दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने इस साल सोने की रिकॉर्ड खरीदारी की है। लेकिन यह ब्योरा सामने नहीं है कि इस सोने में से सबसे बड़ी मात्रा किसने खरीदी। विशेषज्ञों का कयास ही शायद चीन ने ये खरीदारी की है। चीन के सेंट्रल बैंक- पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अपने भंडार में मौजूद सोने के बारे में आखिरी बार जानकारी सितंबर 2019 में थी। इसलिए चीन की खरीदारियों की ताजा ठोस जानकारी सामने नहीं है।
विश्लेषकों के मुताबिक इस वर्ष फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले और रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगाने के बाद बहुत से देशों ने अमेरिकी मुद्रा डॉलर पर अपनी निर्भरता घटाने के लिए सोने की खरीदारी बढ़ा दी। इसका प्रमुख कारण अमेरिका अपने यहां जमा रूस के 300 बिलियन डॉलर को जब्त करने लेने का फैसला था। इससे कई देशों में यह डर पैदा हुआ कि कभी अमेरिका ऐसा कदम उनके खिलाफ भी उठा सकता है।
स्वर्ण बाजार की संस्था वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक इस वर्ष जुलाई से सितंबर तक सेंट्रल बैंकों ने 399.3 टन का सोना खरीदा। इसके पहले वाली तिमाही यानी अप्रैल से मई के बीच इन बैंकों ने 186 टन सोना खरीदा था। जनवरी से मार्च के बीच 87.7 टन सोना खरीदा गया था। 1967 के बाद सेंट्रल बैंकों ने सोने की इतनी बड़ी मात्रा में कभी खरीदारी नहीं की।
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक तुर्किये, उज्बेकिस्तान, और भारत ने क्रमशः 31.2 टन, 26.1 टन, और 17.5 टन सोना खरीदा है। यह कुल मात्रा 90 टन बैठती है। तो सवाल यह पूछा जा रहा है कि बाकी 300 टन सोना किस देश के सेंट्रल बैंक ने खरीदा? स्वर्ण और वित्तीय विश्लेषक कोइचिरो कमेई ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘कुछ अज्ञात खरीद हमेशा होती है। लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में ऐसा होने के बारे में पहले कभी नहीं सुना गया।’ जापान में रहने वाले तुर्किये के अर्थशास्त्री अमीन युरुमाजू ने कहा- ‘यह देखने के बाद कि रूस की विदेश में स्थित संपत्तियां जब्त कर ली गईं, पश्चिम विरोधी देश अपने भंडार में सोना जमा कर रहे हैँ।’ मार्केट एनालिस्ट इत्सुओ तोशिमा ने कहा- ‘संभवतः चीन ने रूस से बड़ी मात्रा में सोना खरीदा है।’
चीन ने ऐसी खरीदारी पहले भी कर चुका है। 2009 से चुप्पी साधे रखने के बाद 2015 में उसने यह बता कर दुनिया तो चौंका दिया कि उसके भंडार में 600 टन सोना है। तोशिमा ने कहा कि रूस के भंडार में 2000 टन सोना रहा है। संभवतः इसका कुछ हिस्सा चीन ने खरीद लिया है।
वैसे दुनिया के सेंट्रल बैंकों के सोना खरीदने का दौर 2008 में आई मंदी के बाद से चल रहा है। तब मंदी के कारण अमेरिकी बॉन्ड्स और अन्य डॉलर संपत्तियों में विभिन्न देशों का भरोसा घट गया था। हाल में चीन अमेरिकी बॉन्ड्स में किए गए अपने निवेश को तेजी से घटा रहा है। फरवरी से सिंतबर तक वह 121.2 बिलियन डॉलर के अमेरिकी बॉन्ड बेच चुका है। उधर जुलाई में उसने रूस से सोने की खरीदारी बढ़ा दी।