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Sunday, April 28, 2024

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सुशांत केस – CBI और ED खाली हाँथ ? NCB का ड्रग्स मामले में सारा और श्रध्दा को समन, पावना ड्रग्स पार्टी ऑर्गनाईजर पर खामोश ?

-रवि जी. निगम

आपकी अभिव्यक्ति यानी जनता की अभिव्यक्ति

चर्चित सुशांत मामले में आज देश में जो बाजार गर्म है उस पर विश्लेषण करना बहुत जरूरी है कि क्या ? सुशांत सुसाईड से मामला आज कहाँ पहुंच गया है इस पर भी विचार किया जाना भी जरूरी है, क्या सुशांत मामला राजनीतिकरण का एक हिस्सा बनता चला गया, क्या मेंनस्ट्रीम मीडिया ने इसे एक दिशा की ओर नहीं ढकेल दिया ?

आज देश के नंबर वन मेंनस्ट्रीम मीडिया का खिताब या तमगा लगाने वाले क्यों कर देश के मेंन मुद्दे से भटका कर कुछ विशेष घटनाओं को देश का मुख्य मुद्दा बनाने पर अमादा हैं, जिसमे दो राज्य के अस्मिता का सवाल बनाकर रख दिया, क्या जनता इसे भलीभांति समझ नहीं रही है ? आखिरकार चल क्या रहा है ? देश कोरोना से कराह रहा है, बेरोजगारी का स्तर 45 वर्ष पीछे चला गया है, अर्थ व्यवस्था चरमराकर -23.9% के स्तर पर जा पहुंची, व्यापारियों के संगठन सरकार से अपने ध्वस्त हो गये व्यवसायिओं के व्यवसाय को पुन: पुनर्जीवित करने पर सहयोग देने की मांग कर रहे हैं, किसान आज सडकों पर उतरा हुआ है सुसाईड करने पर मजबूर है इतना ही नहीं सरकार के सहियोगी पार्टी के केंद्रीय मंत्री ने इस्तीफा तक दे दिया है, लेकिन हुज़ूर मेंनस्ट्रीम मीडिया जनता के साथ नहीं जनार्दन के साथ खडा दिखाई देता है, हुज़ूर सिर्फ विज्ञापन का सवाल है ऑयल डीपो के आवंटन को बरकरार रखने का सवाल है, हुज़ूर के बिहार चुनाव का सवाल है कि नहीं ? आज कोरोना से देश के आम , खाश, और जनता प्रतिदिन हजार से ज्यादा की संख्या में मर रही है लेकिन उन्हे ये सब मुद्दे जनता के मुख्य मुद्दे नहीं दिखाई देते हैं, वो सिर्फ उन्ही मुद्दे में मशगूल हैं जो जनार्दन के हित को साधते हैं ?

हुज़ूर 15 हज़ार से 53 हज़ार …….कैसे ?

अब ये समझना बहुत जरूरी है कि सुशांत मामला नेपोटिज्म से शुरू हुआ एक महिने तक कुछ चंद खाश लोगों को निशाना बनाया गया अंत में निस्कर्ष क्या निकला ? उसमें जो लोग मानसिक रूप से प्रताडित हुए तो उसका जिम्मेदार आखिर कौन ? जब मुद्दा टांयटांय फिश हो गया तो जांच का एंगल रिया चक्रवर्ती के तरफ घूम गया क्यों ? इस लिये कि मामला शांत होता दिखाई पडने लगा लेकिन एक प्लस प्वाईंट सरकार को दिखाई पडा कि इसे जनता का मुख्य मुद्दा बनाया जा सकता है ? क्योंकि कुछ राजनेता इसे बिहार का मुद्दा बनाना चाह रहे थे, जिसे बिहार सरकार ने लपक लिया और सुशांत के पिता के पाले में गेंद उछाल दी और अंततोगत्वा मामला बिहार में रजिस्टर हो गया कि रिया ने सुशांत के खाते से 15 हज़ार रूपये उडा दिये जिसके बाद मामला दो राज्यों के सम्मान का विषय बन गया यही है न हुज़ूर ?

