Home Blog Page 80

सीबीआई ने हाथरस गैंगरेप मामले में चार्जशीट दाखिल की, माना हुआ था गैंगरेप

– रवि जी. निगम

नई दिल्ली : यूपी के हाथरस गैंगरेप मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। शुक्रवार को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई है। मामले में सीबीआई ने मृृृतक पीढ़िता के साथ गैंगरेप और रेप के बाद हत्या की पुष्टि की है। आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने एससी/एसटी ऐक्ट के अन्तर्गत मामला दर्ज किया है। हाथरस गैंगरेप के इन सभी आरोपियों पर IPC की धारा 302, 354, 376 के अन्तर्गत मामला दर्ज किया है।

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ क्लिक करे

घटनाचक्र का साार

यूपी के हाथरस में उक्त कथित गैंगरेप पीढ़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। गैंगरेप की घटना इस दलित बेटी के साथ 14 सितंबर को घटित हुई थी। इस घटना के बाद पीढ़िता को जेएन मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ में भर्ती कराया गया। जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ने पर उसे दिल्ली रेफर किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। जिसमें चार नामजद आरोपी को गिरफ्तार कर दिया गया था। तथा चरणबद्ध तरीके से पुलिस ने उन्हे गिरफ्तार किया था बैरहाल अभी चारों आरोपी जेल में कैद हैं। उक्त मामले की जांच सीबीआई द्वारा कोर्ट की निगरानी में की जा रही है। जिसकी सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है।

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ क्लिक करें

हाथरस गैंगरेप सीबीआई ने माना पीढ़िता के साथ हुआ था रेप

सीबीआई ने जहां एक तरफ जांच के बाद माना है कि हाथरस गैंगरेप की पीढ़िता के साथ रेप की घटना घटित हुई थी। जबकि घटना के बाद ‘एडीजी’ लॉ – एण्ड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने पीसी के माध्यम से साफ किया था कि पीढ़िता के साथ रेप की घटना हुई ही नहीं। एडीजी ने कहा था कि गले में चोट लगने के कारण से ट्रॉमा में इलाज़ के दौरान पीढ़िता की मौत हुई है।

“MA news” app डाऊनलोड करें और 4 IN 1 का मजा उठायें  + Facebook + Twitter + YouTube.

MA news Logo 1 MANVADHIKAR ABHIVYAKTI NEWS

Download now

सवाल योगी सरकार के शासन-प्रशासन पर खड़े हो रहे थे

वहीं हाथरस गैंगरेप की इस घटना के बाद योगी सरकार के शासन-प्रशासन पर लगातार सवाल खड़े हो रहे थे क्योंकि पीढ़िता के परिवार वालों ने प्रशासन पर आरोप लगाया था कि उनकी इजाज़त के बिना पीढ़िता का अंतिम संस्कार रात्रि के लगभग दो बजे कर दिया गया। जिस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और यूपी के आला अधिकारियों को तलब किया था।

पीढ़िता के भाई पर आरोपी ने लगाया था आरोप

दरअसल चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद, उसमें से एक आरोपी द्वारा यूपी पुलिस को पत्र भी लिखा गया था जिसमें आरोपित युवक ने लिखा था कि उसका पीढ़िता के साथ पहले से ही संबंध था। और उन दोनों की दोस्ती को उसके परिवार वाले कतई पसंद नहीं करते थे जिसके चलते उसके भाई ने हीं खुद पीढ़िता की हत्या की है।

सुप्रीम कोर्ट का कृषि कानून पर किसानों के प्रति नर्म रुख, कहा ‘अहिंसक प्रदर्शन का पूरा अधिकार’

– रवि जी. निगम

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून पर सुनवाई के दौरान सरकार को झटका देते हुए कहा है कि किसानों को अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है, साथ ही कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि क्या इन कानूनों को अमल करने पर रोका जा सकता है ?

