पाकिस्तान चुनाव आयोग ने बुधवार को पंजाब प्रांत में होने वाले चुनाव स्थगित कर दिए। इसके पीछे आयोग ने देश में कानून-व्यस्था की खराब स्थिति का हवाला दिया। अब आठ अक्तूबर को मतदान की नई तारीख का एलान किया जाएगा। इससे पहले चुनाव आयोग ने 30 अप्रैल से 8 अक्टूबर के बीच मतदान कराने का फैसला लिया था।
बता दें कि, इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की तत्कालीन सरकारों को 14 और 18 जनवरी को पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में भंग कर दिया गया था। चुनाव आयोग (ईसीपी) ने अपने आदेश में कहा, चुनाव कार्यक्रम को वापस लेने के साथ आठ अक्तूबर को मतदान की तारीख के साथ नए कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।
इमरान खान ने चुनाव तारीख टालने का किया विरोध
पंजाब में चुनाव की तिथि को आगे बढ़ाए जाने को लेकर इमरान खान ने पाकिस्तान चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की है। इमरान खान ने चुनाव को अक्तूबर तक टालने के ईसीपी के कदम की निंदा करते हुए इसे पाकिस्तान के संविधान का उल्लंघन बताया। वहीं ईसीपी ने कहा कि पुलिस और रक्षा मंत्री सहित सुरक्षा एजेंसियों के कई वरिष्ठ स्तर के सदस्यों और संघीय सरकार ने चुनाव में देरी करने की सिफारिश की थी।
उन्होंने ट्वीट किया कि आज सभी को कानूनी समुदाय, न्यायपालिका और वकीलों के साथ इस उम्मीद के साथ खड़ा होना चाहिए कि वे संविधान की रक्षा करेंगे। अगर आज इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो यह पाकिस्तान में कानून के शासन का अंत है। सभी को साथ होकर इसका विरोध करना चाहिए।
खुफियों एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद लिया गया फैसला
ईसीपी ने कहा कि यह निर्णय सरकार, विभिन्न विभागों और खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिलने के बाद लिया गया। जिसमें कहा गया कि देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति इस समय किसी भी प्रांत में चुनाव कराने की अनुमति नहीं देती है। एक मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में विधानसभाओं के भंग होने के 90 दिनों के भीतर चुनाव होने चाहिए, जैसा कि संविधान द्वारा निर्धारित किया गया है।
आयोग ने 30 अप्रैल की थी चुनाव कराने की तारीख तय
राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी को लिखे पत्र में ईसीपी ने पंजाब में चुनाव के लिए 30 अप्रैल की तारीख प्रस्तावित की थी। इस बीच खैबर पख्तूनख्वा के गवर्नर अली ने प्रांत में चुनाव की तारीख 28 मई तय की थी। आंतरिक मंत्री राणा सनाउल्लाह ने बुधवार को कहा कि चुनाव कराने पर अलग-अलग राय थी। संसद को इस संबंध में सरकार और अन्य संस्थानों से मार्गदर्शन की आवश्यकता थी। उधर, इमरान खान 2018 में सत्ता में आए और अप्रैल 2022 में संसद में अविश्वास मत से बेदखल होने वाले एकमात्र पाकिस्तानी प्रधानमंत्री हैं। सत्ता से बेदखल होने के बाद से उन्होंने मध्यावधि चुनावों की घोषणा करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन पर अपनी मुहिम तेज़ कर दी है।