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श्रमिक उत्थान की PM और CM को सुझाव की चिट्ठी, कोरोनाकाल में 30 प्रतिशत ही फीस लेने की मंजूरी हो, शेष केंद्र व राज्य सरकार करे वहन

-रवि जी. निगम

पढें सरकार को सुझाव में क्या-क्या दिया गया है –

अध्य्क्ष – श्रमिक उत्थान / संपादक

अब देखना है कि इस आपदा के दौर में सरकार शिक्षा माफिया या देश की जनता के साथ, ये तो साफ होना ही चाहिये कि नहीं ? आज देश का भविष्य बाट जोह रहा है कि हमारी चुनी हुई सरकार हमारे हक़ की लडाई के साथ या देश को लूट रहे शिक्षा मांफिया के साथ ?

इसी विषय पर श्रमिक उत्थान ने एक सुझाव सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया है, जिसमें सुझाया गया है कि क्योंकर केंद्र व राज्य सरकारों को देश के नागरिकों के प्रति सहानुभूति का मरहम लगाने की जरूरत है, और देश के भविष्य के भविष्य को बचाने की सख्त जरूरत है, यही देश के भविष्य ही आगे चल कर कोई जज, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट बनेगा, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनेगा, तो क्या हमारी चुनी हुई सरकार का दयित्व नहीं बनता कि वो आमजन को इस आपदा के दौरान शिक्षा मांफिया से राहत दिलाये ?

जिसमें सुझाया गया है कि सरकार को सिर्फ अनएडेड स्कूलों को कुछ सहियोग करने से ही समस्या का हल निकाला जा सकता है, उसे यदि सरकार ऑनलाईन फीस लेने और शिक्षकों की सैलरी भुगतान करने की मंजूरी दी जाये ताकि पारदर्शिता हो सके कि स्कूल छात्रों से कितनी फीस वसूलते हैं और अपने शिक्षकों को कितनी सैलरी देते हैं

यदि सरकार इसपर निगरानी करले ले तो हो सकता है कि सरकार के ऊपर कोई खाश बोझ भी न आये और 30 प्रतिशत फीस ही काफी हो, लेकिन ये तो सरकार की मंसा पर निर्भर करता है कि उन्हे अब इन शिक्षा मांफिया का साथ देना है कि देश के नागरिकों का ?

पढें सरकार को सुझाव में क्या-क्या सुझाया गया है –

जनता कुछ विषेश गणमान्यों से पूछ रही सवाल, वाकई में कोरोना फरवरी में खत्म हो जायेगा ? पढें दावों का पोल खोल पोस्टमार्टम

-रवि जी. निगम

आज देश की जनता बडे असमंजस की स्थिति से गुजर रही कि हम प्राधानमंत्री जी के दावे पर विश्वास करें कि ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’ या आत्मनिर्भर भारत के एजेंडे पर चले ? या फिर स्वास्थमंत्री के बातों पर भरोसा करे ? या स्वास्थ मंत्रालय की कि कोरोना अब कमजोर पड गया है पर या फिर भारत सरकार के वैज्ञानिकों के समिति के दावों पर भरोसा करे कि फरवरी में कोरोना खत्म हो जायेगा ? लेकिन सवाल तो ये उठता है कि तो फिर वैक्सीन का इंतजार क्यों ?

जब कोरोना बिना वैक्सीन के ही नियंत्रण में आ गया है और अब जब फरवरी में ये खत्म हो जायेगा तो वैक्सीन जुलाई में किसको लगेगी ? माना कि गरीब अशिक्षित जनता हमारे देश में 60 से 70 प्रतिशत है लेकिन 30 से 40 प्रतिशत जनता तो साक्षर है कि नहीं या कोरोना में सब…. जिसके चलते ये देश के राज नेता अर्थात हम पर राज करने वाले जिनमें आधे से ज्यादा की ‘न इग्री, न डिग्री’ का पता वो सर्वोच्च पदों पर बैठ कर हमारे भाग्य का ही नहीं नीति का भी निर्धारण करते हैं, वो तय करते है कि हमें क्या करना चाहिये और क्या नहीं. इससे तो वो कहावत चरिथार्त होती नज़र नहीं आती है, कि ‘गंजे के सिर पे चमेली का तेल’ ?

