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प्रधानमंत्री आवास योजना नहीं मिल सका आवास,जनधन खाते ने लटकाया आवास।

रिपोर्ट-विपिन निगम

कन्नौज(यूपी): कन्नौज जनपद मे प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन करते समय जनधन खाता संख्या उपलब्ध कराने वाले 38 लाभार्थियों का आवास का सपना मझधार में फंस गया है। जनधन खाते में 50 हजार से ज्यादा की रकम का ट्रांजक्शन न होने के कारण पहली किस्त इन्हें नहीं मिल सकी। इससे छह माह बीतने के बाद भी आवास का निर्माण शुरू नहीं हो सका है। वहीं 401 लाभार्थियों का आवास अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया। शासन के आदेश पर विभाग ने ऐसे लाभार्थियों की रिपोर्ट भेजी है, जिनके खातों में अभी तक किस्त नहीं भेजी गई।

वर्ष 2017, 2018 और 2019 तक जिले में 13 हजार 378 प्रधानमंत्री आवास का लक्ष्य आया था। इनमें से करीब 401 लाभार्थी ऐसे हैं जिन्हें दूसरी किस्त नहीं मिल सकी। इनके आवास अपूर्ण हैं। आवास की पूरी धनराशि न मिलने से लाभार्थियों को खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं जिले में करीब 38 ऐसे लाभार्थी हैं, जिन्हें आवास के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। तकनीकी खामी के चलते इनके खातों में अभी तक आवास की पहली किस्त भी नहीं पहुंची है। शासन से रकम भेजी जा चुकी है।
विभाग का कहना है कि 38 लाभार्थियों ने आवेदन के समय जनधन खाते का ब्योरा दिया था। जनधन खाते में 50 हजार से ज्यादा की रकम हस्तांतरित नहीं हो सकती है। पहली किस्त 70 हजार की है। पीडी डॉ. रामचंद्र शर्मा का कहना है कि लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। कुछ आवास अभी तक अपूर्ण हैं। इन पर काम चल रहा है। जल्द ही सभी आवास पूरे कर लिए जाएंगे। कुछ लाभार्थियों के खाता नंबर में दिक्कत की बात सामने आई है। इस पर काम किया जा रहा है। सूची के सभी लाभार्थियों को लाभ दिलाया जाएगा।
मेरा तो बचत खाता था
खाते में हुई गड़बड़ी में बैंक कर्मियों की लापरवाही भी सामने आ रही है। जनधन खाते खुलवाने के समय टारगेट पूरा करने के चक्कर में कई बचत खातों को बैंक कर्मियों ने जनधन में बदल दिया। इस बारे में खाताधारक को जानकारी भी नहीं हुई। उमर्दा ब्लाक की ग्राम पंचायत फिरोजपुर की लाभार्थी फूलश्री पत्नी जागेश्वर व कैलाश पुत्र तोताराम ने बताया कि उनका बहुत पुराना बचत खाता था। वह जनधन खाते में कैसे बदल गया, इसकी जानकारी नहीं है।
नहीं मिल रहा आवास
सौरिख क्षेत्र के गांव बहादुरपुर मझगवां निवासी शिवकुमार पुत्र विजय बहादुर ने बताया कि पात्रता सूची में नाम होने के बाद भी योजना के तहत धनराशि नहीं मिली है। कच्चा मकान होने से बारिश में हमेशा भय बना रहता है। विभाग की उदासीनता के चलते छप्पर के नीचे जीवन गुजारना पड़ रहा है। सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को नहीं मिल रहा है।

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