राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा आर्थिक संकट से उबरने के लिए कर्ज के बोझ से दबे श्रीलंका के पास अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बेलआउट पैकेज मांगना ही एकमात्र विकल्प है।
उन्होंने कहा, जब कोई देश दिवालिया हो जाता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में जाना पड़ता है। इसके अलावा दुनिया में कोई अन्य संगठन नहीं है जो किसी देश के दिवालिया होने पर सहायता प्रदान करता है। कैंडी शहर में एक सभा को संबोधित करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि आर्थिक तबाही का सामना करने वाला प्रत्येक देश आईएमएफ के साथ बातचीत में शामिल होने के बाद ठीक हुआ। इसके लिए उन्होंने ग्रीस का उदाहरण दिया, जिसे ध्वस्त अर्थव्यवस्था से उबरने में 13 साल लग गए थे।
अपने कड़े आर्थिक सुधारों के विरोध के बीच विक्रमसिंघे ने कहा, “मुझे 13 साल तक राष्ट्रपति बने रहने की कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस तबाह अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण का केवल एक ही तरीका है। वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष है। अलग-अलग राजनीतिक दल अलग-अलग कहानियां पेश कर रहे हैं। मैंने उन्हें सुझाव दिया कि वे मुझे बताएं कि क्या तबाह अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का कोई और तरीका है।”
उन्होंने कहा, आईएमएफ संकेत देता है कि हमारा कर राजस्व (टैक्स रेवेन्यू) जीडीपी का 15 फीसदी होना चाहिए जैसा कि 2019 में था। अब यह घटकर 09 फीसदी रह गया है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ ने पूरा करने के लिए 15 टास्क श्रीलंका को सौंपे हैं।
उन्होंने आगे कहा, आईएमएफ ने इसे लागू करने के लिए हमें 31 दिसंबर तक का समय दिया था। लेकिन हम उस दिन ऐसा नहीं कर सके। फिर हमने 31 जनवरी तक का समय लेने की योजना बनाई। उस समय भी हम उन 15 बिन्दुओं को पूरा नहीं कर पाए थे। अंत में, समय सीमा को 15 फरवरी तक बढ़ा दिया गया … हमें सौंपे गए सभी 15 टास्क पूरे हो चुके हैं। अब यह आईएमएफ पर निर्भर करता है।
विक्रमसिंघे ने इस बात को भी स्वीकार किया कि श्रीलंका के कर्ज के पुनर्गठन में चीन की इच्छा में देरी से समस्याएं पैदा हुई हैं। उन्होंने कहा, इस पर आगे चर्चा की जा रही है। आईएमएफ ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी को एक मंच पर आना चाहिए और चर्चा करनी चाहिए। हालांकि, चीन एक विश्व शक्ति है, इसलिए उनकी प्रक्रिया अलग है।
उन्होंने कहा कि वह इस हफ्ते जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की बैठक में 23 फरवरी को बेंगलुरु में चीन के वित्त मंत्री से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा, वहां मैं चीन के वित्त मंत्री के साथ श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन पद्धति पर चर्चा करने की उम्मीद करता हूं। विक्रमसिंघे ने कहा कि अगर आईएमएफ सहायता प्रदान नहीं करता है, तो द्वीप राष्ट्र को ईंधन की अनुपलब्धता और 12 घंटे की बिजली कटौती की अपनी पिछले साल की स्थिति में लौटना होगा।