को भाजपा के लिए हथियार के रूप में प्रयोग होने दिया है।
साल 2018 से लेकर 2020 के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फ़ेसबुक के भारत में संचालन को लेकर तीन आंतरिक रिपोर्टें आ चुकी हैं। इनमें- ‘ध्रुवीकरण वाली सामग्री’, ‘फ़ेक और अप्रामाणिक’ मैसेज से लेकर अल्पसंख्यक समुदायों को ‘बदनाम’ करने वाले कंटेंट की लगातार बढ़ती संख्या की बात कही गई है।
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अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, निरीक्षण करने वाले कर्मचारियों के इस अलर्ट के बावजूद, साल 2019 में तत्कालीन उपाध्यक्ष क्रिस कॉक्स ने एक आंतरिक समीक्षा बैठक में इन मुद्दों को “अपने प्लेटफ़ॉर्म पर तुलनात्मक रूप से कम विस्तृत” समस्या बताया था।
दस्तावेज़ों के जरिए ये गंभीर बात सामने आई है जिसे फ़ेसबुक की पूर्व कर्मचारी और व्हिसलब्लोअर फ्रांसेस होगेन के वकील ने संयुक्त राज्य प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) और अमेरिकी कांग्रेस के साथ साझा किए हैं।