कोर्ट ने कहा कि वो ऐसे विवादास्पद कृषि कानूनों के संबंध में किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों और कृषि विशेषज्ञों की एक निष्पक्ष व स्वतंत्र समिति गठित करने पर विचार कर रही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि इस समिति का गठन कुछ इस प्रकार से होगा जिसमें किसान संगठनों के प्रतिनिधियों तथा सरकार और पी साइनाथ आदि विशेषज्ञों को शामिल किया जायेगा जो इन कानूनों को लेकर गतिरोध व्याप्त है उसका हल खोजेंगे।

पीठ ने आगे कहा कि ‘‘हम मानते हैं कि किसानों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन ये अहिंसक होना चाहिए।’’ वहीं कानून की वैधता पर उठ रहे सवाल पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि “विरोध प्रदर्शन का तभी मकसद हासिल किया जा सकेगा जब किसान और सरकार बीच वार्ता हो और हम इस अवसर को प्रदान करना चाहते हैं।’’

पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू होते ही स्पष्ट कर दिया कि ‘‘आज हम कानून की वैधता पर फैसला नहीं करने जा रहे, हम आज केवल विरोध प्रदर्शन और निर्बाध आवागमन के मुद्दे पर ही विचार करेंगे।’’ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा लंबे समय से किये जा रहे आन्दोलन व धरना प्रदर्शन के कारण आवागमन में आ रही दिक्कतों को लेकर न्यायालय दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इन याचिकाओं के माध्यम से किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने का अनुरोध किया गया है।

आपसी सहमति से जिस्मामी संबंध कायम रखना ‘रेप’ नहीं होता – दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली : आपसी सहमति, दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा एक रेप के मामले की सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने टिप्पणी मेें कहा है कि “शादी के वादे पर अगर लड़की लंबे समय से आपसी सहमति से जिस्मामी संबंध कायम रखती है तो इसे हमेशा रेप नहीं कहा जा सकता है।” कोर्ट ने ये बात महिला की उस याचिका को खारिज करते हुए कही। उक्त महिला ने एक पुरुष के ऊपर रेप का आरोप लगाया था। आरोपों के मुताबिक उस शख्स ने महिला की सहमति से कई महीनों तक उसके साथ संबंध कायम करता रहा।

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ क्लिक करे

आपसी सहमति… ‘रेप’ नहीं

न्यायधीश विभू बाखरू ने सुनवाई के दौरान कहा कि “यदि किसी के साथ शादी का झूठा वादा कर एक बार बहकाया जाता है तो ये अपराध हो सकता है।” कोर्ट ने यहाँ तक कहा कि ‘‘कुछ मामलों में शादी का वादा मात्र जिस्मानी संबंध बनाने के लिए किया जा जाता है जबकि दूसरा पक्ष इसके लिए सहमति नहीं रखता है, सिवाय ऐसे मामलों में जहाँ शादी का झूठा वादा करके बिना सहमति के जबरन शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं, वहां भारतीय दंड संहित की धारा – 375 के अन्तर्गत रेप का केस बनता है।”

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ क्लिक करें

एक अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने आपसी सहमति में आगे ये कहा है कि “जहां ऐसे संबंध लंबे समय तक चलते रहते हैं, ऐसे मामलों को इस तरह रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।” इसके साथ ही कोर्ट ने एक ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को जारी रखते हुए उस शख्स को रेप के आरोपों से मुक्त कर दिया। कोर्ट महिला की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें ये कहा गया था कि शख्स ने उसे शादी के नाम पर धोखा दिया है और झूठा वादा करके कई बार संबंध बनाये। साथ ही महिला ने उस शख्स पर आरोप लगाए थे कि उस शख्स ने दूसरी महिला के खातिर उसे छोड़ दिया है।

“MA news” app डाऊनलोड करें और 4 IN 1 का मजा उठायें  + Facebook + Twitter + YouTube.

MA news Logo 1 MANVADHIKAR ABHIVYAKTI NEWS

Download now

आपसी सहमति पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि इससे साफ है कि महिला ने अपनी स्वेच्छा से उस शख्स के साथ शारीरिक संबंध स्थापित रखे। वहीं इससे ये दिखाता है कि महिला के मन में भी उस शख्स के प्रति चाह थी। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की उस बात से भी इत्तेफाक रखा कि “उक्त महिला से शारीरिक संबंध बनाने की सहमति शादी का वादा देकर नहीं ली गई थी बल्कि शादी को लेकर बात बाद में हुई थी।”

कृषि कानून पर सरकार के रवैये से आहत पूज्यनीय संत ‘बाबा राम सिंह’ ने किसानों की दैयनीय हालत को देखते की आत्महत्या

– रवि जी. निगम

सरकार पर सवालिया निशान – क्या कृषि कानून पर किसान नहीं बिचौलिये या ऐजेन्ट कर रहे हैं राजनीति या धरना प्रदर्शन ? तो संत बाबा राम सिंह ने राजनीतिक लाभ के लिये उनके समर्थन में कर ली आत्महत्या ? क्या चन्द किसान नेता जो सरकार के पक्ष में खड़े हैं तो वही सम्पूर्ण भारत के किसान नेता ? तो देश में लाखो किसान जो कप-कपाती ठण्ड में प्रदर्शन कर रहे वो सब बिचौलिये या ऐजेन्ट ? तो क्या देश में किसान कम बिचौलिये या ऐजेन्ट ज्यादा ? क्या देश में नया कानून लागू ? कि खाता न वही, जो सरकार कहे वही सही ? जय हो बाबा त्रिपुरारी की ….

