अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस्राइल-हमास संघर्ष को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को लेकर हाल ही में जी-20 सम्मेलन के दौरान हुआ एलान भी हमास की तरफ से इस्राइल पर अचानक किए गए हमले का एक कारण हो सकता है। गौरतलब है कि यह परियोजना चीन के बेल्ट एंड रोड परियोजना को चुनौती देने वाली साबित हो सकती है। हालांकि युद्ध की वजह से तीन अलग-अलग भू-क्षेत्रों को जोड़ने वाली इस परियोजना पर फिलहाल रोक लग गई है।
बीते सात अक्तूबर को ही हमास के आतंकियों ने अचानक इस्राइल पर हमला बोला था और 1400 से ज्यादा लोगों को मार दिया था। इतना ही नहीं हमास ने कई लोगों को बंधक भी बना लिया। हमास के इस हमले के बाद इस्राइल ने गाजा पट्टी पर हमले किए हैं और इनमें अब तक 6500 से ज्यादा की मौत हो चुकी है।
क्या बोले अमेरिकी राष्ट्रपति?
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनका यह विश्लेषण सिर्फ उनकी समझ पर आधारित है, हालांकि इसे लेकर उनके पास कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं इस बात को लेकर लगभग यकीन में हूं कि जिस तरह हम क्षेत्रीय तौर पर साथ बढ़ा रहे हैं और इस्राइल भी इसमें शामिल है, तो यह तय है कि हम अब पीछे नहीं हट सकते। इस हफ्ते यह दूसरी बार है, जब बाइडन ने हमास की ओर से इस्राइल के खिलाफ जंग छेड़े जाने के पीछे भारत-मध्य पूर्व-यूरोपीय आर्थिक गलियारे को वजह बताया है।
गौरतलब है कि इस बार भारत में हुई जी-20 समिट में पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एलान किया था कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। यह भारत, यूएई, सऊदी अरब, EU, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका को शामिल करते हुए कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को लेकर सहयोग पर एक पहल होगी।
चीन के बेल्ट एंड रोड की स्पर्धा में आई थी परियोजना
भारत, अमेरिका, सऊदी अरब और भारत यूरोपीय संघ चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का मुकाबला करने के उद्देश्य से जी 20 शिखर सम्मेलन के मौके पर शनिवार को एक बहुराष्ट्रीय रेल और बंदरगाह सौदे की घोषणा की थी। इस सौदे की घोषणा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ मिलकर की थी।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत, मध्य पूर्व के साथ-साथ यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा देना और उन क्षेत्रों को बांधने के लिए एक आधुनिक स्पाइस रूट की स्थापना करना है। इससे लाभान्वित होने वालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग एक तिहाई हिस्सा होगा। अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि योजना में डेटा, रेल, बिजली और हाइड्रोजन पाइपलाइन परियोजनाएं शामिल होंगी। एक प्रस्तावित परियोजना संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इस्राइल सहित मध्य पूर्व में रेलवे और बंदरगाह सुविधाओं को जोड़ेगी। यह भारत और यूरोप के बीच व्यापार को 40 प्रतिशत तक बढ़ाएगी।