ब्रिटिश लेखक कोलिन ब्लूम ने शनिवार को कहा कि स्कॉटलैंड की घटना यह दिखाती है कि ब्रिटिश सरकार को खालिस्तान समर्थकों से निपटने के लिए अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि यह बिलकुल स्पष्ट है। ग्लासगो गुरुद्वारे में सिख गुरुद्वारा समिति ने भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी की मेजबानी के लिए एक सामुदायिक स्वागत समारोह आयोजित किया था। शहर के बाहर के खालिस्तान समर्थकों का एक समूह आता है और स्थानीय सिख समिति को धमकाता है और भारतीय उच्चायुक्त पर हमला करने की कोशिश करता है। अपनी कार में मौजूद उच्चायुक्त ने खालिस्तान समर्थकों को ऐसा करते हुए फिल्माया और इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाला।
उन्होंने कहा कि मेरी रिपोर्ट द ब्लूम रिव्यू में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि अधिकतर ब्रिटिश सिख अद्भुत हैं लेकिन यह छोटा और आक्रामक गुट उनका प्रतिनिधि नहीं है। ब्रिटिश सरकार को चरमपंथी तत्वों से निटपने के लिए अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
अप्रैल में अपनी रिपोर्ट में ब्लूम ने लिखा था कि ब्रिटेन के गुरुद्वारों का इस्तेमाल सिख चरमपंथी गलत मकसद के लिए कर रहे हैं। खालिस्तान का समर्थन करने वाले चरमपंथी जातीय-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं। इनमें से कुछ चरमपंथियों को खालिस्तान नाम से स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की अपनी महत्वाकांक्षा में हिंसा और डराने-धमकाने का समर्थन करने और उकसाने के लिए जाना जाता है, जिसकी भौतिक सीमाएं भारत में पंजाब राज्य से जुड़ी हुई हैं।
दिलचस्प बात यह है कि खालिस्तान समर्थकों की इस मांग में पाकिस्तान अधिकृत पंजाब का हिस्सा शामिल नहीं है। यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि इन चरमपंथियों की प्रेरणा आस्था पर आधारित है या नहीं। साथ ही कहा गया कि सिख चरमपंथी अब इंग्लैंड के गुरुद्वारों को नियंत्रित कर रहे हैं और खालिस्तान का प्रचार करने के लिए आस्था के नाम पर जुटाए गए धन का उपयोग कर रहे हैं। विभाजन एजेंडे का पालन करने के लिए युवाओं का ब्रेनवाश किया जा रहा है। इसमें चिंता जताई गई कि ब्रिटिश सरकार ‘सत्ता के चरमपंथी एजेंडे’ और मुख्यधारा के सिख समुदायों के बीच अंतर करने में सक्षम नहीं है