नई दिल्ली – बुधवार को किसान आंदोलन के दौरान नए कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ संत बाबा राम सिंह ने करनाल में बॉर्डर के पास खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली। जिससे उनकी मौत हो गई। खबरों के मुताबिक संत बाबा राम सिंह किसानों को लेकर सरकार के रवैये से काफी आहत थे।

जैसा कि खबरों ज्ञात हो रहा है कि संत बाबा राम सिंह के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ है। बाबा पिछले कई दिनों से किसानों के इस आंदोलन में शामिल थे। इतना ही नहीं उन्होंने शिविर में कंबल भी बांटे थे। खबरों के अनुसार जो सुसाइड नोट बाबा राम सिंह के पास से मिला है उसमें लिखा है कि वो इतने आहत थे वो किसानों की ऐसी हालत नहीं देख सकते हैं। उन्होंने नोट में लिखा है कि ‘केंद्र सरकार किसानों के विरोध को लेकर किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दे रही है, अतः वो किसानों और उनके बच्चों एवं महिलाओं को लेकर भी चिंतित हैं।’

जैसा कि विदित है कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 21 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच किसानों और सरकार के मध्य कई दौरों की वार्ता भी हो चुकी है। हालांकि सभी वार्तायें बेनतीजा ही रहीं। किसानों की मांग है कि तीनों कानूनों को सरकार रद्द करे, सरकार ऐसा करने को तैयार नहीं है तो वहीं किसान भी अपनी जिद्द पर अड़े हैं। वहीं, बुधवार को सरकार को संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से लिखित में जवाब दिया गया है। साथ ही सरकार से किसान मोर्चा ने अपील की है कि सरकार उनके आंदोलन को बदनाम करने का काम ना करें, यदि बात करनी है तो सभी किसानों से एक साथ मिलकर बात करें।

इमरान सरकार का ऐंटी रेप आर्डिनेंस 2020 बना, बलात्कारियों को नपुंसक बनाने वाला कानून

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान ख़ान की कैबिनेट ने बलात्कार पर रोकथाम के लिए बलात्कारियों को नपुंसक बनाए जाने वाला अध्यादेश राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद, कड़ा क़ानून बन गया है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ़ अलवी ने मंगलवार को इस ऐंटी रेप आर्डिनेंस 2020 पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसके अनुुुुसार अब चार महीनों तक यह क़ानून लागू रहेगा और इसी दौरान इसे संसद को अनुमोदित करना होगा।

इस नए क़ानून में सख्त सज़ा का प्रावधान किया गया है जिसके तहत बलात्कारी को केमिकल कैस्ट्रेशन के इस्तेमाल से नपुंसक तक बनाये जाने का भी प्रावधान है। वहीं इस क़ानून में 4 महीनों में रेप के मुक़दमे का निपटारा कर दिए जाने पर भी बल दिया गया है। इस अध्यादेश के अन्तर्गत यौन अपराध में लिप्त लोगों का नेशनल रजिस्टर भी तैयार किया जाएगा और इतना ही नहीं पीड़िता की पहचान गुप्त रखने का भी प्रावधान है। साथ ही दवा देकर भी कुछ अपराधियों को नपुंसक बनाया जा सकता है।

उक्त क़ानून में सिर्फ़ केमिकल कैस्ट्रेशन का ही ज़िक्र किया गया है और जिसमें कहा गया है कि यह फ़ैसला अदालत ही करेगी कि किस अपराधी को ये सज़ा दी जानी है। हालांकि इस कानून में केमिकल कैस्ट्रेशन का विस्तृत उल्लेख नहीं है। ये फ़ैसला पाकिस्तान के लाहौर शहर के नज़दीक एक महिला के साथ गैंग रेप की घटना के बाद लिया गया, इस घटना से पाकिस्तान में यौन अपराधों के ख़िलाफ़ जनता में काफी रोष व्यापत था और लोग रेप के ख़िलाफ़ सख्त सज़ा की मांग कर रहे थे।

