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एसीएमओ कन्‍नौज की जिद अदालत में पड़ी भारी, पहुंचे सलाखों के पीछे।

रिपोर्ट-विपिन निगम

तीन साल से नहीं पहुंच रहे थे गवाही देने। पुलिस ने गिरफ्तार कर किया कोर्ट में पेश तो वहां भी तैयार नहीं हुए गवाही देने को।

कन्नौज(यूपी): मथुरा अदालत में केस की सुनवाई के दौरान पुलिस और डॉक्टरों की गवाही देने में लापरवाही से केस लंबा खिंचता है और पीडि़त पक्ष को न्याय मिलने में देर होती है। इसे अदालत ने गंभीर माना है। स्पेशल जज ने तीन साल से तलब किए जाने पर भी गवाही के लिए कोर्ट में प्रस्तुत न होने पर कन्नौज में एसीएमओ पद पर तैनात डॉ. ब्रह्मदेव के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए। पुलिस ने उन्हें आगरा स्थित आवास से गिरफ्तार कर कोर्ट में प्रस्तुत किया, जहां से अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया।

मथुरा के थाना मगोर्रा में वर्ष 2015 में हत्या के आरोप, मारपीट सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें दो डॉक्टरों ने पीडि़तों का मेडिकल परीक्षण किया था, इसमें एक आगरा एसएन कॉलेज में तैनात रहे तत्कालीन डॉक्टर ब्रह्मदेव और दूसरे आगरा में प्राइवेट डॉक्टर अशोक सक्सेना थे। दोनों ही डॉक्टर लंबे समय से अदालत द्वारा तलब किए जाने के बावजूद गवाही देने नहीं आ रहे थे।

एडीजे चतुर्थ और स्पेशल जज अमरपाल सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकारी डॉक्टर ब्रह्मदेव के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए पुलिस को उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए।

बुधवार को मथुरा मगोर्रा पुलिस के एसआइ सुभाष चंद ने कन्‍नौज में तैनात एसीएमओ डॉ. ब्रह्मदेव को उनके आगरा के आवास विकास कॉलोनी के स्थित सप्तऋषि अपार्टमेंट में घर से गिरफ्तार कर कोर्ट में प्रस्तुत किया। अदालत ने उनकी लापरवाही को गंभीरता से लिया और अदालत से सीधा न्यायालय की कस्टडी में जेल भेज दिया। इस मामले में आगरा के प्राइवेट चिकित्सक डॉ. अशोक सक्सेना, जिन्होंने पीडि़तों का मेडिकल किया था, को कोर्ट में तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता भीष्म दत्त तोमर ने बताया कि अदालत ने डॉ. ब्रह्देव को जेल भेज दिया है।

मैं गवाही नहीं दूंगा

तीन साल तक गवाही के लिए कोर्ट में प्रस्तुत न होने और गिरफ्तार कर लाए जाने के बाद भी डॉ. ब्रह्मदेव के तेवर कम नहीं हुए। सूत्र बताते हैं कि अदालत ने उनसे कहा भी कि वह अपनी गवाही दे दें तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा, डॉक्टर साहब अड़ गए कि वह गवाही नहीं देंगे चाहे तो अदालत उन्हें जेल भेज दे। अदालत के समझाने पर भी जब डॉक्टर साहब गवाही देने के लिए नहीं माने तो कोर्ट को उन्हें मजबूरन जेल भेजना पड़ा।

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