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क्या अब तुर्की और सीरिया की लड़ाई समाप्त होने के क़रीब, क्या अर्दोग़ान, असद मिलेगें गले और पुतीन के चेहरे पर होगी विजेता की मुसकुराहट ?

अब्दुल बारी अतवान का जायज़ाः रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतीन और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान के बीच आने वाले दिनों में शिखर बैठक होने जा रही है और यही बैठक शायद सीरिया और तुर्की के संबंधों की बहाली की शुरुआत भी बन जाएगी।

विदेश – इस बैठक में उस अज़ना समझौते को पुनः लागू करने का रास्ता साफ़ हो सकता है जो सीरिया और तुर्की ने 1998 में किया था।

रूस ने बेहद होशियारी से जो योजना तैयार की है वह सीरिया की संप्रभुता की बहाली और युद्ध की पूर्ण समाप्ति में निर्णायक भूमिका निभा रही है।

पुतीन ने सीरियाई सरकार और कुर्द नेताओं के बीच बड़ी समझदारी से मुलाक़ात करवा दी और कुर्दों को सीरियाई सरकार की गोद में वापस पहुंचा दिया जो इससे पहले तक अलग देश बनाने का राग अलाप रहे थे। पहले तो इस बात को सुनिश्चित किया गया कि कुर्द और सीरियाई सरकार एक प्लेटफ़ार्म पर जमा हो जाएं और अब यह कोशिश की जा रही है कि सीरियाई सेना और तुर्की के बीच टकराव न हो।

रूस के लिए सबसे अधिक चिंता का विषय यही है कि किसी बिंदु पर पहुंचकर कहीं सीरियाई और तुर्क सेनाओं के बीच आपसी टकराव न शुरू हो जाए। क्योंकि यह हुआ तो रूस गंभीर धर्म संकट में फंस जाएगा कि दोनों घटकों में से किस का साथ दे। यह लड़ाई सीरिया में अब तक शांति प्रयासों और राजनैतिक प्रक्रिया को मिलने वाली सफलताओं का अंत कर सकती है।

सीरियाई सेना फ़ुरात नदी के अधिकतर पूर्वी इलाक़ों पर अपना नियंत्रण जमा चुकी है जहां तेल और गैस के भंडार हैं। इस इलाक़े से सीरिया को रोज़ाना चार लाख बैरल तेल मिलता है। अमरीकी सेना इन इलाक़ों से निकली तो कुर्दों ने सीरियाई सेना के लिए रास्ता खोल दिया जिसने मंबिज, रक़्क़ा, तल तमुर और कूबानी को अपने नियंत्रण में लिया और सीरियाई सैनिक तुर्की से मिलने वाली सीमा पर भी तैनात हो गए।

अब ख़बरें आ रही हैं कि रूस के शहर सूची में तुर्की और सीरिया के सुरक्षा अधिकारियों की मुलाक़ात हो सकती है। इसमें बड़े सुरक्षा अधिकारियों के साथ ही इंटेलीजेन्स प्रमुख भी शामिल हो सकते हैं और यहीं पर अज़ना समझौते को कुछ बदलाव के बाद नई ज़िंदगी मिल सकती है।

सवाल यह है कि क्या अब अर्दोग़ान और सीरियाई राष्ट्रपति बश्शार असद की मुलाक़ात का समय नज़दीक आ गया है, क्या अब हम समझौते होते देखेंगे जिनसे दोनों देशों के विवादों का अंत होगा और इस पूरी प्रक्रिया को राष्ट्रपति पुतीन अपने चेहरे पर मुसकुराहट सजाए देख रहे होंगे?

इन सवालों का जवाब हां में है क्योंकि पिछले सात वर्षों के अनुभवों से साबित हो गया है कि सीरिया संकट के मामले में रूस ने जब भी कोई क़दम उठाया है तो उसे कामयाबी ज़रूर मिली है। सीरिया और तुर्की का पुराना अज़ना समझौता सबसे के लिए निजात का साधन बनने जा रहा है।

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