विदित हो कि दुनिया के कुछ देशों में केमिकल कैस्ट्रेशन यानी दवा देकर नपुंसक बनाए जाने को लेकर सख्त सज़ा का प्रावधान है। इंडोनेशिया ने 2016 में बच्चों के ख़िलाफ़ यौन अपराध करने वालों के विरुद्ध केमिकल कैस्ट्रेशन का प्रावधान किया था। पोलैंड ने साल 2009 में बच्चों के साथ रेप करने वाले व्यस्कों के लिए इस क़ानून को अनिवार्य रूप से लागू किया था।

राहुल बोले 15 लाख की तरह 20 करोड कोरोना आर्थिक राहत पैकेज भी जुमला ही साबित हुआ, मात्र 10 प्रतिशत वितरित

राहुल बोले 15 लाख की तरह 20 करोड भी किसी जुमले से कम नहीं !

नयी दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी पर हमला करते हुये कहा है कि कोरोना संकट के दौरान मोदी सरकार ने जो 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया वह जमीन पर नहीं उतरा और घोषणा करने में सबसे माहिर मोदी सरकार का यह पैकेज भी एक और जुमला साबित हुआ।

ट्वीट कर राहुल बोले
“ चुनावी जुमला- 15 लाख अकाउंट में, अब कोरोना जुमला- 20 लाख करोड़ का पैकेज।

https://twitter.com/RahulGandhi/status/1338331042696990722?s=20

साथ ही उन्होंने एक पोस्ट के माध्यम से एक खबर का हवाला दिया है जिसमें सूचना के अधिकार (आरटीआई) के अन्तर्गत सरकार से मांगी गई जानकारी में सरकार ने बताया है कि इस साल मई महीने में कोरोनो से निपटने के लिए जो 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई थी उसका अभी तक मात्र 10 फ़ीसदी पैसा ही वितरित हो पाया है। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा कि इसी तरह से पूर्व मे भी 15 लाख रुपए खाते में डालने के चुनावी जुमले की तरह ही मोदी सरकार का 20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक राहत पैकेज भी कोरोना जुमला ही साबित हुआ है।

योगी सरकार का हतौड़ा – डॉक्टर पीजी करने के बाद 10 साल तक सरकारी अस्पताल में दें सेवाएं, वर्ना 1 करोड़ का भरें जुर्माना

लखनऊ : अब उत्तर प्रदेश में प्रत्येक डॉक्टरों को पीजी करने के बाद कम से कम 10 साल तक के लिये सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी। यदि कोई डॉक्टर बीच में नौकरी छोड़ देेेता है तो एक करोड़ रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा। अगर कोई डॉक्टर पीजी कोर्स बीच में ही छोड़ देता है तो ऐसे डॉक्टर को तीन साल के लिए डिबार कर दिया जाएगा। इन तीन सालों में वो दोबारा दाखिला नहीं ले सकेगा।

सरकार ने सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए नीट में छूट की भी व्यवस्था की है। एक साल ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में नौकरी करने के बाद नीट प्रवेश परीक्षा में एमबीबीएस डॉक्टरो को 10 अंकों की छूट दी जाती है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में दो साल सेवा देने वाले डॉक्टरों को 20 तथा तीन साल सेवा देने पर 30 अंको की छूट मिलती है।

इस फैसले में योगी सरकार ने कहा गया है कि चिकित्साधिकारी को पढ़ाई पूरी करने के बाद तुरंत नौकरी जॉइन करनी पड़ेगी। सरकारी डॉक्टरों को पीजी करने के बाद सीनियर रेजिडेंसी में रुकने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। इस नए नियम के अनुसार विभाग की ओर से इस संबंध में एनओसी जारी नहीं की जाएगी।

इतना ही नहीं साथ ही ये भी कहा गया है कि अब डॉक्टर पीजी के साथ ही डिप्लोमा कोर्सेज में भी एडमिशन ले सकेंगे। ज्ञात हो कि हर साल एमबीबीएस पीजी में दाखिला लेने के लिए सरकारी अस्पतालों के कई डॉक्टर्स नीट की परीक्षा देते हैं।

अन्नदाता के खिलाफ मोदी सरकार ने F I R करायी दर्ज, कोविड 19 हथियार से हमला

नई दिल्ली – पुलिस ने कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की । पुलिस ने किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा अलीपुर थाने में दर्ज किया गया है। विदित हो कि किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से दिल्ली की सीमा में अंदर आ कर सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठ गये थे। उन्होंने रोड को ब्लॉक कर रखा है ।

