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CEO ऑल्टमैन बाहर हुए ‘खतरनाक’ AI के डर व चिंता की वजह से, खतरों पर ध्यान न देना बना कारण

ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन को कंपनी से बाहर करने के पीछे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जुड़े खतरे, डर और चिंताएं हैं। ऑल्टमैन व 9 अन्य लोगों के साथ यह कंपनी बनाने वाले एआई अध्ययनकर्ता इल्या सुतस्केवर लगातार चिंता जता रहे थे कि एआई तकनीक बेहद खतरनाक हो सकती है। सूत्रों के अनुसार वे इसलिए भी ज्यादा तनाव में थे क्योंकि ‘इन खतरों की ओर ऑल्टमैन जरूरी ध्यान नहीं दे रहे थे।’

कंपनी में सुतस्केवर के करीबी 3 लोगों के अनुसार वे निदेशक बोर्ड में होते हुए तकनीक से जुड़े खतरों पर अपनी जिम्मेदारी समझ रहे थे, लेकिन कंपनी में उनकी भूमिका घट रही थी। यही वजह है कि 6 में से 4 सदस्यों को साथ लेकर उन्होंने कड़े कदम उठाए। इससे कंपनी में 1,300 करोड़ डॉलर निवेश करने वाली माइक्रोसॉफ्ट सहित पूरा टेक सेक्टर हैरत में है। इसे 1985 में एपल कंपनी से स्टीव जॉब्स को निकाले जाने जैसा माना जा रहा है। वहीं शनिवार को 38 साल के ऑल्टमैन ने वापसी के लिए बोर्ड से बातचीत की, जिससे और उलटफेर की संभावना भी बनी है।

बोर्ड के ब्लॉग से अनुमान
ओपनएआई ने ब्लॉग पोस्ट में लिखा ‘हमें ऐसा लगता है कि ऑल्टमैन हमारे साथ ईमानदारी से संवाद नहीं कर रहे थे। इससे बोर्ड को अपनी जिम्मेदारी निभाने में बाधा आ रही थी।’ 700 कर्मचारियों को शनिवार को बताया कि ऑल्टमैन को कंपनी के वित्त, कारोबार, सुरक्षा, निजता या किसी अन्य से जुड़े अपराध के लिए नहीं हटाया है। मुख्य संचालन अधिकारी ब्रैड लाइटकैप ने लिखा ‘हमें पता है कि आप उलझन, उदासी और शायद डर में होंगे। हम हालात से निपट रहे हैं, चीजों को साफ करने की ओर बढ़ रहे हैं और काम पर भी लौट रहे हैं।’

तकनीक पर बंटी दुनिया
एआई तकनीक पर पूरी दुनिया में दरार बढ़ रही है। कुछ कारोबारी व समर्थक इसे सदियों में आने वाला बड़ा अवसर मान रहे हैं, दवाओं के लिए शोध से लेकर बच्चों को पढ़ाने तक में इसका उपयोग देख रहे हैं।
वहीं कई लोग मानते हैं कि एआई पर तेजी से आगे बढ़ना खतरनाक हो सकता है। वैज्ञानिक व राजनेताओं ने नौकरियां घटने से लेकर युद्ध में इसके उपयोग जैसे डर व खतरे भी जताए हैं।

पद व गुट संघर्ष के बाद अब स्थिति
ऑल्टमैन गुट-

चैट-जीपीटी 4 के विकास से जुड़े जैकब पचोकी हाल में कंपनी में शोध निदेशक बने थे। इससे पहले वे पद में सुतस्केवर से नीचे थे, लेकिन बराबर ला दिए गए। जैकब ने भी शनिवार को पद छोड़ दिया। ऑल्टमैन के सहयोगी वरिष्ठ अध्ययनकर्ता शीजिमन सिडर और अलेक्जेंडर माड्री ने भी कंपनी छोड़ दी है। बोर्ड अध्यक्ष पद से ग्रेग ब्रोकमैन को शुक्रवार को ही हटा दिया गया था।

सुतस्केवर गुट-
ऑल्टमैन को हटाने में सुतस्केवर का साथ देने वाले बोर्ड सदस्यों में एडम डी एंजेलो सवाल-जवाब पर बनी वेबसाइट कोरा के सीईओ हैं। शोध संगठन रैंड कॉर्प की वरिष्ठ प्रबंध वैज्ञानिक ताशा मैकॉले और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में उभरती तकनीकों व सुरक्षा केंद्र में शोध अनुदान निदेशक हेलन टोनर भी बोर्ड में हैं।

नजरिये का अंतर भी आया सामने
ताशा व हेलन का संबंध तर्कवादी व प्रभावी परोपकारिता के लिए बने समुदायों से है। यह समुदाय मानते हैं कि एआई तकनीक एक दिन मानवता को खत्म कर देगी। रूस में जन्मे सुतस्केवर भी इन विचारों के निकट हैं। उनकी पढ़ाई इस्राइल व कनाडा में हुई और एआई तकनीक के अहम हिस्से न्यूरल नेटवर्क के विकास में उनकी भूमिका मानी जाती है।

कंपनी को नॉन-प्रॉफिट रखने का मुद्दा भी वजह
सुतस्केवर ने 2015 में गूगल की नौकरी छोड़ कर ऑल्टमैन, ब्रोकमैन व टेस्ला के सीईओ इलोन मस्क सहित अन्य के साथ ओपनएआई पर काम शुरू किया। उन्होंने इसे मुनाफे के लिए नहीं बनाया था, लक्ष्य ऐसी एआई मशीन बनाना था जो मानव मस्तिष्क की तरह काम करे। लेकिन ऑल्टमैन ने साल 2018 में इसे मुनाफे के लिए काम करने वाली कंपनी में बदला। माइक्रोसॉफ्ट से 100 करोड़ डॉलर का निवेश भी लाए।

इधर जीपीटी 4 के खतरों पर टीम बनी, उधर ऑल्टमैन निवेश लाने में जुटे थे : जीपीटी 4 की शक्ति को देख सुतस्केवर ने तुरंत कंपनी के भीतर एक नई टीम बनाई जो यह ध्यान रखेगी कि तकनीक के भावी प्रारूप खतरनाक न बन जाएं। दूसरी ओर ऑल्टमैन इस चिंता पर बात करने को तो राजी थे, लेकिन ओपनएआई को प्रतियोगिता में आगे बनाए रखना चाहते थे। इसके लिए अरब देशों व जापान आदि से निवेश लाने के लिए बातचीत कर रहे थे।

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