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Tuesday, May 7, 2024

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बहरैनी सरकार ने इस्राईली प्रतिनिधिमंडल की यात्रा को क्यों कर दिया निरस्त ?

रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने

विदेश – अरब देशों के कुछ शासक अमेरिकी दबाव के कारण इस्राईल से आधिकारिक रूप से संबंध स्थापित करने की बात कर रहे हैं।
एक इस्राईली प्रतिनिधिमंडल बहरैन की यात्रा करना चाहता था परंतु  इस देश की जनता के कड़े विरोध के बाद इस्राईली अधिकारियों ने बहरैन की यात्रा को निरस्त कर दिया।
इस्राईल के साथ संबंध कुछ अरब देशों के शासकों के लिए एक समस्या बन गया है। अरब देशों के साथ इस्राईल के संबंधों को पहले सामान्य बनाना और फिर उन्हें सार्वजनिक करना डील ऑफ़ सेन्चुरी का मुख्य भाग है। यह विषय अरब देशों की जनता और उन अरब देशों के शासकों के मध्य तनाव में वृद्धि का कारण बना है जो आधिकारिक रूप से इस्राईल से संबंध स्थापित करना चाहते हैं।
रोचक बात यह है कि जहां अरब देशों की जनता विभिन्न प्रदर्शन करके इस्राईल के साथ संबंधों का कड़ा विरोध कर रही है वहीं अरब देशों के कुछ शासक अमेरिकी दबाव के कारण इस्राईल से आधिकारिक रूप से संबंध स्थापित करने की बात कर रहे हैं।
बहरैन उन देशों में से है जहां के शासक इस्राईल से आधिकारिक संबंधों को सार्वजनिक करने के इच्छुक हैं जबकि बहरैनी जनता इस्राईल के साथ संबंधों की मुखर विरोधी है। हालिया वर्षों में विभिन्न रिपोर्टें व ख़बरें प्रकाशित हो चुकी हैं जो इस बात की सूचक हैं कि इस्राईली अधिकारियों ने बहरैनी जनता के मुकाबले में आले ख़लीफ़ा की दमनकारी कार्यवाहियों का समर्थन किया है।
बहरैन के सबसे बड़े विपक्षी दल अलवेफ़ाक़ के सहायक और धर्मगुरू अब्दुल्लाह सालेह ने इस संबंध में बल देकर कहा है कि ब्रितानी, अमेरिकी और इस्राईली बहरैनी सुरक्षा के ज़िम्मेदार हैं। बहरैन की तानाशाही सरकार ने अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए अमेरिकी और जायोनी समर्थन पर विशेष रूप से भरोसा कर रखा है और इसी कारण आले खलीफा इस्राईल से आधिकारिक संबंध स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
बहरैन में ब्रिटेन के पूर्व राजदूत पीटर फोर्ड ने आले ख़लीफा के सलाहकार के पद से पिछले साल इस्तीफा दे दिया और उन्होंने इस्राईल से संबंध स्थापित करने हेतु बहरैनी सरकार के प्रयास के संबंध में कहा कि इस्राईल के संदर्भ में बहरैनी दृष्टिकोण मानवाधिकार का हनन करने के कारण इस देश की आंतरिक स्थिति से प्रभावित है।”
बहरहाल प्रतीत यह हो रहा है कि बहरैन की तानाशाही सरकार ने इस देश की जनता के मुखर प्रदर्शनों व विरोधों के दृष्टिगत इस्राईली प्रतिनिधिमंडल की बहरैन यात्रा को निरस्त किया है।

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