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यह दो मिसाइल इस्राईल के चुनावों का नतीजा तय करेंगे, फ़िलिस्तीनी संगठनों ने इतनी सटीक इंटेलीजेन्स जानकारियां कैसे जुटाईं? अरब जगत के मशहूर टीकाकार अब्दुल बारी अतवान का जायज़ा ।

सौ. फाईल चित्र

रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने

दो बैलिस्टिक मिसाइल, जो ग़ज़्ज़ा पट्टी से किसी फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधक संगठन ने उसदूद शहर पर फ़ायर किए जिस पर ज़ायोनियों का क़ब्ज़ा है और उस समय फ़ायर किए जब इसी शहर में ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिंजामिन नेतनयाहू चुनावी भाषण दे रहे थे, इसर्ईल में आगामी मंगलवार को होने जा रहे संसदीय चुनाव में बहुत बड़ी भूमिका अदा करेंगे।

जबकि जार्डन वैली को इस्राईल का हिस्सा बनाने की नेतनयाहू की घोषणा पर अरब देशों के विदेश मंत्रियों की प्रतिक्रियाओं का कोई असर नहीं होगा इसी तरह मृत सागर के उत्तरी भाग को इस्राईल का हिस्सा बनाने की नेतनयाहू की घोषणा का भी चुनावों के परिणामों पर कोई असर नहीं होगा।

सबसे ज़्यादा तकलीफ़ तो उन वाक्यों को देखकर होती है जो अरब विदेश मंत्रियों की प्रतिक्रियाओं में समान रूप से प्रयोग किए गए कि इस्राईल यह क़दम उठाएगा तो टू स्टेट समाधान और शांति प्रक्रिया को नुक़सान पहुंचेगा। इन अरब नेताओं को शर्म नहीं आती यह वाक्य बार बार दोहराते हुए?! उन्हें तो अच्छी तरह पता है कि टू स्टेट समाधान अमरीकी दूतावास को बैतुल मुक़द्दस स्थानान्तरित किए जाने, गोलान हाइट्स को इस्राईल हिस्सा बनाने के एलान तथा डील आफ़ सेंचुरी नामक योजना को सामने लाने के साथ ही समाप्त हो चुका है।

फिर वापस आते हैं दोनों मिसाइलों की ओर जिनके फ़ायर होते ही सायरन की आवाज़ें गूंजने लगीं और नेतनयाहू किसी डरे हुए चूहे की तरह सबसे क़रीबी भूमिगत सुरंग में जा छिपे ताकि अपनी जान बचा सकें। नेतनयाहू के चेहरे पर ख़ौफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। हम तो यह कहेंगे कि इस मिसाइल हमले की सबसे ख़ास बात थी इसके लिए इस विशेष समय का चयन जिससे पता चलता है कि फ़िलिस्तीनी संगठनों के पास इस्राईल के भीतर होने वाली गतिविधियों और कार्यक्रमों की पूरी जानकारी है ख़ास तौर पर नेतयाहू और बड़े अधिकारियों की गतिविधियों पर उनकी पूरी नज़र रहती है।

नेतनयाहू अपने वोटरों के सामने ख़ुद को उस चैंपियन की तरह पेश करते हैं जो इस्राईल की रक्षा कर सकता हो और ईरान, लेबनान तथा ग़ज़्ज़ा को पाषाण काल में पहुंचने की क्षमता रखता हो। मगर वह इस मिसाइल हमले के समय इतनी बुरी तरह डरे कि उनके सारे दावे खोखले साबित हो गए। नेतनयाहू की यह वीडियो सोशल मीडिया पर छा गई और यह कहावत सही साबित हुई कि कठिन समय आने पर पता चलता है कि कौन कितने पानी में है।

अधिकांश इस्राईलियों का ही यही मानना है कि नेतनयाहू माहिर झूठे इंसान हैं। अगर वह जार्डन वैली को इस्राईल का हिस्सा बनाना ही चाहते थे तो कई दशकों तक उन्होंने विलंब क्यों किया जबकि एसा करने से रोकना वाला कोई नहीं था। इस समय हुआ यह है कि उन्होंने अपनी लिकुड पार्टी के एलायंस की विजय बहुत कठिन दिखाई दे रही है इसी लिए वह बड़े बड़े वादे करके अपना वोट शेयर बढ़ाने की जुगत में लगे हुए है।

इस्राईली वोटर जो इस्राईल की सुरक्षा को सबसे बड़ी प्राथमिकता मानता है उस नेता के पक्ष में वोट करने से पहले कई बार सोचेगा जो मिसाइल हमले की सूचना पाकर इस बुरी तरह डर गया। दूसरी बात यह है कि नए इलाक़ों को इस्राईल की हिस्सा बनाने के नेतनयाहू के एलान से इस्राईल को शांति का मुंह देखना नसीब नहीं हुआ बल्कि उसकी असुरक्षा बढ़ गई है।

नेतनयाहू ग़ज़्ज़ा पट्टी पर हमला करने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे। यदि उनके पास इतनी हिम्मत होती तो जब ग़ज़्ज़ा स्थित फ़िलिस्तीनी संगठनों से कुछ महीने पहले इस्राईल का युद्ध छिड़ा था तो दौड़कर मिस्र न जाते और मध्यस्थता की विनती न करते। नेतनयाहू ने मिस्र से मध्यस्थता की भीख इसलिए मांगी थी कि यदि युद्ध जारी रहा तो 50 लाख ज़ायोनियों को भूमिगत सुरंगों में जाकर शरण लेनी पड़ेगी, तेल अबीब का बिन गोरियन एयरपोर्ट ध्वस्त हो जाएगा।

नेतनयाहू के बड़े बड़े वादों और उनकी रूस यात्रा सबे कोई ख़ास फ़ायदा उन्हें मिलने वाला नहीं है। इस समय इस्राईल इतने संकटों में घिर गया है कि उन्हें गिनना मुशकिल है। इस्राईली इस समय उत्तर दक्षिण और पूरब की दिशाओं से बुरी तरह घिर गए हैं। इस्राईल की सैनिक ताक़त लगातार घट रही है और इस्लामी प्रतिरोधक मोर्चे की ताक़त लगातार बढ़ती जा रही है।

नेतनयाहू का समय पूरा हो चुका है, उनका इंतेज़ार अब तेल अबीब की जेलें कर रही हैं। दोनों मिसाइलों को याद रखिए जिन्होंने पर्दा हटा दिया और बिल्कुल सही तसवीर सामने रख दी।

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