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सुना है हुजूर आत्मनिर्भर भारत के खुले आबोहवा में निकलकर, बिहार चुनाव में 12 रैलियां करेंगे…!!!

-रवि जी. निगम

व्यंग – (आपकी आभिव्यक्ति)

थोथे वादों से कुछ नहीं होता…! न ही 80 हजार, 90 हजार या सवा लाख से….

चलिये खैर देर से ही सही लेकिन…. हुजूर ने बेचारी गरीब जनता की सुध तो ली, अभी तक तो बिहार चुनाव में चुनाव जैसा कुछ भी नहीं लग रहा था, क्योंकि कहते हैं चुनाव में ‘बिन हुजूर सब सून’ खैर रैलियों की तारीखों के ऐलान के बाद लगा कि बिहार में सायद चुनाव होने वाले हैं, क्योंकि ये सब तो चुनाव तारीख के घोषणा से 6 महिने पूर्व ही शंखनाद हो जाता था, ये तो बुरा हो उस कोरोना का जिसने हुजूर को आत्मनिर्भर होने में इतना समय बरबाद कर डाला, नहीं तो पिछली बार के 31 रैलियों के अपने ही रिकॉर्ड को कबका ध्वस्त कर चुके होते…!!

कोरोना का भूत ही कुछ ऐसा है कि बडे-बडों…..बिगाड डाली है, लेकिन किसी की बिगडी हो या न हो जनता कि तो पूरी की पूरी बिगडी पडी है, क्योंकि उसको तो हुजूर ने पहले ही आत्मनिर्भर बना दिया था, बेचारी जनता किस्मत और लाचारी की मारी ‘मरती क्या न करती’ दो जून की रोटी-रोजी तलाशने निकल पडी, क्योंकि पांच किलो गेहूं/चावल और दो किलो चना को ओढे कि बिछाये, प्रभू इसके अलावा भी कुछ और भी जरूरत होती है कि गेहूं/चावल और दो किलो चना बिना पिसाये, बिना पकाये ही खाये, नमक, तेल, मसाला, ईधन आदि की भी जरूरत पडती है कि नहीं ? जो मुफ्त में देना था तो सुप्रीम कोर्ट के कहने के बावजूद नहीं दिया, कि मुफ्त इलाज़ ही कम से कम कर दिया होता, जिससे जिंदगियां बचाई जा सकती थी और बचाई जा सकती है, यदि एक लाख करोड का कर्ज उसके नाम पर ले लिया होता और मुफ्त इलाज़ जोरों पर शुरू कर दिया होता तो आज इतनी हालत खस्ता नहीं हुई होती।

आखिर यही जनता है न जो काम करेगी तो सरकार का खज़ाना भरेगा ? न कि ठप्प पडी पूंजीपतियों के करखानों से ? तो हुज़ूर पहले जनता को बचाओ तभी ये पूंजीपति बचेंगे ? नहीं तो इनकी बैण्ड बाजा बारात निकल पडेगी, हुज़ूर एक तरफ जुमला ‘जब तक दबाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’ और दूसरी तरफ टेस्टिंग के नाम पर डोर टू डोर सिर्फ फर्जी आकडे भरना की जांच की और जांच के नाम पर जनगणना करना कि कितने लोग हैं घर में मोबाईल डाटा जमा करना, हुज़ूर ये कैसी टेस्टिंग है ? कहाँ गया रेपिड टेस्टिंग किट का फंडा ? कितनों की जांच की वो लाखों टेस्टिंग किट बनाने के दावे कहाँ गये क्या वो भी पिछ्ले बिहार चुनाव में थोथे दावे या जुमले की तरह थोथे थे कि 80 हज़ार करूं कि 90 हज़ार करूं एक नहीं सवा लाख करोड का विकास का दावा था, वो जैसे काफुर्र हो गया क्या रेपिड टेस्टिंग किट का फंडा भी उसी जुमले की तरह है और घर बैठे सेलरी भी ही जुमला साबित हुई, आखिर इतना भद्दा मजाक भोली-भाली जनता से आखिर क्यों ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दर्जन चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे. सभी चुनावी रैलियों में उनके साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंच साझा करेंगे. पहले चरण के मतदान से पहले 23 अक्टूबर को सासाराम में दोनों नेता संयुक्त चुनावी रैली को संबोधित करेंगे. पहले ही दिन पीएम और सीएम गया और भागलपुर में भी क्रमश: दूसरी और तीसरी रैली को भी संबोधित करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री 28 अक्टूबर को दूसरी बार बिहार में चुनावी रैलियों को संबोधित करने आएंगे. उस दिन दरभंगा में पहली रैली करेंगे. उसके बाद पटना जिले में ही दो अन्य रैलियां करेंगे, इनमें एक पटना में होगी. तीसरी बार पीएम के दौरे में भी तीन रैलियां होंगी. 1 नवंबर को पीएम और सीएम पहले छपरा फिर पूर्वी चंपारण और समस्तीपुर में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे।

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