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Wednesday, May 8, 2024

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OPD व्यवस्था डॉक्टरों की हड़ताल से चरमराई, 100 से अधिक सर्जरी दूसरे दिन भी टालनी पड़ी

बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में बीते बुधवार को जानलेवा हमले के विरोध में जूनियर रेजिडेंट-सीनियर रेजिडेंट(जेआर-एसआर) की हड़ताल की वजह से शुक्रवार को ओपीडी व्यवस्था चरमरा गई। दूसरे दिन भी मरीज कराहते रहे लेकिन जूनियर डॉक्टरों के साथ ही कई विभागों की ओपीडी में सीनियर डॉक्टर(आईएमएस बीएचयू के शिक्षकों) भी नहीं बैठे। उनके कमरे में ताला बंद रहा।

ओपीडी के बाहर मरीज अपने तीमारदारों के साथ डॉक्टर के आने का इंतजार करते रहे। पंजीकरण काउंटर और जांच केंद्रों पर भी सन्नाटे जैसा माहौल देखने को मिला। बीएचयू अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में इलाज न होने की वजह से करीब सात हजार से अधिक मरीज बिना इलाज के लौटे। इस दौरान करीब 100 मरीजों की सर्जरी नहीं हो सकी।

घंटों इंतजार के बाद भी मिली निराशा

बीएचयू अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर के जेआर- एसआर खुद के उपर जानलेवा हमले को लेकर नाराज हैं। गुरुवार की तरह ही शुक्रवार को भी कामकाज छोड़कर दिन भर आईएमएस निदेशक कार्यालय के पास बैठे रहे। इधर दूर दराज से इलाज कराने आए मरीजों को बहुत दुश्वारियां झेलनी पड़ीं।

अस्पताल के साथ ही सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में गैस्ट्रोलॉजी और नेफ्रोलॉजी ओपीडी सहित कई विभागों में सीनियर डॉक्टर नहीं बैठे। विभागों में पहले से डॉक्टरों को दिखाने वालों के साथ ही कुछ नये मरीजों ने भी हाथ में पर्चा कटवाकर उसे जमा कर दिया। इस उम्मीद में वह बैठे रहे कि सीनियर डॉक्टर आकर देखेंगे लेकिन यहां डॉक्टरों के कमरे पर ताला बंद रहा। जैसे ही पता चला कि डॉक्टर नहीं आएंगे, उनके चेहरे पर निराशा का भाव देखने को मिला। अपने अपने तीमारदारों के साथ मरीज बिना निराश लौट गए।

आईएमएस निदेशक कार्यालय से निकाला कैंडल मार्च

आईएमएस बीएचयू के निदेशक कार्यालय से जेआर, एसआर ने शुक्रवार शाम को कैंडल मार्च निकालकर घटना को अंजाम देने वालों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की। आईएमएस गेट से निकलकर महिला महाविद्यालय होते हुए रेजिडेंट बीएचयू सिंह द्वार होते हुए वापस आईएमएस गेट पर मार्च समाप्त किया। इसके माध्यम से घटना पर नाराजगी जताई।

निदेशक और एमएस ने की काम पर लौटने की अपील

आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो.एसके सिंह और अस्पताल के कार्यवाहक एमएस प्रो. अंकुर सिंह ने जेआर और एसआर से काम पर लौटने की अपील की है। इसमें कहा गया है कि रेजिडेंट डाक्टरों द्वारा 21-22 सितम्बर को दिये गये पत्रों में जो मांग की गई है, उन पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया है।

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