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संपादक की कलम से – तेल पे सरकार फेल या चल रहा है खेल ??? —- रवि जी. निगम

देशभर में हर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जिस प्रकार बढ़ोतरी हो रही है, क्या ये देश की जनता के साथ छलावा नहीं है, जिस बीजेपी ने पिछली सरकार को इसी मुद्दे पर घेरा था, उस वक्त भी डीजल पेट्रोल भारी वृद्धि की गयी थी, तब तत्कालीन सरकार ने यही सफाई दी थी, कि कच्चे तेलों में वृद्धि होने के कारण ये वृद्धि की गयी, लेकिन तत्कालीन सरकार ने उस वक्त इतनी एक्साईज ड्यूटी नही लगाई थी जितनी की इस वक्त वर्तमान सरकार वसूल रही है। जिसकी वजह से तेल कंपनियाँ भी खाशी कमाई करने में जुटी हैं। सरकार का खजाना कितना भर रहा है या कितना भर गया है, ये तो सरकार जानें लेकिन कंपनियों को फादया पहुँचा है ये तो यकीन के साथ कहा जा सकता है।

एक ओर जहां पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ रही है तो वहीं रुपये भी डॉलर के मुकाबले हर दिन निचले स्तर पर गिरता जा रहा है, 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव और उससे पहले 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस इस मुद्दे को हर हाल में भुनाना चाहती है, क्योंक उसकी सरकार को भी इसी मुद्दे पर बीजेपी ने घेरा था और सत्ता पर काबिज हुई, अब देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को तेल की बढ़ती कीमत और रुपये में जारी गिरावट के जरिए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करने का मुद्दा मिल गया है।

पेट्रोल और डीजल पर बढ़ी एक्साइज ड्यूटी चार साल में पेट्रोल पर 211.7% और  डीजल पर 443% एक्साइज ड्यूटी बढ़ी है, मई 2014 में पेट्रोल पर 9.2 रुपये एक्साइज लगता था और अब 19.48 रुपये लगता है. वहीं मई 2014 में डीजल पर 3.46 रुपये एक्साइज था, जबकि अब 15.33 रुपये लगता है। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में जल्द से जल्द लाया जाये, ऐसा हुआ तो कीमतों में काफी कमी आ सकती है। इससे बाकी चीजों की मंहगाई भी कम होगी, वैसे भी सरकार ने पिछले चार साल में एक्साइज ड्यूटी से 11 लाख करोड़ रुपए अर्जित किये हैं।

जबकि डॉलर के मुकाबले रुपये में भी लगातार गिरावट देखी जा रही है, यही रुपया कांग्रेस सरकार के समय डॉलर के मुकाबले रुपया 60 पर पहुंचता था तो मोदी कहते थे कि रुपया ICU में चला गया है, लेकिन वर्तमान मोदी सरकार को अपने बोले हुये वाक्य पर क्यों मौन है?

आखिर जनता को क्या मिला फायदा ? 

अच्छे दिनों का सब्जबाग के अलावा जनता के हिस्से में सिर्फ भाषण पे भाषण ?

किसानों और आम जनता को मिला सिर्फ अश्वासन |

आखिर किसको मिला फायदा ?

तेल कंपनियों को सरकार की खजाना भरने की नीति के कारण अप्रत्यक्ष रुप से भारी मुनाफा, क्योंकि कच्चे तेल की कम कीमत होने के बावजूद मंहगे दर पर तेल बेचना, ये तो साफ हो जाता है कि जो दूसरे देश हमसे पेट्रोल डीजल खरीदते हैं, वो अपने देश के भीतर हमारे की राजधानी दिल्ली जहाँ अन्य राज्यों से कम कीमत में तेल मिलता है, उससे भी काफी कम कीमत में बेचते हैं।

तो क्या सरकार तेल पे फेल ? या तेल पे जारी है खेल 

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