प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) द्वारा संघर्ष विराम को खत्म करने के बाद पाकिस्तान सरकार चिंता में है। शहबाज सरकार टीटीपी के संबंध में अपनी नीति की समीक्षा कर रही है। आधिकारिक सूत्रों ने इसका खुलासा किया है। गुरुवार को उन्होंने कहा कि सरकार का मनना है कि अब देश भर में शरीयत का शासन स्थापित करने के लिए लड़ रहे संगठन के लिए अपनी नीतियों पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।
सूत्रों ने कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में टीटीपी की घोषणा और आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी के बाद पाकिस्तान की रणनीति की समीक्षा होगी। संभावित नई रणनीति पर और राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक बुलाई जा सकती है। दावा किया जा रहा है कि विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने अपनी हालिया काबुल की एक दिवसीय यात्रा में अफगान तालिबान के साथ टीटीपी के मुद्दे पर भी चर्चा की। संभव है कि सरकार टीटीपी से सीधी बातचीत करने की रणनीति पर फिर से विचार कर सकती है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार यह कदम तब उठाने जा रही है कि जब जून में सरकार के साथ हुए अनिश्चितकालीन संघर्ष विराम को टीटीपी ने वापस ले लिया था और अपने लड़ाकों को देश भर में हमले करने का आदेश दिया था। आतंकवादी समूह ने एक बयान में कहा था कि विभिन्न क्षेत्रों में मुजाहिदीन (आतंकवादियों) के खिलाफ सैन्य अभियान चल रहे हैं। इसलिए पूरे देश में हमले कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि जून में टीटीपी और सरकार के बीच वार्ता की मध्यस्थता अफगान तालिबान शासन द्वारा की गई थी। वहीं, पाकिस्तान सरकार अब सेना की कमान बदलने और टीटीपी के पुनरुत्थान के बाद उग्रवाद से निपटने के सभी विकल्पों पर चर्चा करेगी।
वहीं, पर्यवेक्षकों का कहना है कि नए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर टीटीपी और अफगानिस्तान की बारिकियों को समझते हैं। आईएसआई के डीजी के रूप में जनरल असीम ने अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच सीधी बातचीत को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से शुरुआती प्रयासों की अगुवाई की थी। एक सरकारी अधिकारी ने यह भी कहा कि अफगान तालिबान शासन के साथ पाकिस्तान का सब्र कमजोर होता जा रहा है क्योंकि टीटीपी सीमा पार से खतरा बना हुआ है