एक निजी चैनल के मुताबिक, किसानों के खिलाफ 7 दिसंबर को अलीपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 16 दिनों से जारी है। किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले. जबकि, सरकार सिर्फ संशोधन के लिए तैयार है। सरकार का स्पष्ट कहना है कि वो तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुये हैं, जिसकी वजह से टकराव बढ़ता ही जा रहा है।

नशेबाज सिपाही ने अपने ही साथी सिपाही को बाईक से ठोंक दिया

0

कानपुर – नौबस्ता के दामोदर नगर में नशे में घुत बाईक सवार सिपाही फुल स्पीड में गुजर रहा था कि सामने से आ रहे अपने ही एक महकमें के साथी की बाईक से जा भिड़़ा दुर्घटना इतनी जबदस्त थी की नशेबाज सिपाही की गाड़ी के अंजर – पंजर तक ढीले हो गये और खुद भी बुरी तरह से जख्मी हो गया, वहीं दूसरा सिपाही भी अचेत की मुद्रा में था उसे भी कुछ सूझ-बूझ नहीं रहा था, क्षेत्रीय जनों ने आकर उसे एक जगह पर बिठा दिया, वहीं 112 नं0 डायल कर घटना की सूचना दे दी, जिसे जान नशेबाज सिपाही वहाँ से बच निकलने की जुगत भिड़ाने लगा की क्षेत्रीय जनों ने उसे वहाँ रुकने को कहा और 112 नं0 को सौंप दिया।

दुर्घटना लगभग रात्रि के 9:30 बजे के आस – पास की है, जख्मी नशेबाज सिपाही का नाम अजय कुमार सिंह है उसने बताया कि वो गोबिन्द नगर में तैनात है। क्षेत्रीय जनता की मदद से उसे पुलिस की सहायता से अस्पताल भेजा जा सका, वो सिपाही नशे में इतना घुत था कि उसे अपने जख्म तक का भी एहशास तक नहीं हो रहा था यदि जनता उसे वहाँ रोक नहीं लेती तो वापस कोई बडा हादशा हो सकता था।

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना पर दिल्ली सहित देश के सभी राज्यों से ताजा स्थिति की रिपोर्ट की तलब, स्वत: संज्ञान लेने पर SC का हार्दिक आभार

-रवि जी. निगम

मानवाधिकार अभिव्यक्ति मा. सुप्रीम कोर्ट का देश की जनता की ओर से हार्दिक आभार व्यक्त करता है कि मा. न्यायालय ने देश में कोरोना के बिगडते हुए हालात पर स्वत: संज्ञान लिया जिससे देश की जनता को काफी हद तक राहत मिलने के आसार है क्योंकि इससे राज्य सरकारें हरक़त में आयेंगी जिसका लाभ सरकार के साथ-साथ जनता को ज्यादा होगा, मा. न्यायालय से निवेदन है कि श्रमिक उत्थान की मेल द्वारा भेजी गयी याचिका पर भी हो सके तो गौर अवश्य करें, जो जनहित में एक उचित न्याय होगा।

सुप्रीम कोर्ट को दिनांक -17/06/2020 को पूर्व प्रेषित ई-मेल द्वारा याचिका

https://manvadhikarabhivyakti.com/2020/11/22/हुजूर-को-लगता-है-निगरानी-स/

नयी दिल्ली : सोमवार को SC ने दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना वायरस महामारी की भयावह होती स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सभी राज्यों से स्थिति रिपोर्ट तलब की।

दिल्ली में भयावह स्थिति 
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कोरोना पर स्वत: संज्ञान लेने वाले मामले की सुनवाई के दौरान कहा, कि देश भर से कोरोना मामले के तीव्र वृद्धि की खबर आ रही है। वहीं पिछले दो सप्ताह में दिल्ली में स्थिति भयावह हुई है।

स्थिति की ताजा रिपोर्ट की तलब
न्यायालय ने कहा, कि कोरोना मामले की भयावहता को देखते हुए सभी राज्यों को निर्देश दिया जाता है कि वे कोरोना संक्रमण एवं इसके लिए किए जा रहे उपायों से संबंधित ताजा स्थिति की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश करें।

दिल्ली सरकार से इलाज का माँगा ब्यौरा
सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति भूषण ने दिल्ली सरकार से पूछा कि वह स्थिति को कैसे संभाल रही है और कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज कैसे किया जा रहा है ? क्या दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त बिस्तरों की व्यवस्था है ? इसके जवाब में सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बिस्तर रिजर्व किये गये हैं। इसके बाद खंडपीठ ने सरकार से रोगियों के प्रबंधन को लेकर ताजी स्थिति की रिपोर्ट पेश करने को कहा।