शुक्रवार को एक फ़िलिस्तीनी युवा ने अपनी गाड़ी ज़ायोनी सैनिकों पर चढ़ा दी जिसमें 2 सैनक मारे गए और अन्य 3 सैनिक बुरी तरह घायल हो गए। इस हमले की ज़िम्मेदारी फ़िलिस्तीनी संगठन हमास ने ली है। हमास के नेता डाक्टर इसमाईल रिज़वान का कहना है कि यह हमला जो जेनीन शहर के क़रीब हुआ यह फ़िलिस्तीनी जनता पर लगातार जारी ज़ायोनी शासन के अत्याचारों और बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी घोषित करने के अमरीकी सरकार के फ़ैसले पर फ़िलिस्तीन की जनता का स्वाभाविक आक्रोश और प्रतिक्रिया है।
हमास के नेताओं का कहना है कि इस प्रकार के हमले आगे भी जारी रहेंगे और अमरीका को अपने फैसले पर पछताना पड़ेगा। अमरीका को यह पता होना चाहिए कि बैतुल मुक़द्दस को ज़ायोनी शासन की राजधानी घोषित करने की घटिया हरकत की बहुत भारी क़ीमत इस्राईल और अमरीका दोनों को चुकानी होगी।
टीकाकार यह कहते हैं कि जैसे जैसे अमरीकी दूतावास को तेल अबीब से बैतुल मुक़द्दस स्थानान्तरित करने का समय नज़दीक आएगा इस्राईलियों पर फ़िलिस्तीनियों के हमले तेज़ होते जाएंगे। इस्राईल की कोशिश थी कि ग़ज़्ज़ा के इलाक़े को फ़िलिस्तीन के अन्य भागों से अलग करके उसकी घेराबंदी के माध्यम से ख़ुद को सुरक्षित बनाए रखे लेकिन अब हमले ग़ज़्ज़ा के बजाए पश्चिमी तट से हो रहे हैं जहां इस्राईली सरकार ने यह इंतेज़ाम किया था कि फ़िलिस्तीनी प्रशासन के साथ मिलकर सुरक्षा समन्वय बना लिया था और इस इलाक़े से किसी भी प्रतिशोधात्मक कार्यवाही की ओर से निश्चिंत हो गया था मगर ज़ायोनी शासन की यह रणनीति पूरी तरह फेल हो चुकी है क्योंकि बैतुल मुक़द्दस, पश्चिमी तट यहां तक कि उन इलाक़ों में भी इस्राईलियों पर हो रहे हैं जिन पर ज़ायोनी शासन ने 1948 में क़ब्ज़ा किया था।
ज़मीनी सच्चाई यह है कि पूरे पश्चिमी एशिया के इलाक़े के वह समीकरण तेज़ी से बदल रहे हैं जिनके सहारे ज़ायोनी शासन को अस्तित्व में लाया गया था और जिनकी मदद से ज़ायोनी शासन का अस्तित्व अब तक बाक़ी बचा था। इस्राईल का भविष्य अंधकारमय है। ख़ुद इस्राईली अधिकारियों की भी समझ में नहीं आ रहा है कि हालात का जो वर्तमान रुख़ है उसके जारी रहने की स्थिति में वह इस्राईल को कैसे बचा सकेंगे?