हाल ही में इस तरह की खबरें आईं थीं कि चीन ने दुनियाभर में अपने अवैध पुलिस स्टेशन खोल रखे हैं। इनके जरिए वह विरोधियों को पकड़ने और उनकी आवाजों को कुचलने का काम करता है। लेकिन अब ऐसी खबरें आई हैं कि चीन अपने विरोधियों को दबाने के लिए सारी हदें पार कर रहा है। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि अवैध पुलिस स्टेशनों के बाद चीन अब विदेशों में अवैध अदालतें भी खोल रहा है। ड्रैगन अब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के खिलाफ असंतोष को कुचलने के लिए कई देशों में वाणिज्य दूतावास और विदेशी अदालतें तैनात कर रहा है। यही नहीं, इसके दूतावासों के बाहर प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों को अंदर खींचकर पीटता है। इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म रिपोर्टिका द्वारा साझा की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ऐसा विदेश में रहने वाले चीनियों को प्रभावित करने, किसी दूसरे देश में सीसीपी के खिलाफ असहमति को कुचलने और संबंधित देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल देने के लिए कर रहा है।
इसने 16 अक्टूबर की एक घटना का हवाला दिया जिसमें, हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी को मैनचेस्टर (इंग्लैंड) में चीनी वाणिज्य दूतावास के अंदर खींचकर पीटा गया। यह रिपोर्ट यूके की संसद तक पहुंची और सरकार ने इसे बेहद चिंताजनक बताया। ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। वाणिज्य दूतावास ने अपने बचाव में कहा कि प्रदर्शनकारियों ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अपमानजनक चित्र प्रदर्शित किया था।
रिपोर्टिका की रिपोर्ट के अनुसार, अपराध में शामिल चीनी वाणिज्य दूतावासों की सकारात्मक छवि दिखाने के लिए फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाए गए हैं। इन ट्विटर अकाउंट्स के जरिए चीनी वाणिज्य दूतावासों की भारी एडिटेड तस्वीरें और वीडियो क्लिप शेयर की जा रही हैं। यह पहली घटना नहीं है जब वाणिज्य दूतावास विवादों में घिर गए हैं। इससे पहले, 2021 में, अमेरिका में चीनी दूतावास के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक पोस्ट की गई थी जिसमें उइगर महिलाओं को “बच्चा बनाने वाली मशीन” कहा गया था। हालांकि ट्विटर ने बाद में दूतावास के अकाउंट को लॉक कर दिया था और पोस्ट हटा दी थी।
एक अन्य ट्वीट में नीदरलैंड स्थित चीनी दूतावास ने शोधकर्ताओं और थिंक टैंक को निशाना बनाया था। इस बीच, ऑस्ट्रेलिया में चीनी राजदूत चेंग जिंग्ये ने रेवेन्सवुड स्कूल फॉर गर्ल्स में विवादास्पद कन्फ्यूशियस संस्थान का दौरा किया था। राजदूत के साथ सिडनी में चीनी महावाणिज्य दूतावास के शिक्षा कार्यालय के कांसुल लियू जियानबो भी थे। खोजी पत्रकारिता रिपोर्टिका के अनुसार, चीनी वाणिज्य दूतावास और दूतावास अन्य देशों में कानूनी सेवा स्टेशन या अदालतें स्थापित करने में भी शामिल हैं।
चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत कई देशों में कोर्ट/लीगल सर्विस स्टेशन खोले हैं। चीनी विदेशी संघ और उसके दूतावास और वाणिज्य दूतावास इन केंद्रों की स्थापना करते हैं। यहां तक कि यूके, स्पेन और इटली में भी इन अदालतों की मौजूदगी है। कई स्थानीय मीडिया चैनलों की रिपोर्टों के अनुसार, वे चुनावों में हस्तक्षेप करते हैं, स्थानीय राजनीति को प्रभावित करते हैं, युवाओं को कम्युनिज्म की ओर प्रभावित करते हैं, और चीन के बाहर शी जिनपिंग के खिलाफ विरोध को कंट्रोल करते हैं। अपनी पिछली रिपोर्ट में, इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म रिपोर्टिका ने विस्तार से बताया कि इससे पहले चीनी सरकार ने कनाडा और आयरलैंड जैसे विकसित देशों सहित दुनिया भर में कई अवैध पुलिस स्टेशन खोले थे, जिससे मानवाधिकार प्रचारकों में चिंता पैदा हो गई थी।