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61 देशों के प्रतिनिधि बैंकॉक में जुटे; मंथन के बाद ‘हिंदू धर्म’ नहीं ‘हिंदू-नेस’ पर जोर

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन हुआ। दूसरे दिन एक महत्वपूर्ण घोषणा हुई जिसमें प्रस्ताव अपनाया गया। 61 देशों के 2000 से अधिक प्रतिनिधियों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि अब  ‘हिंदू धर्म’ के बजाय ‘हिंदू-नेस’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को अंग्रेजी में विश्वास (Faith) शब्द पर विचार करते समय कांग्रेस इस बात पर सहमत हुई कि ‘हिंदू धर्म’ वैश्विक हिंदू समुदाय और उनकी अंतर्निहित अच्छाई को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।

विश्व हिंदू कांग्रेस में हुई घोषणा के अनुसार, ‘हिंदू धर्म’ शब्द समूह का इस्तेमाल करने पर पहला शब्द- ‘हिंदू’ ‘असीमित’ भाव दिखाता है। इससे ‘सनातन’ यानी शाश्वत (eternal) होने का भाव दिखता है। हालांकि, ‘हिंदू’ शब्द के बाद ‘धर्म’ आता है, जिसका अर्थ है जो बनाए या बरकरार रखता (which sustains) है।”

घोषणा में कहा गया कि हिंदू धर्म उन सभी चीजों का प्रतीक है जो शाश्वत रूप से हर चीज को कायम रखता है। इसमें एक व्यक्ति, एक परिवार, एक समुदाय, एक समाज और यहां तक कि प्रकृति के तौर पर जड़ और चेतन सभी शामिल हैं। विश्व हिंदू कांग्रेस का मानना है कि हिंदू धर्म (Hinduism) पूरी तरह से अलग है, क्योंकि इसमें ‘इज़्म’ जुड़ा हुआ है। कांग्रेस की घोषणा के अनुसार, ‘इज़्म’ शब्द को दमनकारी और भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण के रूप में परिभाषित किया गया है। 

हिंदू कांग्रेस का मानना है कि 19वीं सदी के मध्य में अमेरिका में इज्म यानी ‘वाद’ का इस्तेमाल धार्मिक आंदोलनों को अपमानजनक तरीके से संबोधित करने के लिए किया गया। इस दौरान सामूहिक रूप से कट्टरपंथी सामाजिक सुधार आंदोलनों और विभिन्न गैर-मुख्यधारा की आध्यात्मिक मुहिम को भी निशाना बनाया गया। कांग्रेस की घोषणा में साफ किया गया है कि ‘हिंदू धर्म’ शब्द को संदर्भ के अनुसार समझा जाना चाहिए।

साहित्यिक और आकादमिक अर्थ का जिक्र करते हुए कांग्रेस ने अपने बयान में कहा, लोकप्रिय शब्दकोष में सर मोनियर-मोनियर विलीमास ने ‘हिंदू धर्म’ (Hinduism) शब्द का जिक्र किया है। उन्होंने अपनी हैंडबुक ‘हिंदूइज्म’ के में भी इसका विस्तार किया है। इस हैंडबुक को 1877 में सोसाइटी फॉर प्रमोटिंग क्रिश्चियन नॉलेज की तरफ से प्रकाशित किया गया था। बैंकॉक की वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस ने इस शब्दकोष को बौद्धिक रूप से बेईमान शब्दावली करार दिया।

‘हिंदू धर्म’ से जुड़ी कांग्रेस की घोषणा में कहा गया कि पिछले 150 वर्षों में वीभत्स हिंदू-विरोधी आख्यान के बीज डाले गए हैं।  यही कारण है कि बुजुर्गों ने हिंदू धर्म के बदले ‘हिंदुत्व’ शब्द के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी। यह अधिक सटीक शब्द है। इसमें ‘हिंदू’ शब्द के सभी अर्थ शामिल हैं। कांग्रेस अपने पूर्वजों और बुजुर्गों से सहमत है, अब हमें भी ऐसा ही करना चाहिए।”

कांग्रेस की घोषणा के मुताबिक हिंदुत्व कोई जटिल शब्द नहीं है, इसका सीधा सा अर्थ है ‘हिंदू-पन’ (Hindu-ness)। कई लोगों ने वैकल्पिक शब्द के रूप में इसके लिए ‘सनातन धर्म’ का भी इस्तेमाल किया है। इसे अक्सर ‘सनातन’ भी कहा जाता है। वर्तमान समय में कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी नकारात्मक रूप से हिंदुत्व को हिंदू धर्म के खिलाफ बताते हैं। कुछ लोग विषय का ज्ञान नहीं होने के कारण ऐसे तर्क देते हैं। 

बैंकॉक में 61 देशों के सम्मेलन में अपनाई गई घोषणा में कहा गया, हिंदुत्व की आलोचना करने वाले अधिकांश लोग हिंदू धर्म के प्रति अपनी गहरी नफरत और पूर्वाग्रहों के कारण हिंदुत्व विरोधी हैं। कांग्रेस का मानना है कि राजनीतिक एजेंडे और पूर्वाग्रहों से प्रेरित कई राजनेता भी आलोचना करने लगे हैं। सनातन धर्म की धड़ल्ले से आलोचना हो रही है, जिससे कटुता बढ़ रही है।

गौरतलब है कि हिंदू कांग्रेस का यह बयान इसलिए भी बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कथित तौर पर ‘सनातन धर्म’ के खिलाफ बयान दिया था। मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने सनातन और हिंदुत्व की तुलना “बुखार, मलेरिया, डेंगू और कोरोना” से की थी। इस पर भाजपा समेत कई दलों ने विरोध प्रकट किया। कई संतों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि द्रमुक नेता को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए। बैंकॉक के वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस में भी स्टालिन के बयान की कड़ी निंदा की गई।

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