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Wednesday, November 29, 2023

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हेराफेरी कर रहा था जेईई मेन्स एग्जाम के सॉफ्टवेयर में रूसी नागरिक, एयरपोर्ट से सीबीआई ने दबोचा

जेईई मेन्स 2021 परीक्षा के सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ में कथित भूमिका को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक रूसी नागरिक को पकड़ा है। उससे पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने पिछले साल हुई आईआईटी जेईई (मुख्य) परीक्षा में कथित हेरफेर के मामले में अपनी जांच के सिलसिले में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर एक रूसी नागरिक को पकड़ा है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा में कथित छेड़छाड़ के लिए विदेशी नागरिक के खिलाफ ‘लुक आउट सर्कुलर’ जारी किया था जिस पर मुख्य हैकर होने का संदेह है। पकड़े गए आरोपी का नाम मिखाइल शार्गिन बताया जा रहा है। जब उसे हिरासत में लिया गया तब वह कजाकिस्तान से भारत आया था। 

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एक प्रेस बयान में कहा गया है कि जांच के दौरान यह पता चला कि कुछ विदेशी नागरिक जेईई (मेन्स) सहित कई ऑनलाइन परीक्षाओं से हेरफेर करने में शामिल थे। “एक रूसी नागरिक की भूमिका का खुलासा किया गया था जिसने कथित तौर पर iLeon सॉफ्टवेयर (जिस प्लेटफॉर्म पर जेईई (मेन) -2021 परीक्षा आयोजित की गई थी) के साथ छेड़छाड़ की थी और उसने परीक्षा के दौरान संदिग्ध उम्मीदवारों के कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने में अन्य आरोपियों की मदद की थी। “बयान जोड़ा गया।

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अधिकारियों ने बताया कि जब रूसी नागरिक विदेश से हवाईअड्डे पर पहुंचा तो केंद्रीय एजेंसियों ने सीबीआई को सतर्क किया। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने उसे तत्काल रोका और जेईई परीक्षा में छेड़छाड़ के सिलसिले में उससे पूछताछ की जा रही है। सूत्रों ने कहा कि संदिग्ध को हिरासत में लिया जा सकता है। एजेंसी ने पिछले साल सितंबर में ‘एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड’ और उसके तीन निदेशकों- सिद्धार्थ कृष्ण, विश्वंभर मणि त्रिपाठी और गोविंद वार्ष्णेय के खिलाफ मामला दर्ज किया था। कुछ अन्य लोगों पर भी मामला दर्ज किया गया।

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आरोप है कि तीनों निदेशक अन्य सहयोगियों और दलालों के साथ साजिश रचते हुए जेईई (मुख्य) की ऑनलाइन परीक्षा में हेरफेर कर रहे थे और अभ्यर्थियों से भारी रकम लेकर देश के शीर्ष राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में उन्हें प्रवेश दिला रहे थे। आरोपों के अनुसार, हरियाणा के सोनीपत में एक चयनित परीक्षा केंद्र से आवेदकों के प्रश्नपत्रों को प्रौद्योगिकी की मदद से हल कराया जा रहा था।

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