नेपाल को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF Grey List) की ग्रे लिस्ट में डाले जाने का अंदेशा गहरा गया है। ताजा आकलन के मुताबिक नेपाल मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को धन दिए जाने संबंधी गतिविधियों को रोकने में अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सका है। एफएटीएफ की तर्ज पर काम करने वाले संगठन एशिया पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग (एपीजी) की एक टीम ने हाल में नेपाल का दौरा किया। टीम ने यह आकलन किया कि क्या नेपाल एफएटीएफ की कसौटियों पर खरा उतर रहा है।
एपीजी के अधिकारियों ने यहां बताया कि वे 16 दिसंबर तक ऩेपाल में हुई प्रगति को अपनी रिपोर्ट में शामिल करेंगे। अनौपचारिक रूप से उनके आकलन के बारे में मिली जानकारी से नेपाल में चिंता बढ़ी है। बताया जाता है कि एपीजी के अधिकारी इस निष्कर्ष पर हैं कि मौजूदा स्थिति के आधार पर एफएटीएफ ने अगर नेपाल को अपनी काली सूची में नहीं डाला, तो कम से कम ग्रे लिस्ट में जरूर डाल देगा।
एफएटीएफ अपनी काली सूची में उन देशों को डालता है, जिन्हें वह अति जोखिम वाला देश समझता है। फिलहाल इस सूची में उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार शामिल हैं। ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है कि जिनके बारे में माना जाता है कि वहां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों की फंडिंग रोकने के पर्याप्त उपाय लागू नहीं हैं। इस सूची में डाले गए गए देशों को एक समयसीमा दी जाती है, जिसके अंदर उन्हें इन उपायों को दुरुस्त करने को कहा जाता है। अगर संबंधित देश उस समयसीमा के भीतर ऐसा नहीं कर पाया, तो फिर उसे काली सूची में डाल दिया जाता है। ब्लैक लिस्ट में डाले गए देशों पर कई तरह के प्रतिबंध लग जाते हैं।
साल 2008 से 2014 की अवधि में भी नेपाल को ग्रे लिस्ट में रखा गया था। उस दौरान नेपाल ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के कुछ ठोस उपाय किए। उनमें 2008 में पारित एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट भी शामिल था। उस दौर में नेपाल में उठाए गए कदमों से संतुष्ट होने के बाद 2014 में एफएटीएफ ने नेपाल को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया। लेकिन अब फिर से उसे वहां डाले जाने का खतरा पैदा हो गया है।
नेपाल के सेंट्रल बैंक- नेपाल राष्ट्र बैंक के एक अधिकारी ने अखबार काठमांडू पोस्ट से कहा- ‘नेपाल को ग्रे लिस्ट में डाले जाने का वास्तविक खतरा है। एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट को लागू करने और आतंकवादियों की फंडिंग रोकने में हमारे देश में सामने आई कमजोरियों के कारण यह खतरा पैदा हुआ है।’
प्रधानमंत्री कार्यालय में सचिव धन राज गयावली ने बताया है कि नेपाल में ऐसे 15 कानूनों की पहचान की गई है, जिन्हें एफएटीएफ की कसौटियों के अनुरूप बनाने के लिए संशोधन की जरूरत है। उन्होंने बताया- ‘हमने इन कानूनों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन यह काम पूरा होने के पहले ही पिछली प्रतिनिधि सभा का कार्यकाल खत्म हो गया।’
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पूर्व शेर बहादुर देउबा सरकार ने एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून में जरूरी संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने का फैसला किया था। लेकिन राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उसे मंजूरी नहीं दी। अधिकारियों का कहना है कि अगर अगर 16 दिसंबर के पहले राष्ट्रपति उस अध्यादेश पर दस्तखत कर देतीं, तो नेपाल के ग्रे लिस्ट में जाने का खतरा टल गया होता।