Site icon Manvadhikar Abhivyakti News

कल रात तो बस एक तमांचा मारा,बदला तो कुछ और है ! – आयतुल्ला ख़ामेनई

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने क़ुम नगर के हज़ारों लोगों से भेंट में महत्पूर्ण भाषण दिया।

विदेश – वरिष्ठ नेता ने 9 जनवरी सन 1977 में कुम के जनांदोलन के उपलक्ष्य में आयोजित स भेंट में इस दिन के महत्व का वर्णन किया और कहा कि कुम की जनता ने वरिष्ठ धर्मगुरु के समर्थन में जो आंदोलन किया था वह आगे चल कर एक क्रांति में बदल गया।

     वरिष्ठ नेता ने शहीद जनरल सुलैमानी के बारे में कहा कि वह केवल साहसी ही नहीं थे बल्कि साहस व सूझबूझ का संगम थे और सब से अधिक महत्वपूर्ण यह कि उनमें निष्ठा की भावना कूट-कूट कर भरी थी, वह दिखावा करने वाले नहीं थे और अपना साहस और अपनी सूझ बूझ ईश्वर के मार्ग में प्रयोग करते थे।

     वरिष्ठ नेता ने कहा कि क़ासिम सुलैमानी ने अपनी सूझ बूझ और रणनीति  का एक उदाहरण यह है कि उन्होंने क्षेत्रीय राष्ट्रों की मदद से पश्चिमी एशिया में अमरीकी साज़िशों को नाकाम बना दिया जिसके लिए अमरीका ने व्यापक स्तर पर कूटनीतिक और धन की शक्ति का प्रयोग किया था। इराक़, सीरिया और लेबनान में अमरीकी साज़िशें हमारे इसी प्रिय जनरल की वजह से विफल हो गयीं।

      वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि एक दूसरा आयाम, जनरल क़ासिम सुलैमानी की शहादत के परिणाम और प्रभाव हैं। वह जब भी अपने अभियानों की रिपोर्ट मुझे देते थे तो मैं उनकी तारीफ करता था लेकिन आज उनकी वजह से हमारे देश और इलाक़े पर जो प्रभाव पड़ा है उसके लिए मैं उनके आगे शीश नवाता हूं। बहुत बड़ा काम हुआ है, उनकी शहादत ने हमारे देश में क्रांति के जीवित होने को पूरी दुनिया के सामने साबित कर दिया। ईरानी राष्ट्र ने जिस तरह से उन्हें विदा किया है उसने पूरी दुनिया को इस शहीद की महानता के सामने सिर झुकाने पर मजबूर कर दिया है। 

     वरिष्ठ नेता ने कहा कि अब हमारा क्या कर्तव्य है? यह जो कल रात एक तमांचा लगाया गया है वह दूसरी बात है, महत्वपूर्ण यह है कि मुक़ाबले के मैदान में इस प्रकार की सैन्य कार्यवाहियां पर्याप्त नहीं हैं, महत्वपूर्ण यह है कि हमारे क्षेत्र में अमरीका की दुष्टता पूर्ण उपस्थिति का अंत होना चाहिए।

साभार पी.टी.

Exit mobile version