चीन के कई हिस्सों में कोविड-19 लॉकडाउन के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है। पश्चिमी मीडिया की कुछ टिप्पणियों में इसे 1989 में बीजिंग के तियेनामन चौराहे पर हुए छात्र जमावड़े के बाद की सबसे बड़ी चुनौती बताया गया है। इस बार प्रदर्शनों की खबर कई शहरों से मिली है। यहां तक कि राजधानी बीजिंग और शंघाई जैसे बड़े शहरों में भी लोग सड़कों पर उतरे हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक चीन सरकार की जीरो कोविड नीति के कारण बार-बार लॉकडाउन लागू होने से जिन लोगों को कारोबार में नुकसान हुआ है, वे अब इस नीति को खत्म करने की मांग कर रहे हैँ। उधर बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी छात्र भी घर से पढ़ाई करने या हॉस्टलों में बंद रह कर जिंदगी गुजराने की मजबूरी से ऊब गए हैँ। समझा जाता है कि इन लोगों का सब्र शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमची में हुए अग्निकांड के बाद जवाब दे गया।
उरुमची में एक रिहाइशी बहुमंजिली इमारत में आग लग गई। इमारत के बाहर कारों की कतार लगी थी। इसलिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियां वहां समय पर नहीं पहुंच सकीं। इस घटना में दस लोगों कि मौत हो गई। कुछ पश्चिमी मीडिया रिपोर्टो में दावा किया है कि लॉकडाउन की नीति के तहत इमारत में बाहर से ताला लगाकर उसे बंद कर दिया गया था। इसलिए आग लगने पर लोग अपने घरों से भाग नहीं सके।
इस घटना के बाद सबसे विरोध प्रदर्शन की खबर उरुमची से ही आई। वहां लोगों ने लॉकडाउन खत्म करने के पक्ष में नारे लगाए। बीजिंग में दर्जनों लोग हादसे में मरे व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हाथ में मोमबत्तियां लेकर निकले। उन्होंने भी जीरो कोविड नीति के प्रति विरोध जताया। सोशल मीडिया पर देश भर से ऐसे पोस्ट डाले गए हैं, जिनमें तीन साल से कोविड नियंत्रण की जारी नीतियों को लेकर असंतोष जताया गया है।