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कासगंज में कोहराम, गुनाहगार कौन: दहशत, अफवाहें और डरा हुआ मुसलमान । —— अमन पठान (आपकी अभिव्यक्ति)

गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर यूपी के कासगंज शहर में जो भी कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। गलती किसकी है और कुसूरवार कौन है यह हम सबको मालूम है लेकिन इस दंगे का दंश बेकुसूर आम जनता झेल रही है। कासगंज सहित पड़ोसी जनपदों में हर पल एक नई अफवाह जन्म ले रही है जो दहशत फैलाने के लिए काफी है। कासगंज जिला तो इस समय दहशत के दलदल में फंसा हुआ है।
2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम और यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही यूपी का मुसलमान अपना हर कदम फूंक फूंककर रख रहा है। पता नही कब उस पर क्या इल्जाम लग जाये। कासगंज में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को सोशल मीडिया पर जिस तरह दर्शाया जा रहा है उसकी हकीकत भी जानना उतना ही जरूरी है जैसे खाना खाने के बाद पानी पीना?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं पोस्ट मुसलमानों को ही सरासर दोषी ठहरा रही हैं, लेकिन हकीकत वायरल सच से बिल्कुल विपरीत है। आपको टीवी या सोशल मीडिया के जरिये जानकारी मिली होगी कि कासगंज में तिरंगा यात्रा पर मुसलमानों ने पथराव कर दिया और फायरिंग कर दी। जिसमें अभिषेक गुप्ता उर्फ चंदन की मौत हो गई। आगजनी, तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं घटीं। हिंसा के दूसरे दिन शनिवार 27 जनवरी को भी आगजनी तोड़फोड़ की घटनाएं घटित हुईं। दहशत और अफवाहों के चलते जिलेभर के बाजार बंद रहे, लेकिन आपको इस सच्चाई से किसी ने रूबरू नही कराया होगा कि तिरंगा यात्रा के दौरान विवाद शुरू कैसे हुआ। तो आइए जानते हैं वो सच्चाई जो मीडिया या सोशल मीडिया के वॉयरस आपको नही बताएंगे?
गणतंत्र दिवस के मौके पर एक समुदाय के युवाओं ने तिरंगा बाइक रैली का आयोजन सुनिश्चित किया। जिसके तहत तिरंगा वाहन रैली निकाली गई। बाइक सवार किसी युवा के हाथ में तिरंगा था तो किसी के हाथ में भगवा झंडा। वंदेमातरम, भारत माता की जय के जयकारों को गुंजायमान करते हुए तिरंगा-भगवा वाहन रैली मुस्लिम बाहुल्य इलाके बड़डू नगर पहुंची। जहां तिरंगा वाहन रैली के पहियों की रफ्तार कम हो गई और जयकारों के स्वर ऊंचे हो गए और जयकारे भी बदल गए। मुस्लिम इलाके में मुस्लिमों को उकसाने के लिए जयकारे थे हिंदुस्तान हिंदुओं का है, भारत में रहना है तो जय श्री राम कहना है, मुल्लों का एक ही स्थान पाकिस्तान या कब्रिस्तान? जब इस नारेबाजी का किसी ने विरोध नही किया तो वह वीर अब्दुल हमीद चौराहे पर तिरंगा और भगवा झंडा फहराने लगे। वहां मौजूद एक मुस्लिम युवक ने भगवा झंडा फहराने का विरोध किया तो उसके कपड़े खींचकर उसको थप्पड़ जड़ दिया। इसी को लेकर विवाद शुरू हुआ और कहासुनी देखते ही देखते मारपीट में बदल गई। तिरंगा यात्रा निकाल रहे विहिप, ABVP, बजरंग दल, हिन्दू वाहिनी के कार्यकर्ता अपनी बाइकें छोड़कर जान बचाकर भाग निकले। कुछ देर बाद दोनों समुदाय आमने सामने आ गए और पथराव फायरिंग होने लगी। जिसमें अभिषेक उर्फ चंदन गुप्ता की गोली लगने से मौत हो गई और नौशाद गोली लगने से घायल हो गया। इसके बाद दोनों समुदाय के लोग आक्रोशित हो गए।
सड़कों पर उतरे उपद्रवी तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं को अंजाम देने लगे। पुलिस ने उपद्रवियों से सख्ती से निपटना शुरू कर दिया और कर्फ्यू की घोषणा कर दी। प्रशासन को लगा कि अब हालात सामान्य हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नही हुआ। कुछ उपद्रवियों ने झंडा चौक स्थित एक मस्जिद को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद शुक्रवार की देर रात पीलीभीत से आगरा जा रहे कार सवार अकरम कुरैशी की कार रूकवाकर अकरम कुरैशी और उसके परिवार के साथ मारपीट की। इस घटना में अकरम कुरैशी गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसका जेएन मेडिकल कालेज अलीगढ़ में उपचार जारी है। इस सबसे अहम यह है कि इस घटना के बाद से तौफीक और मोहम्मद अच्छन लापता हैं।
उम्मीद थी कि शनिवार की सुबह होते ही हालात कुछ सामान्य हो जाएंगे, लेकिन हालात सामान्य होने के बजाय और बिगड़ गए। शनिवार को चंदन गुप्ता के अंतिम संस्कार के दौरान बीजेपी सांसद राजवीर सिंह राजू भैया ने बारहद्वारी पर आक्रोशित लोगों का गुस्सा शांत करने के बजाय उनके जख्मों पर नमक रगड़ दिया। इसके बाद आगजनी की घटनाएं शुरू हो गईं और उपद्रवियों ने चार दुकानों, एक घर सहित आधा दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया। शनिवार की देर रात तक उपद्रवी हाथ में पेट्रोल की बोतलें और पत्थर लेकर घूमते रहे।
अब सवाल यह है कि कासगंज में मचे इस कोहराम का गुनाहगार कौन है। यह हम सब जानते हैं और इल्जाम किसके सिर पर आएगा यह भी हमको पता है लेकिन इस दंगे का दंश बेगुनाह आम जनता को झेलना पड़ रहा है। जिसका कोई कुसूर नही है। लोग दहशत में है पता नही कब क्या हो जाये। कहने के लिए तो हालात सामान्य हैं लेकिन हिंसक घटनाओं से साफ जाहिर है कि अभी कासगंज में सब कुछ ठीक नही है।

– लेखक अमन पठान, केयर ऑफ मीडिया के संपादक हैं।

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