यूक्रेन में रूसी हमले को तत्काल रोकने और सभी रूसी बलों की वापसी की मांग संबंधी प्रस्ताव पर 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को दोपहर को मतदान किया गया. 141 देशों ने इस वोटिंग के दौरान रूस के खिलाफ मतदान किया, जबकि 5 देशों ने रूस का साथ दिया. इस वोटिंग में 35 देश अनुपस्थित रहे. भारत ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. यूरोप के आर्थिक रूप से समृद्ध देशों से लेकर छोटे प्रशांत द्वीप देश तक कई देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है.
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संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन सत्र में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कुछ समर्थक भी हैं, जिनमें क्यूबा और उत्तर कोरिया शामिल हैं. इसके अलावा सूरीनाम और दक्षिण अफ्रीका जैसे कुछ देशों ने मसौदा प्रस्ताव पर कोई रुख नहीं अपनाया है और संकट के स्थायी समाधान के लिए समझौते एवं कूटनीति का मार्ग अपनाने की अपील की है.
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सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विपरीत, महासभा के प्रस्ताव का पालन करना कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय रुख का पता चलता है. मंगलवार रात तक प्रस्ताव के 94 सह प्रायोजक थे. इनमें अफगानिस्तान और म्यांमा जैसे कई देशों का शामिल होना संयुक्त राष्ट्र के राजनयिकों के लिए हैरानी की बात है.
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