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Thursday, June 1, 2023

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IMF बेलआउट पैकेज मिलने में विपक्ष ने मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश की, श्रीलंका सरकार का बड़ा आरोप

श्रीलंका ने पिछले साल आर्थिक रूप से बेहद बुरा दौर देखा है। महंगाई और अन्य मुद्दो से परेशान जनता ने संसद भवनों पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद श्रीलंका के बड़े नेता देश छोड़ने को मजबूर हो गए थे। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने से श्रीलंका पूरी तरह दिवालिया हो गया था। इसके बाद श्रीलंका को भारत समेत अन्य देशों ने मदद की। वहीं श्रीलंका ने आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की भी मांग थी जो अब मिल गया है। 

अब श्रीलंका सरकार ने गुरुवार को  विपक्ष पर आरोप लगाया कि उसने कोलंबो स्थित राजदूतों के साथ बैठक कर आईएमएफ के महत्वपूर्ण बेलआउट कार्यक्रम को कमजोर करने की कोशिश की और उन्होंने आईएमएफ से कड़ी शर्तें लागू करने के लिए कहा। उनका यह बयान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बेलआउट कार्यक्रम को मंजूरी देने के कुछ दिनों बाद आया है। 

सरकार का कहना है कि इस पैकेज से कर्ज में डूबे देश को अपने आर्थिक संकट से उबारने और अन्य विकास भागीदारों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। संसद में बोलते हुए, मुख्य सरकारी सचेतक और शहरी विकास मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा ने दावा किया कि विदेशी राजनयिकों के साथ एक गुप्त बैठक में विपक्ष ने आईएमएफ से कठोर शर्तों को लागू करने के लिए कहा।

उन्होंने विपक्ष पर श्रीलंका में आईएमएफ सुविधा में देरी करने और कड़ी शर्तें लगवाने की मांग करने का आरोप लगाया। हांलाकि इस पर मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा ने राजनयिकों के साथ बैठक का बचाव करते हुए कहा कि वे स्थानीय परिषद चुनावों को स्थगित करने के लिए सरकार की कार्रवाई के बारे में सूचित करने के लिए मिले थे। उन्होंने शहरी विकास मंत्री प्रसन्ना रणतुंगा के दावे को खारिज कर दिया। विपक्षी सूत्रों ने कहा कि बैठक में अमेरिका और भारत के राजदूत और वरिष्ठ राजनयिक भी मौजूद थे।

श्रीलंका के चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरुआत में 25 अप्रैल को स्थानीय चुनावों की नई तारीख घोषित की थी। 9 मार्च को होने वाले 340 परिषदों के स्थानीय निकाय चुनावों को मौजूदा आर्थिक संकट से जुड़े ढेरों कारणों से स्थगित कर दिया गया था। मौजूदा आर्थिक संकट के कारण पिछले साल मार्च से चार साल के कार्यकाल के लिए 340 स्थानीय परिषदों में नए प्रशासन की नियुक्ति के लिए चुनाव स्थगित कर दिया गया है। श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी एसजेबी ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे वित्त मंत्री के रूप में चुनाव के लिए आवश्यक धन को रोकने के लिए दबाव बना रहे थे क्योंकि उन्हें चुनाव हारने का डर था। 

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