इंग्लैंड के लीसेस्टर शहर में पिछले साल हुए झड़प और मंदिरों में तोड़फोड़ की जांच और समीक्षा के लिए ब्रिटिश सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था। इस टीम में भारतीय मूल के डॉ. समीर शाह को भी नामित किया गया है। डॉ. समीर शाह की पहचान नस्लीय विशेषज्ञ के तौर पर है। हाउसिंग एंड प्लानिंग और वेस्ट मिडलैंड्स के पूर्व मंत्री लॉर्ड इयान ऑस्टिन समीक्षा की अध्यक्षता करेंगे।
बता दें कि डॉ. समीर शाह को हेरिटेज और टेलीविजन के क्षेत्र में सेवाओं के लिए 2019 में दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा सीबीई सम्मान से सम्मानित किया गया था। सरकार ने यह भी बताया कि वह इस हिंसा की जांच और समीक्षा के लिए साथी विशेषज्ञ पैनलिस्टों में शामिल होंगे।, जिन्हें अगले साल तक अपने निष्कर्ष प्रकाशित करने हैं।
गौरतलब है कि शाह नस्लीय और जातीय असमानताओं पर ब्रिटेन के आयोग के पूर्व आयुक्त भी रहे हैं। इसके अलावा, वह 10 वर्षों तक देश के स्वतंत्र नस्ल समानता थिंक टैंक, रननीमेड ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष और होलोकॉस्ट कमीशन के सदस्य भी थे।
बीते साल हुई हिंसा को लेकर मई में सरकार ने इस समीक्षक दल की घोषणा की थी। इसके अध्यक्ष लॉर्ड इयान ऑस्टिन ने कहा कि लीसेस्टर में विविधता, सहिष्णुता और सामुदायिक एकजुटता का गौरवपूर्ण इतिहास है। बीते साल जो हुआ वह परेशानी बढ़ाने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि समीक्षा का उद्देश्य है कि हम यह समझ सकें कि पिछले साल हुई हिंसा से हम क्या सीखते हैं। हम जानेंगे कि शहर में रहने वाले समुदायों में भविष्य में ऐसी समस्याओं को रोकने के लिए कैसे मिलकर काम कर सकते हैं। ऐसे में, यह महत्वपूर्ण है कि समीक्षा व्यापक और सम हो।
शाह के अलावा इस समिति के अन्य सदस्य हिलेरी पिलकिंगटन हैं। वे मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर और यूके एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के फेलो रहे हैं। उनके अलावा, एनएचएस इंग्लैंड में डिजिटल डेवलपमेंट के प्रमुख और 2018 तक 10 वर्षों के लिए ब्रिटिश मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी के ट्रस्टी डॉ. शाज महबूब भी इसमें शामिल हैं।
जानिए क्यों हुई थी हिंसा
हाउसिंग एंड कम्युनिटी विभाग के मुताबिक, साल 2022 में लीसेस्टर शहर और उसके आस-पास के इलाकों में सांप्रदायिक और सामुदायिक तनाव बढ़ गया था। मामले में अलग-अलग समुदायों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद लीसेस्टर में कई संपत्तियों को क्षतिग्रस्त किया गया था। इस झड़प के दौरान शहर के एक मंदिर में भी तोड़फोड़ की गई थी। विभाग ने बताया कि मामले को भारत सरकार ने कूटनीतिक रूप से इस मुद्दे को उठाया था। मामले में कई गिरफ्तारियां भी गई थी। विभाग का कहना है कि दुबई में हुए भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान दोनों समुदाय आपस में भिड़ गए थे। इसके बाद लीसेस्टर में भी हिंसा भड़क गई थी।