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Thursday, June 1, 2023

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तहव्वुर राणा में नहीं था कोई डर 26/11 हमले के बाद, चौंकाने वाला खुलासा अदालत के दस्तावेज से

अमेरिका की एक अदालत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के गुनहगार पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी गई है। राणा को लेकर कैलिफोर्निया की कोर्ट में एक बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि 2008 के हमले के बाद आरोपी में किसी प्रकार का डर नहीं था। वह आराम में था। इतना ही नहीं वह चाहता था कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान दिया जाए।

भारत ने 10 जून, 2020 को प्रत्यर्पण की दृष्टि से 62 वर्षीय राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था और उसे मंजूरी दी थी।

16 मई को अमेरिकी अदालत ने सुनाया फैसला

यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कैलिफोर्निया की मजिस्ट्रेट जज जैकलीन चूलजियान ने 16 मई को 48 पेज के आदेश में कहा कि न्यायालय ने अनुरोध के समर्थन और विरोध में प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की समीक्षा की है। उन पर एवं सुनवाई में प्रस्तुत तर्कों पर विचार किया है। न्यायाधीश ने कहा कि अदालत का निष्कर्ष है कि राणा उन अपराधों के लिए प्रत्यर्पण योग्य है, जिसमें उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है। आदेश बुधवार को जारी किया गया।

हेडली बना रहा था हमले की योजना 

अदालती सुनवाई के दौरान, अमेरिकी सरकार के वकीलों ने तर्क दिया कि राणा को मालूम था कि उसके बचपन का दोस्त पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा में शामिल है। इसके बावजूद राणा ने हेडली की मदद की। राणा को इस बात की भी जानकारी थी कि हेडली हमले की योजना बना रहा है और इस तरह हेडली की सहायता करके एवं उसकी गतिविधियों के लिए उसे बचाव प्रदान कर उसने आतंकवादी संगठन और इसके सहयोगियों की मदद की।

कोर्ट के दस्तावेज में खुलासा

कोर्ट के दस्तावेजों के अनुसार, 25 दिसंबर, 2008 में एक साजिशकर्ता ने हमले के बाद जब हेडली को एक संदेश भेजकर पूछा था कि राणा कैसा है? क्या वह डर रहा है? तो हेडली ने जवाब दिया था कि राणा एक दम निश्चंत है। वह डरा हुआ नहीं है। संदेश में आगे हेडली ने लिखा था कि तहव्वुर राणा तो ठीक है। वह मुझे शांत करने की कोशिश कर रहा है। यहां तक साल 2009 में 7 सितंबर को एक बातचीत के दौरान राणा ने हेडली से कहा था कि मुंबई हमले में मारे गए लश्कर के नौ आतंकवादियों को निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए। बता दें, निशान-ए-हैदर पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।

इतना ही नहीं, 62 वर्षीय राणा ने हेडली से कहा था कि उसे हमले की योजना बनाने वालों को बताना चाहिए कि उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि राणा को जानकर खुशी हुई थी की हेडली ने पहले ही सभी की प्रशंसा कर दी थी। बता दें, राणा ने सह-साजिशकर्ता की तुलना एक प्रसिद्ध जनरल से की थी।

कोर्ट के दस्तावेजों में बताया गया है कि राणा इतना बेखौफ था कि वह पाकिस्तान में हेडली के कुछ संपर्कों से कभी-कभी सीधे बातचीत करता था। यहां तक कि वह हेडली के सहयोगियों से सीधे संपर्क में था और आवश्यकता पड़ने पर जानकारी देता था।

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