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संपादक की कलम से : सत्ता की ताकत का बेजा इस्तेमाल ? या प्रशासन बना कठपुतली ? —- रवि जी. निगम

लोकतंत्र खतरे में ? – ये सवाल कोई आम व्यक्ति द्वारा नहीं उठाया गया ये सवाल देश के सर्वोच्चतम न्यायालय के नंबर दो की पोजीशन के वरिष्ठ जजों के द्वारा ही उठाया गया था। जिन्हें जनता से न्याय पाने के लिये मीडिया का दरवाजा तक खटखटाना पड़ा था। ये हमारे देश की बिडम्बना ही कहिये की , जो आजादी के इतने सालों में नहीं हुआ था वो भी मजबूरन हो ही गया ।

आज की वस्तुस्थिति को देखते हुये, यदि इसका विश्लेषण किया जाय तो इसे यथार्थ से परेय नहीं किया जा सकता । क्योंकि जो वर्तमान में घटित हो रहा है वो दुर्भाग्यपूर्ण ही है। आज की सरकारें और उनकी मन्सा उनकी कथनी और करनी से ही स्पष्ट हो जाती है।

क्या ये एक संयोग या सत्ता की ताकत का बेजा इस्तेमाल ?

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, जिन पर एक युवती द्वारा गैंग रेप का आरोप लगाया गया, जो 2017 का मामला है, जिस पर युवती व परिजनों का आरोप है कि दबंग विधायक के दबाव के चलते मुकदमा दर्ज नहीं किया गया, विगत दिनों पूर्व जब युवती ने मुख्यमंत्री योगी के दफ्तर के बाहर आत्महत्या करने की कोशिस की तो मुख्यमंत्री योगी ने परिजनों को आश्वासन दिया की इस विषय पर कार्यवाही की जायेगी ।

हुआ ये कि झुल्लाये दबंग बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सेंगर ने युवती के पिता को ही पेड़ से बांध बुरी तरह पीट डाला, जब पीडि़त इसकी शिकायत करने थाने पहुँचा तो दबंग विधायक के दबाव में उलटा उस पर ही झूठा केश दर्ज कर जेल भेज दिया गया, जहाँ उसकी दूसरे दिन मृत्यु हो गयी।

जब मीडया ने इसे जोरदारी से उठाया तो योगी ने अपने दबंग विधायक को सिर्फ तलब किया, लेकिन उस पर कार्यवाही के आदेश नही दिये। लेकिन मामला उलझते देख SIT गठित कर जांच के आदेश दे दिये, वहीं पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में मृत्यु का कारण मारपीट की पुष्टि हुई है, पुलिस ने उसके भाई अतुल को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन दबंग बिजेपी विधायक को गिरफ्तार नहीं कर सकी।

बेटी बचाओं, बेटी पढ़ओं का नारा देने वाले मोदी जी के दंबाग विधायक नारा खेलने में लगे हुये। मोदी जी एक शब्द तक भी नहीं मुँह खोल कर बोलने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह जी को भी ये घटना दिखाई या सुनाई नही दे रही ? और बीजेपी के बड़बोले नेता भी मीडिया की ओर रुख करने से कतरा रहे हैं, कोई कुछ बोलने तक को तैयार नहीं दिखता ?

सवाल ये उठता है प्रशासन कठपुती की तरह कार्य करने को मजबूर ?

लेकिन दिल्ली में इसके उलट की होता है, जहाँ पर यदि दिल्ली सरकार का एक भी विधायक कोई गलती कर दे तो वहाँ वो तुरन्त अपराध में तब्दील हो जाता है और मीडिया ट्रायल भी तुरन्त शुरू हो जाता है। और बीजेपी के बड़े-बड़े दिग्गज मैदान में कूदं पड़ते हैं और चैनलों पर मोर्चा संभाल लेते हैं। पुलिस भी अतुरता के साथ विधायक को गिरफ्तार कर जेल भेजने में जुट जाते हैं।

योगी राज में एनकाउन्टर की झड़ी लगाने वाली पुलिस, बलत्कार के आरोपी दबंग बीजेपी विधायक को गिरफ्तार करने में असाहय ? और क्या हुआ उस जुमले का कि “अपराधी अपराध छोड़ दें या यूपी” ! और क्या हुआ उस आरोप का उत्तर प्रदेश में सरकार माफिया राज चलाती थी, उनके गुण्डे उगाही करते थे ?

मन्यवर आपके विधायक पर सारे आरोप तो लगे हुये हैं, फिर भी गिरफ्तारी नही हो रही ? इन्हे खाश विशेषाधिकार प्राप्त है ?

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