31 C
Mumbai
Tuesday, June 6, 2023

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

सर्दी का सितम, अन्न की कमी; भारत भरोसे यूरोप अब रूस को शांत कराने के लिए

यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध को नौ महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। जुलाई में संयुक्त राष्ट्र और तुर्की के दखल से यूक्रेन से राशन की बिक्री के लिए खेप को रवाना किए जाने पर मंजूरी मिली थी। इस पूरी बातचीत में पर्दे के पीछे से भारत ने भी भूमिका अदा की थी और रूस को अनाजों से भरे जहाजों के लिए रास्ता देने को राजी कर लिया था। यही नहीं दो महीने बाद जब रूस ने यूक्रेन के जापोरिझझिया में न्यूक्लियर प्लांट पर बमबारी शुरू की तो पूरी दुनिया में खौफ का आलम था। इस बीच भारत ने फिर से दखल दिया और रूस को पीछे हटने के लिए राजी किया। 

इस बीच एक बार फिर से चर्चाएं शुरू हैं कि क्या भारत के ही दखल से रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित हो सकेगी। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के दौरान भारत ने अहम मौकों पर दखल दिया है और अपनी उपयोगिता साबित की है। इसी सप्ताह विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस के दौरे पर जाने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान वह रूस से यूक्रेन के साथ युद्ध समाप्त करने को लेकर भी बात कर सकते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर के कूटनीतिज्ञों की नजर इस विजिट पर है। भारत सरकार के अधिकारी भी इस बात पर चर्चा करते रहे हैं कि सही वक्त आने पर भारत की ओर से रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थ की भूमिका अदा की जा सकती है।

सर्दियों के दिनों में संकट से झुकेगा यूक्रेन?

अब तक की 9 महीने की जंग में रूस या यूक्रेन में से किसी ने भी पीछे हटने के इरादे जाहिर नहीं किए हैं। यूक्रेन का मानना है कि बीते कुछ महीनों में उसने युद्ध में अपनी स्थिति मजबूत की है। वहीं रूस का साफ मानना है कि वह पीछे नहीं हटेगा। हालांकि इस बीच सर्दियों के दिन आ गए हैं। यूक्रेन समेत पूरे यूरोप में सर्दियों में ऊर्जा की सप्लाई एक बड़ा संकट बन सकती है। ऐसे में यूक्रेन की ओर से युद्ध रोकने पर सहमति जताई जा सकती है। ऐसे हालात में भारत की ओर से यदि रूस को राजी कर लिया गया तो दुनिया में एक बड़ी जंग थम सकती है।

क्यों रूस और यूक्रेन के लिए भरोसेमंद होगा भारत

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि युद्ध के मोर्चे से दोनों देश पीछे नहीं हटते हैं तो कम से कम संघर्ष विराम पर तो राजी हो ही सकते हैं। इस साल की शुरुआत में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम नरेंद्र मोदी से इस बारे में बात भी की थी। हालांकि भारत और फ्रांस के प्रयास धरातल पर नहीं उतर पाए हैं। लेकिन इससे यह जरूर पता चला है कि दोनों देशों के बीच भारत एक पहल करने की स्थिति में है। एशियन स्टडीज सेंटर के डायरेक्टर जेफ एम. स्मिथ ने कहा कि यदि रूस और यूक्रेन बातचीत के लिए किसी तीसरे पक्ष पर सहमति जताते हैं तो भारत की भूमिका अहम हो सकती है। उस पर दोनों देश भरोसा करने की स्थिति में होंगे।

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here