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Tuesday, September 26, 2023

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संकट ही संकट पाकिस्तान में, अब पैदा हुई नई चिंताएं संवैधानिक टकराव से

पाकिस्तान में राष्ट्रपति और निर्वाचन आयोग में बढ़े टकराव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप किया है। इससे पंजाब और खैबर पख्तूनवा प्रांतों की असेंबलियों का चुनाव टलवाने की शहबाज शरीफ सरकार की मंशा पर पानी फिर सकता है।

आरोप है कि निर्वाचन आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है। इससे नाराज राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस हफ्ते अपनी तरफ से चुनाव कार्यक्रम का एलान कर दिया। उन्होंने दावा किया कि कानून के तहत उन्हें ऐसा करने का हक है। जबकि निर्वाचन आयोग ने चुनाव कानून की राष्ट्रपति की व्याख्या को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

इसको लेकर जारी गतिरोध का सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने अपनी पहल पर संज्ञान लिया है। बुधवार को उन्होंने इस बारे में निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया। साथ ही उन्होंने इस मामले पर सुनवाई के लिए नौ जजों की एक बेंच का गठन किया है। इसके पहले पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक डिवीजन बेंच ने निर्वाचन आयोग के रुख पर सुनवाई की थी। उसने यह कहते हुए मामले को चीफ जस्टिस को भेज दिया था कि इस मसले से संविधान के उल्लंघन का गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक इस विवाद से पाकिस्तान में पहले से ही गहरा रहा सियासी संकट और पेचीदा हो गया है। राजनीतिक मोर्चे पर सत्ता पक्ष और विपक्षी दल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के बीच टकराव जारी है। पिछले साल अप्रैल में अपने नेता इमरान खान की सरकार गिरने के बाद से पीटीआई नए आम चुनाव की मांग के पक्ष में आंदोलन चला रही है। इसी मांग पर जोर डालने के लिए पीटीआई ने अपने शासन वाले दोनों प्रांतों की असेंबलियों को भंग करवा लिया था। पाकिस्तान के कानून के मुताबिक किसी सदन के भंग होने के बाद 90 दिन में उसका नया चुनाव होना जरूरी है। लेकिन निर्वाचन आयोग इस नियम का पालन करने में टाल-मटोल कर रहा है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव की तारीख का एलान करने का अधिकार राष्ट्रपति को है या निर्वाचन आयोग को, इस बारे में वह फैसला देगा। चीफ जस्टिस ने आयोग को भेजे नोटिस में कहा है कि पंजाब और खैबर पख्तूनवा में संविधान के प्रावधानों के अनुरूप चुनाव कराना सरकार की जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट ने ध्यान दिलाया है कि असेंबलियां 14 और 18 जनवरी को भंग हुई थीं। इन तारीखों से 90 के अंदर उनका चुनाव कराना अनिवार्य है।

इस बीच पीटीआई ने बुधवार से अपना ‘जेल भरो आंदोलन’ शुरू कर दिया। यह आंदोलन पीटीआई नेताओं के कथित उत्पीड़न के विरोध में आयोजित किया गया है। बुधवार को लाहौर में पार्टी के कई नेताओं ने अपनी गिरफ्तारी दी। यह आंदोलन शुरू करने का एलान इमरान खान ने पिछले दिनों किया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी कार्यकर्ता इतनी बड़ी संख्या में गिरफ्तारी देंगे कि अधिकारियों के पास जेलों को लोगों को रखने की जगह नहीं बचेगी।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक जिस समय देश का आर्थिक संकट रोज अधिक गहरा होता जा रहा है, उस समय सियासी और संवैधानिक टकराव खड़ा होना बेहत चिंता की बात है। इससे लोगों को राहत मिलने की उम्मीद और दूर हो रही है।

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