SUTD की भविष्यवाणी (28 अप्रैल 2020)

भारत के लिए बहुत ही बड़ी राहत की खबर होगी। स्टडी के मुताबिक भारत में 24 मई तक कोरोना वायरस 97 प्रतिशत तक खत्म हो जाएगा। 20 जून तक यह 99 प्रतिशत खत्म हो जाएगा। इसे पूरी तरह खत्म होने में 31 जुलाई तक का वक्त लगेगा। इस दावे क्या हुआ आपके सामने है आज 75 लाख के पार मामला चला गया, जबकि 1 लाख 15 हजार से ज्यादा की मौंत हो चुकी है।

भारत सरकार के सरकारी पैनल का दावा (18 ऑक्ट. 2020)

कोरोना वायरस के फरवरी 2021 तक खत्म होने की संभावना है। अगर भारत ने मार्च में लॉकडाउन न लगाया होता तो देशभर में 25 लाख से ज्‍यादा लोगों की मौत हुई होती। अबतक इस महामारी से 1.14 लाख मरीजों की जान गई है। पैनल को उम्मीद है कि भारत में कोरोना के 10.6 मिलियन यानि एक करोड़ छह लाख से ज्‍यादा केस नहीं होंगे। अभी भारत में कोरोना के कुल 75 लाख से ज्‍यादा केस हैं। आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम. विद्यासागर की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति बनी है। समिति ने महामारी के रुख को मैप करने के लिए कम्प्यूटर मॉडल्स का इस्तेमाल किया है।

फरवरी तक महामारी पर काबू होने की भी उम्मीद है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब लोग कोरोना से बचाव के नियमों का पूरी तरह से पालन करना जारी रखें। लेकिन समिति जनता को तो सुझाव दे रही है परन्तु सरकार को ये नहीं समझा पा रही है कि यदि निरंतर टेस्टिंग आकडा कम कर दिये जायेंगे तो स्थिति और भी भयावह होगी ये सलाह देने के लिये क्या कोई दूसरी समिति बनेगी ? या फिर स्टडी के दावे की तरह ये भी दावा किया जा रहा है क्या इसका भी वही हश्र होने वाला है ? क्या 10 नवंबर को चुनाव नतीजे पक्ष में आये तो शपथ ग्रहण ने बाद या खिलाफ हुये तो तत्काल प्रभाव से कोरोना बम का विस्फोट होने की संभावना है ? क्या तब तक भारत को कोरोना में नंबर 1 बनने से रोके रहने के एजेंडे के तहत टेस्टिंग प्रक्रिया ऐसे ही चलेगी ?

जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को टीका लगाने का प्‍लान

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को टीका लगाने का प्‍लान है। उन्‍होंने बताया कि सरकार वैक्‍सीन के ट्रायल पर नजर बनाए हुए है और फिलहाल टीकाकरण अभियान की रूपरेखा तैयार की जा रही है। हर्षवर्धन ने यह तो कह दिया कि जुलाई तक भारत की लगभग 1/5 आबादी को कोरोना का टीका लग जाएगा। मगर उन्‍होंने यह नहीं बताया कि कौन सा टीका मंजूर होगा। आधिकारिक अपडेट यही है कि भारत में तीन वैक्‍सीन ऐसी हैं जो ट्रायल से गुजर रही हैं। अब स्वास्थमंत्री जी बतायें कि जब कोरोना फरवरी में खत्म होने वाला है तो इन टीकों का क्या होगा ? ये किसे लगाये जायेंगे ?

जून-जुलाई के महीने में होना है हज तो उसकी समीक्षा मार्च में क्यों संभव नहीं ?

नकवी ने सोमवार को यहां हज 2021 के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हज 2021 जून-जुलाई के महीने में होना है लेकिन कोरोना आपदा और उसके प्रभाव की संपूर्ण समीक्षा और सऊदी अरब सरकार एवं भारत सरकार के लोगों की सेहत, सुरक्षा के मद्देनजर दिशानिर्देशों को प्राथमिकता देते हुए हज 2021 पर अंतिम फैसला लिया जायेगा। नक़वी जी जब कोरोना फरवरी में खत्म हो जायेगा तो हज 2021 जून-जुलाई के महीने में होना है तो उसकी समीक्षा मार्च में क्यों संभव नहीं ? 2021 जून-जुलाई के महीने में क्यों ?

मुंबई पुलिस, कूपर अस्पताल और महाराष्ट्र सरकार की साख को धब्बा लगाने वाले दूर-दूर तक अफवाह फैलाने को मांफी नहीं मांगनी चाहिये ?

मुंबई – क्या सुशांत मामले में बट्टा लगाने वालों को माँफी नहीं मांगनी चाहिये ?

