31 C
Mumbai
Friday, May 3, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

कुर्द कौन हैं ? तुर्की और कुर्दों के बीच संघर्ष का क्या इतिहास है ? तुर्की उत्तरी सीरिया पर हमला क्यों करना चाहता है ?

रिपोर्ट – सज्जाद अली नायाणी

रविवार को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने एलान किया कि तुर्की जल्दी ही पूर्वोत्तर सीरिया में सैन्य ऑप्रेशन शुरू करने जा रहा है और वह अपने सैनिकों को इस इलाक़े से निकाल रहे हैं।

ट्रम्प का यह एलान दरअसल उत्तरी सीरिया में अमरीका के पुराने सहयोगी कुर्दों के ख़िलाफ़ तुर्की के ऑप्रेशन शुरू करने के लिए हरी झंडी है।

कुर्द कौन हैं?

कुर्द, दक्षिणपूर्वी तुर्की, उत्तरी इराक़, पश्चिमी ईरान, पूर्वोत्तर सीरिया और पश्चिमी आर्मेनिया के सीमावर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली एक क़ौम है जो कुर्द भाषा बोलती है और इनमें से अधिकांश सुन्नी इस्लाम के अनुयाई हैं।

एक अनुमान के मुताबिक़, कुर्दों की कुल आबादी 2.5 करोड़ से 3.5 करोड़ है। इनकी सबसे अधिक आबादी तुर्की में बसती है जो कुल कुर्दों की आबादी का क़रीब 50 प्रतिशत है, उसके बाद इराक़, ईरान और सीरिया में इनकी आबादी है।

तुर्की, सीरिया में तुर्क लड़ाकों के ख़िलाफ़ ऑप्रेशन क्यों करना चाहता है?

कुर्द संकट फ्रांसीसी और ब्रिटिश साम्राज्यों की देन है, क्योंकि विश्व युद्ध के बाद उस्मानी साम्राज्य के पतन के बाद इन दोनों साम्राज्यों ने मध्य पूर्व का नक़्शा तैयार किया और कई संकटों को जन्म दिया। इससे पहले कुर्द मध्यपूर्व के पर्वतीय इलाक़ों में शांतिपूर्ण जीवन बिताते थे और उनकी अधिकांश आबादी पशु पालन और खेती बाड़ी में व्यस्त थी।  

1978 में तुर्की के एक गांव में अब्दुल्लाह ओजलान के नेतृत्व में छात्रों के एक समूह ने कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) नाम के एक कुर्द संगठन का गठन किया, तुर्की में कुर्दों के पिछड़पन और उनके साथ होने वाले अन्याय को इसके गठन का मुख्य कारण क़रार दिया गया। 15 अगस्त 1984 को पीकेके ने तुर्क सरकार के ख़िलाफ़ पूर्ण सशस्त्र विद्रोह की घोषणा कर दी। इस सशस्त्र विद्रोह में अब तक क़रीब 40 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं। यह विद्रोह पहली सितम्बर 1999 तक जारी रहा, जब पीकेके ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी। लेकिन पहली जून 2004 को पीकेके ने युद्ध विराम को समाप्त करने का एलान कर दिया। 2013 में अब्दुल्लाह ओजलान ने सशस्त्र विद्रोह की समाप्ति का एलान कर दिया।

2011 में जब सीरिया में संकट की शुरूआत हुई और 2014 में दाइश ने इराक़ से लेकर सीरिया तक पैर पसार लिए तो कुर्दों ने अपने सामने एक बड़ा ख़तरा देखा और इराक़ से लेकर सीरिया तक इस ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए वे एकजुट हो गए।

दाइश के ख़िलाफ़ लड़ाई में सीरियाई और इराक़ी कुर्दों ने अमरीका का दामन थाम लिया। उन्हें ऐसा लगने लगा कि दाइश के पराजय के बाद वे एक स्वतंत्र देश की स्थापना कर सकते हैं।

लेकिन कुर्द विद्रोहियों के साथ एक लम्बे समय से संघर्ष करने वाले तुर्की के लिए यह स्थिति काफ़ी जटिल थी।

हालांकि सीरियाई कुर्दों का कहना है कि उनका पीकेके से कोई संबंध नहीं है, लेकिन तुर्की उन्हें पीकेके की ही एक शाख़ा मानता है, जिसकी नज़र में वह एक आतंकवादी गुट है। अंकारा सीरियाई कुर्द मिलिशिया वाईपीजी को अपनी संप्रभुता और अखंडता के लिए एक ख़तरा समझता है।  

तुर्क राष्ट्रपति का कहना है कि वह कुर्द बलों का सफ़ाया कर देंगे, क्योंकि वे आतंकवादी हैं और तुर्की की सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं।

उत्तरी सीरिया में ग़ैर क़ानूनी रूप से तैनात अमरीकी सैनिकों के निकलने का कुर्दों और तुर्कों के लिए क्या मतलब है?

इससे मध्यपूर्व में एक बार फिर लम्बे संघर्ष का मोर्चा खुल सकता है, जिससे पहले से ही मानवीय संकट का शिकार इलाक़े में लाखों लोग विस्थापित हो जायेंगे और बड़ी संख्या में लोगों की जान ख़तरे में पड़ जाएगी।

दूसरी ओर तुर्की पूर्वोत्तर सीरिया में 32 किलोमीटर का एक बफ़र ज़ोन स्थापित करके देश में मौजूद 20 से 30 लाख सीरियाई शरणार्थियों को यहां बसाना चाहता है। जिसका मतलब है कि उत्तरी सीरिया में कुर्दों का फिर कोई भविष्य नहीं रहेगा।

हालांकि कुर्द भी तुर्की हमले के मुक़ाबले में अपनी रक्षा के लिए तैयार हो रहे हैं और इसके लिए वे सीरियाई सरकार की सहायता लेने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए अगर तुर्की ने अपने ऑप्रेशन को सीमित नहीं रखा तो उसके लिए सीरिया में घातक परिणाम निकल सकते हैं।

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »