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Wednesday, March 29, 2023

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तीन बौद्ध भिक्षुओं समेत 29 लोगों को सैन्य शासकों ने उतारा मौत के घाट, विद्रोही समूहों का दावा

फरवरी 2021 में आंग सान सू की सरकार का तख्तापलट के बाद से म्यांमार में सेना का शासन है। तबसे लोकतंत्र समर्थक विद्रोही समूहों और सत्ता पर काबिज सेना के बीच हिंसक झड़पें होती आ रही हैं। इस बीच, देश के दक्षिणी शान राज्य में 29 लोगों के मारे जाने की खबर है। इनमें तीन बौद्ध भिक्षु बताए जा रहे हैं। विद्रोही समूह और सेना एक दूसरे पर नरसंहार का आरोप लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस घटना की एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। इसमें देखा जा सकता है कि दीवार पर भी भारी गोलीबारी के निशान हैं। साथ ही बौद्ध भिक्षुओं और अन्य लोगों की खून से लथपथ लाशें दिखाई दे रही हैं। 

स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में सागिंग क्षेत्र के मिइनमू टाउनशिप में जुंटा सैनिकों द्वारा 17 ग्रामीणों की कथित तौर पर हत्या किए जाने के कुछ सप्ताह बाद यह ताजा घटना शनिवार को नान्नींत गांव में हुई। सैन्य शासन विरोधी करेनी नेशनलिटीज डिफेंस फोर्स (केएनडीएफ) द्वारा प्रकाशित और म्यांमार नाउ द्वारा स्वतंत्र रूप से सत्यापित तस्वीरों में स्पष्ट रूप से मृतकों के सिर और उनके शरीर के अन्य हिस्सों में गोली लगने के घाव दिखाई दे रहे हैं।

खबरों के मुताबिक केएनडीएफ के प्रवक्ता ने बताया कि कुल 22 शव बरामद किए गए हैं, जबकि सात अन्य अभी भी साइट पर ही हैं। प्रवक्ता ने सुरक्षा कारणों से नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, मठ के पीछे सात और शव हैं जिन्हें हम अभी तक एकत्र नहीं कर पाए हैं। सैन्य नेता मिन आंग हलांग के सत्ता कब्जाने के बाद से म्यांमार राजनीतिक हिंसा में फंस गया है, जिसने 55 मिलियन लोगों के इस दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र को एक कार्यशील लोकतंत्र बनने की किसी भी उम्मीद को पलट दिया।

तख्तापलट के बाद लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ क्रूर सैन्य कार्रवाई की गई, जिसमें कई नागरिकों को सड़क पर गोली मार दी गई, रात में छापेमारी कर लोगों का अपहरण कर लिया गया और हिरासत में कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया। इस बीच, म्यांमार के जुंटा प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने इस नरसंहार के लिए सेना के जिम्मेदार होने के आरोपों को खारिज कर दिया। सरकारी अखबार ‘ग्लोबल लाइट ऑफ म्यांमार’ द्वारा मंगलवार को प्रकाशित टिप्पणियों में उन्होंने मठ में हिंसा के लिए ‘आतंकवादी समूहों’ को जिम्मेदार ठहराया और करेन नेशनल पुलिस फोर्स (केएनपीएफ), पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) और करेनी नेशनल प्रोग्रेसिव पार्टी (केएनपीपी) का नाम लिया।

एडवोकेसी ग्रुप असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स (एएपीपी) के अनुसार, तख्तापलट के बाद से म्यांमार में जुंटा सैनिकों द्वारा कम से कम 2,900 लोग मारे गए हैं और 17,500 से अधिक गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश अभी भी हिरासत में हैं। प्रतिरोध समूहों ने बार-बार म्यांमार की सेना पर उन क्षेत्रों में नागरिकों के खिलाफ सामूहिक हत्याओं, हवाई हमलों और युद्ध अपराधों को अंजाम देने का आरोप लगाया है, जहां लड़ाई जारी है, सबूतों के बावजूद जुंटा बार-बार इनकार करता है।

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