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Friday, September 22, 2023

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हड़तालों का नया दौर ब्रिटेन में, अर्थव्यवस्था का संकट बढ़ता जा रहा है

ब्रिटेन में श्रमिकों का असंतोष नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। बुधवार को वहां जिस बड़े पैमाने पर हड़ताल हुई, वैसा पिछले कई दशकों में नहीं हुआ था। इस हड़ताल के कारण देश भर में स्कूल और विश्वविद्यालय बंद रहे और रेलगाड़ियां नहीं चलीं। सरकारी दफ्तरों में भी कामकाज प्रभावित हुआ। ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि ब्रिटेन में आम जीवन पूरी तरह ठप हो गया। लाखों कर्मचारियों ने सड़कों पर उतर कर अपना विरोध जताया।

कर्मचारी बढ़ी महंगाई को देखते हुए अधिक वेतन की मांग कर रहे हैं। लंदन में प्रदर्शन का आयोजन ट्रेड्स यूनियन कांग्रेस ने किया, जिसमें 48 यूनियनें शामिल हैं। ये लोग ऋषि सुनक सरकार की तरफ से पेश उस बिल का विरोध कर रहे हैं, जिसके तहत हड़ताल करने के अधिकार को संकुचित करने का प्रावधान किया जाने वाला है। इसमें प्रावधान है कि हड़ताल के दौरान भी फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और रेल सेवाएं जारी रखना श्रमिकों की जिम्मेदारी होगी।

यूनियनों ने वेतन वृद्धि के सरकार के प्रस्ताव को पिछले दिनों ठुकरा दिया था। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष से चार से पांच फीसदी वेतन वृद्धि करने का प्रस्ताव रखा था। यूनियनों का कहना है कि देश में महंगाई की दर लगातार 10 फीसदी के ऊपर बनी हुई है। इसलिए उनके वेतन में कम से कम दस फीसदी की बढ़ोतरी होनी चाहिए।

खबरों के मुताबिक बुधवार को हड़ताल का इंग्लैंड और वेल्स में स्थित लगभग साढ़े 23 हजार स्कूलों पर पड़ा। कई स्कूल तो पूरी तरह बंद रहे। यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज यूनियन की अपील पर 70 हजार कर्मी हड़ताल पर गए। ये कर्मचारी 18 दिन तक हड़ताल पर रहेंगे। इसका असर 25 लाख छात्रों की पढ़ाई पर पड़ेगा। उधर सार्वजनिक और व्यापारिक सेवा यूनियन के सदस्य एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने भी बुधवार को हड़ताल की। उनकी मांगों में वेतन वृद्धि के अलावा पेंशन नौकरी की सुरक्षा भी शामिल है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हड़ताल के कारण देश में लगभग 30 फीसदी ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं।

विश्लेषकों के मुताबिक हड़तालों के कारण पहले से ही संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था और अधिक मुश्किल में पड़ती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने विश्व की अर्थव्यवस्था के बारे में जो पूर्वानुमान जारी किया है, उसके मुताबिक ब्रिटेन उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में हैं, जो इस वर्ष मंदी का शिकार होने जा रही हैं। आईएमएफ ने कहा है कि ब्रिटेन में ऊर्जा की महंगाई जारी रहने, उत्पादन घटने और मकान का भाव बढ़ने का अनुमान है। आईएमएफ के रिसर्च डायरेक्टर पियरे ओलिवर गोरिन्चा के मुताबिक ब्रिटेन में इस साल महंगाई दर आठ प्रतिशत के ऊपर रहेगी। जबकि विश्व में इसका औसत 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है।

आईएमएफ की यह रिपोर्ट आने के बाद से ब्रिटेन में बेचैनी और बढ़ गई है। टीचर्स यूनियन के नेता नियाम्ह स्वीनी ने अमेरिटी टीवी चैनल सीएनएन से कहा- ‘शिक्षकों के लिए औसतन पांच प्रतिशत की वेतन वृद्धि नाकाफी है।’ उन्होंने कहा कि वास्तविक वेतन में गिरावट के कारण शिक्षक नौकरी छोड़ रहे हैं, जबकि नए शिक्षकों की भर्ती मुश्किल हो गई है।

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