विधानसभा की सभी 19 सीटों पर भाजपा को जिताने के बाद भी बुंदेलखंड में हालात कुछ खास नहीं बदले।
यहां के लोगों को खास की उम्मीद थी, लेकिन पिछली सरकारों में उठते रहे सवाल आज भी कायम हैं।
अन्ना प्रथा पर बातें ज्यादा हुईं, काम कम। किसानों की कर्ज माफी का चुनावी वादा भी 100 फीसद पूरा नहीं हुआ। यहां के 15 लाख किसानों में मात्र 2.40 लाख किसानों का ही कर्जमाफ हुआ है।
योगी सरकार के एक साल के कार्यकाल में कोई बड़ा उद्योग बुंदेलखंड में शुरू नहीं हुआ। रोजी-रोटी की तलाश में महानगरों को पलायन करने वाले मजदूरों की संख्या में भी कमी नहीं आई। कानून व्यवस्था के आंकड़े गवाह हैं।
कि अपराध और अपराधियों पर लगाम नहीं लगी। दो माह पूर्व फरवरी में ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों का अब तक सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिला।
एक साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने बुंदेलखंड के तीन भ्रमण किए। हर दौरे में यही दिलासा दिया कि सरकार बुंदेलखंड की समस्याओं से बखूबी वाकिफ है और निदान के लिए गंभीर है, फिलहाल यह वादा, वादा ही है ।