-रवि जी. निगम

सामाजिक कार्यकर्ता / संपादक

मुंबई – क्या चीख-चीख कर चिल्लाने से सच को झुठलाया जा सकता है ? आज जो अपने अफवाहों से सच्चाई को दूर-दूर तक… फैलाने में देश का वो देश भक्त मीडिया जवाबदार नहीं है जिसने चैनलों पर मीडिया ट्रायल चला रखी थी, जबकि जांच जारी थी ? जिसने देश की ही नहीं विदेश में अपनी शाक़ रखने वाली पुलिस की शाक़ को ही देश ही नहीं अपितु विदेश में भी गिराने का काम किया ? क्योंकि ये सिर्फ चिल्ला-चिल्लाकर सच ही दिखाते हैं, जो अपने सच के आगे कुछ भी नहीं दिखाते, तो जब झूंठ को सच का तमांचा पडा तो अब झूंठ को भी सच बताने से नहीं हिच-किचाते ?

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रही बात CBI की तो देश की सुप्रीम पॉवर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में जांच को आगे बढाया, लेकिन देश भक्त ये क्यों भूल जाते हैं कि ये सियासी हितलाभ के चलते इसे बिहार में रजिस्टर नहीं किया गया ? जिसका फायदा रॉबिनहुड ने लिया ? क्या जो इसका झंडा बुलंद कर रहे थे, अब उन सभी को चैनल में बिठाकर बहस की जायेगी ? जिसकी वजह से मुंबई के प्रतिष्ठित अस्पताल की जांच को शंका और संदेह के घेरे में लाकर मुंबई के प्रतिष्ठित अस्पताल और डॉक्टरों की गरिमा को धूमिल करने का दुष्साहस किया गया ?

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इतना ही नहीं क्या ये सिर्फ राजनीति के चलते महाराष्ट्र की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास नहीं था ? क्या अब उसे चिल्ला-चिल्लाकर अपने आपको पाक-साफ साबित करने का प्रयास नहीं जारी है ? क्या इससे भक्तीभाव पर पर्दा डालने की कोशिस है ? क्या दिल्ली टू मुंबई लैंड करने वाले रिवाइण्ड करके अपनी छवि को फिर से निहारेंगे ? वो जो चापलूसी का पाठ पढाने पर अमादा थे / हैं ?

महाराष्ट्र सरकार व पुलिस को नहीं चाहिये कि वो अब अगली बार भक्तों से विचार-विमर्श करके ही फैसला लें ?

इस लिये ही मेरा देश महान हैं , क्योंकि हम सिर्फ सच ही दिखाते हैं…. क्या देश को ज्वलंत मुद्दे से भटकाने का काम जारी है…?

हाथरस गैंगरेप – तीसरी आंख से क्यों डर लगता है हुज़ूर ? क्या जनता लाईव देखेगी और सुनेगी इस लिये ?

-रवि जी. निगम

आपकी अभिव्यक्ति –

सामाजिक कार्यकर्ता व संपादक - रवि जी. निगम
सामाजिक कार्यकर्ता व संपादक

हुज़ूर ‘मानवाधिकार अभिव्यक्ति’ के माध्यम से जनता जानना चाहती है कि पहले एसआईटी ने नाम पर क्योंकर विपक्ष और मीडिया को पीडित परिवार से मिलने से क्यों रोका गया ? जबकि परिवार वालों ने लाईव चैनलों पर बताया कि 1ऑक्टूबर को एसआईटी आई थी चार-पांच घंटे तक ही रही, तो पूरा अमला एसआईटी के नाम पर क्यों झूंठ बोलता रहा ?

अब जब मीडिया को पीडित परिवार से मिलने जाने कि छूट दी गयी है तो, प्रदेश के मुख्य गृह सचिव और डीजीपी पीडित परिवार से मिलने आ रहे हैं तो मीडिया को उसे कवर करने से क्यों रोका जा रहा है, माना कि यदि मीडिया जमावडे से बातचीत में बाधा उत्पन्न होगी तो क्या उसे माईक और कैमरा तो रखने की क्या अनुमति नहीं दी जानी चाहिये ? क्या यदि ये अनुमति न देना ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ आर्टिकल 19 का उल्लंघन नहीं है ? ये परिवार और पत्रकारिता को अधिकार से वंचित किया जाना नहीं माना जायेगा ? क्या डीएम पार्ट 2 करने का इरादा है ?

-मानवाधिकार अभिव्यक्ति , आपकी अभिव्यक्ति.