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अमरीकी जैविक युद्ध, चीन के ख़िलाफ़ तीसरे विश्व युद्ध की आहट, ईरान और इटली को भी दी गई इस बात की सज़ा

कोरोनो वायरस के घटनाक्रमों पर अगर नज़र डाली जाए तो अमरीका और चीन के बीच हालिया शाब्दिक युद्ध पर कोई ख़ास हैरानी नहीं होगी।

विदेश – हम चानी अधिकारियों से जो सुन रहे हैं, वहीं सबकुछ सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है। हालांकि चीन में सोशल मीडिया पर काफ़ी प्रतिबंध हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा लगता है कि लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे भी उसी तरह के सवाल पूछें, जैसा कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है कि चीन में कोरोना वायरस पहुंचाने का काम अमरीकी सेना ने किया है।

अमरीका में नेश्नल सिक्योरिटी काउंसिल ने व्हाइट हाउस के सीधे आदेशों के तहत इस विषय पर शीर्ष आपातकालीन बैठक की और उसे बहुत ही ख़ुफ़िया रखा गया। इस बैठक में ट्रम्प प्रशासन के गिने-चुने वरिष्ठ नेताओं को ही भाग लेने दिया गया, यहां तक कि इस बैठक में वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी भाग नहीं लिया, जबकि उन्हें वहां होना चाहिए था।

कोरोनो वायरस के घटनाक्रमों पर अगर नज़र डाली जाए तो अमरीका और चीन के बीच हालिया शाब्दिक युद्ध पर कोई ख़ास हैरानी नहीं होगी।

हम चानी अधिकारियों से जो सुन रहे हैं, वहीं सबकुछ सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है। हालांकि चीन में सोशल मीडिया पर काफ़ी प्रतिबंध हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा लगता है कि लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे भी उसी तरह के सवाल पूछें, जैसा कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है कि चीन में कोरोना वायरस पहुंचाने का काम अमरीकी सेना ने किया है।

अमरीका में नेश्नल सिक्योरिटी काउंसिल ने व्हाइट हाउस के सीधे आदेशों के तहत इस विषय पर शीर्ष आपातकालीन बैठक की और उसे बहुत ही ख़ुफ़िया रखा गया। इस बैठक में ट्रम्प प्रशासन के गिने-चुने वरिष्ठ नेताओं को ही भाग लेने दिया गया, यहां तक कि इस बैठक में वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी भाग नहीं लिया, जबकि उन्हें वहां होना चाहिए था।

इसलिए इन दो तथ्यों को एक साथ रखकर देखने की ज़रूरत है। पहला यह कि चीनी सोशल मीडिया पर एक महीने पहले से ही अफ़वाहों का जो बाज़ार गर्म था, अब वह अधिकारियें की ज़बान पर आ गया है कि कोरोना वायरस की महामारी वास्तव में अमरीकी बायोलौजिकल वार या जैविक युद्ध है।

आधिकारिक रूप से चीन की सरकार का यह रुख़ कोई मामूली बात नहीं है, बल्कि यह काफ़ी चिंता का विषय है। इसलिए कि अगर वास्तव में अमरीकी सरकार या उसके सहयोगियों या नियंत्रण से बाहर उसकी दुष्ट एजेंसियों ने जानबूझकर ऐसा किया है कि जिसकी सबसे अधिक संभावना है, तो इसमें कोई शक नहीं है कि यह सिलसिला तीसरे विश्व युद्ध पर जाकर ही ख़त्म होगा।

इस वजह से यूएस-चाइना व्यापार पहले ही बंद हो चुका है और अमरीकी और चीनी अर्थव्यवस्थाओं को अलग अलग किया जा रहा है, जो कि चीन पर अमरीकी साम्राज्यवादी हमले के लिए ज़रूरी है, ताकि चीन को विश्व की नंबर वन शक्ति का दर्जा हासिल करने से रोका जा सके।

यह भी एक सच्चाई है कि इटली में चीनी बंदरगाहों को भी स्पष्ट रूप से निशाना बनाया गया है और इटली को चीन के ड्रीम प्रोजैक्ट बेल्ट एंड रोड का हिस्सा बनने के लिए दंडित किया गया है।

उससे भी बड़ी सच्चाई यह है कि ईरान को स्पष्ट रूप से उसके शीर्ष नेताओं सहित निशाना बनाया गया है। यह सब जैविक युद्ध की संभावना को बल देता है।

ईरान की इस्लामी क्रांति सेना आईआरजीसी के प्रमुख और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी पहले ही कोरोना वायरस के अमरीकी जैविक हमले का हिस्सा होने की आशंका जता चुके हैं।

यह तथ्य कि ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी बैठकों को बहुत ही ख़ुफ़िया रखा है, जिसके कारण कोरोना वायरस को लेकर अमरीका की आधिकारिक स्थिति में पारदर्शिता की बहुत कमी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने इसी पारदर्शिता पर बहुत ज़्यादा बल दिया है। msm (अमरीकी लेखक केविन बैरेट)

इसलिए इन दो तथ्यों को एक साथ रखकर देखने की ज़रूरत है। पहला यह कि चीनी सोशल मीडिया पर एक महीने पहले से ही अफ़वाहों का जो बाज़ार गर्म था, अब वह अधिकारियें की ज़बान पर आ गया है कि कोरोना वायरस की महामारी वास्तव में अमरीकी बायोलौजिकल वार या जैविक युद्ध है।

आधिकारिक रूप से चीन की सरकार का यह रुख़ कोई मामूली बात नहीं है, बल्कि यह काफ़ी चिंता का विषय है। इसलिए कि अगर वास्तव में अमरीकी सरकार या उसके सहयोगियों या नियंत्रण से बाहर उसकी दुष्ट एजेंसियों ने जानबूझकर ऐसा किया है कि जिसकी सबसे अधिक संभावना है, तो इसमें कोई शक नहीं है कि यह सिलसिला तीसरे विश्व युद्ध पर जाकर ही ख़त्म होगा।

इस वजह से यूएस-चाइना व्यापार पहले ही बंद हो चुका है और अमरीकी और चीनी अर्थव्यवस्थाओं को अलग अलग किया जा रहा है, जो कि चीन पर अमरीकी साम्राज्यवादी हमले के लिए ज़रूरी है, ताकि चीन को विश्व की नंबर वन शक्ति का दर्जा हासिल करने से रोका जा सके।

यह भी एक सच्चाई है कि इटली में चीनी बंदरगाहों को भी स्पष्ट रूप से निशाना बनाया गया है और इटली को चीन के ड्रीम प्रोजैक्ट बेल्ट एंड रोड का हिस्सा बनने के लिए दंडित किया गया है।

उससे भी बड़ी सच्चाई यह है कि ईरान को स्पष्ट रूप से उसके शीर्ष नेताओं सहित निशाना बनाया गया है। यह सब जैविक युद्ध की संभावना को बल देता है।

ईरान की इस्लामी क्रांति सेना आईआरजीसी के प्रमुख और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी पहले ही कोरोना वायरस के अमरीकी जैविक हमले का हिस्सा होने की आशंका जता चुके हैं।

यह तथ्य कि ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी बैठकों को बहुत ही ख़ुफ़िया रखा है, जिसके कारण कोरोना वायरस को लेकर अमरीका की आधिकारिक स्थिति में पारदर्शिता की बहुत कमी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने इसी पारदर्शिता पर बहुत ज़्यादा बल दिया है। (अमरीकी लेखक केविन बैरेट)

साभार पी.टी.

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