श्रीलंका ने पिछले साल बहुत बड़ा आर्थिक संकट झेला, जिस कारण देश में चल रही विकास परियोजनाओं समेत अन्य विकास कार्यों पर रोक लग गई थी। वहीं आर्थिक संकट पर सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर नंदलाल वीरसिंघे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट का कारण मौद्रिक नीति के निर्धारण में शीर्ष बैंक की स्वतंत्रता की कमी को बताया है।
वीरसिंघे ने गुरुवार को वित्तीय अधिकारियों या सरकार से किसी भी अनुचित प्रभाव के बिना केंद्रीय बैंक को स्वायत्तता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रस्तावित विधेयक के बारे में बात करते हुए यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि 2020, 2021 और 2022 में नीति ब्याज और विनिमय दरें सेंट्रल बैंक के बिना तय की गई थीं।
बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण श्रीलंका 2022 में अभूतपूर्व वित्तीय संकट से जूझ रहा था। यह 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से सबसे खराब संकट का दौर था। इससे देश में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई, जिसके परिणामस्वरूप सर्वशक्तिमान राजपक्षे परिवार को सत्ता से बाहर कर दिया गया था।
वीरसिंघे ने कहा कि जिस तरह से विनिमय दर तय की गई थी, उससे हमारे विदेशी मुद्रा भंडार को काफी नुकसान हुआ। आगे कहा कि केंद्रीय बैंक को नीतिगत ब्याज दरों और विनिमय दरों को निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करने देना महत्वपूर्ण है।