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मानवाधिकार संगठनों की ओर से बहरैन में महिला राजनैतिक क़ैदियों के साथ दिल दहलाने वाली यातनाओं का पर्दाफ़ाश हुआ ।

रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने

मानवाधिकार संगठनों ने बहरैन में महिला राजनैतिक क़ैदियों के साथ दुर्व्यवहार का पर्दाफ़ाश किया है।

135 पेज की रिपोर्ट में, जिसका शीर्षक हैः “बहरैन की महिला राजनैतिक क़ैदियों द्वारा सुनियोजित दुर्व्यवहार का पर्दाफ़ाश” आया है कि बहरैन में महिला राजनैतिक क़ैदियों के साथ आपराधिक क़ानूनी प्रक्रिया के दौरान हर चरण में दुर्व्यवहार हुआ जिसमें उनसे अपराध को स्वीकार करने के लिए अवैध रूप से गिरफ़्तारी, शारीरिक, मानसिक और लैंगिक यातना शामिल है।

विदेश – बहरैन में महिला राजनैतिक क़ैदियों के साथ जेल में अत्यधिक दुर्व्यवहार व यातना का पर्दाफ़ाश करते हुए मानवाधिकार संगठनों ने मनामा शासन की ओर से मानवाधिकार के घोर उल्लंघन के लिए अमरीका और ब्रिटेन को ज़िम्मेदार ठहराया है।
बुधवार को एक रिपोर्ट में अमेरिकन्ज़ फ़ॉर डेमोक्रेसी ऐन्ड ह्यूमन राइट्स (एडीएचआरबी) और बहरैन इंस्टीट्यूट फ़ॉर राइट्स ऐन्ड डेमोक्रेसी (बीआईआरडी) ने कहा है कि इस देश में 2017 से जबसेबीआईआरडी बहरैन की घरेलू जासूसी सेवा को फिर से बहाल किया गया है, महिला कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार के समर्थकों के खिलाफ़ मानवाधिकार का उल्लंघन बढ़ा है।

2017 से ये मानवाधिकार संगठन 9 औरतों, उनके संबंधियों और वकीलों से इंटरव्यू कर रहे हैं।

इस रिपोर्ट में एम्नेस्टी इंटरनैश्नल, ह्यूमन राइट्स वॉच और वर्ल्ड ऑर्गनाइज़ेशन अगेन्ट टॉर्चर के 7 विशेषज्ञों ने टिप्पणी की है।

महिला कार्यकर्ताओं ने बताया कि अवैध गिरफ़्तारी के बाद जिसमें 3 लापता लोगों के मामले हैं, क़ानूनी प्रतिनिधित्व के बिना, बलपूर्वक पूछताछ की गयी। इस रिपोर्ट के अनुसार, बिना वकील के कम से कम 6 मुक़द्दमों के दौरान, 6 महिलाओं को अपराधी ठकराने के लिए बलपूर्वक पूछताछ की गयी, जबकि सभी महिलाओं ने कहा कि प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों ने उन्हें ब्लात्कार या मौत की धमकी दी। आधी औरतों ने कहा उन्हें लात, घूंसा मारा गया।

मदीना अली नामक महिला ने बतायाः “कार में बैठते ही ढाटा लगाए ,नागरिक वर्दी पहने व हथियारों से लैस व्यक्तियों ने यातना देनी शुरु कर दी।”

उन्होंने बतायाः “मेरी आंख में पट्टी बांध कर मेरे चेहरे पर मारा गया और मेरे सिर को दीवार से टकराया गया।”

इस रिपोर्ट में अमरीका और ब्रिटेन को बहरैन के आले ख़लीफ़ा शासन के अपराध में सहापराधी क़रार दिया गया है क्योंकि ये दोनों देश, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार के संबंध में चिंता की खुल्लम खुल्ला अनदेखी करते हुए, बहरैनी शासन को हथियार की आपूर्ति, ट्रेनिंग और राजनैतिक समर्थन दे रहे हैं।

ग़ौरतलब है कि बहरैन में फ़रवरी 2011 से इस देश में जनक्रान्ति जारी है। बहरैनी जनता अपने देश में जनता द्वारा चुनी गयी सरकार की मांग कर रही है।

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