जब बिहार सरकार ने मामला दर्ज कर लिया तो जांच टीम बिहार से मुंबई जांच करने पहुंची उसके बाद दुनियां ने देखा की क्या हुआ, हाँ एक खाश व्यक्ति ने इसका पूरा राजनीतिक लाभ उठाया, अब तो वो आगामी बिहार चुनाव में भाग्य को आजमाने की तैयारी में जुट गये हैं, वहीं बिहार सरकार ने गेंद केंद्र के पाले में डाल दी और मामला सुप्रीम कोर्ट के रास्ते CBI को सौंप दिया गया, जो मुंबई पुलिस पर सवालियां निशान लगा रहे थे, लेकिन वो उस CBI और ED पर कुछ सवाल उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पायें हैं जो चन्द दिनों में मामले का खुलासा कर देने के लिये इसी CBI और ED को लेकर दम भर रहे थे, लेकिन CBI और ED वापस दिल्ली जा चुकी है, वो मंत्रणा करने में लगे हैं, अभी उनका निस्कर्ष आना बाकी है, वहीं मामला ड्रग्स एंगल की ओर 360 डिग्री में घूमकर NCB के पाले में चला गया,

लेकिन मामला सुशांत सुसाईड एंगल से बाहर ले जा करके ड्रग्स एंगल की ओर क्यों मोड दिया गया ? क्या CBI के द्वारा जांच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो रिया चक्रवर्ती के खिलाफ मामला सिध्द हो सके जिसके तहत मामला रिया के खिलाफ रजिस्टर हुआ था, रिया के खिलाफ ED भी जांच करने मुंबई आई लेकिन बैरंग वापस चली गयी ? उसके बाद मीडिया ने विसरा को लेकर मुद्दा गरमाया कि अब एम्स के डॉक्टर सुशांत मामले में खुलासा करने वाले हैं उसका क्या हुआ पता नहीं ? लेकिन कुछ खुलासा हो पाये या नहीं लेकिन अब ड्रग्स मामले में बडे खुलासे हो रहे हैं सोशल मीडिया पर धूम है मीडिया ट्रायल चरम पर है, अब हिंदोस्तान से ड्रग्स का सफाया मीडिया करके ही दम लेगा बस बिहार चुनाव तक इंतजार कीजिये, माल हज़म तो मुद्दा खतम ?

सबसे बडा सवाल….. कि सुुुुुुुशांत मामला हत्या से शुरू हुुुआ, नेपोटिज्म से 15 करोड रूपयेे केे गमन के आरोप तक पहुंंचा, जब कुछ हाँथ नहींं लगा तो अब ड्रग्स मामले की ओर बढ चला, सवाल तो ये उठता है कि जो व्यक्ति नशेे को अपनी पार्टी में परोस रहा था वो विक्टिम (पीडित) लेकिन उसके चेेेेले-चपाटे आरोपी, (कहते हैं कि अज़ब तेरी दुनियां, अज़ब तेरा खेल…..) ? ये कहाँ का इंसाफ है ? करे कोई भरे कोई ? क्या बिहार चुनाव के चलते ये सब भी देखने को मिलेगा ? 15 करोड का हिसाब हुआ नहीं, अब 53 करोड तक बात पहुंच गयी, दद्दा ये तो बताओ तीन साल में ये छप्पर फाड दौलत आई कहाँ से ? ड्रग्स पैडलर की चर्चा तो जोरों में है, बॉलीवुड के सितारे घेरों में हैं, इनके गुरू के नाम पर चर्चा क्योंकर नहीं हो रही ? जो ड्रग्स माफिया के साथ मिलकर अपनी पार्टी पावना डैम के पास अपने फार्म हाऊस पर सजाया करते थे और ‘माल’ परोसते थे ? इस लिये क्योंकि वो है बिहार का लाला… जो जुर्म करे ड्रग्स वाला… तो CBI, ED और NCB ने उस पे क्यों नहीं नज़र डाला ?

सारा अली और श्रध्दा कपूर को समन जारी किया गया इस लिये की उनका नाम पावना डैम के बोटमैन ने खुलासा किया है कि रिया के अलावा ये दोनों भी उस जगह पार्टी मनाने के लिये आयीं थी, जिसके आधार पर सायद उन्हे समन भेजा गया, वहीं व्हाट्सएप पे चैट मिलने और पार्टी ऑर्गनाईजर की मैंनेजर के बयान के आधार पर बडी सिताराओं को समन भेजा गया है, जिसे लेकर मेंनस्ट्रीम मीडिया के ठेकेदार मीडिया पर जोर-जोर से चिल्ला-चिल्लाकर बॉलीवुड को वुलीवुड करार देने में कोई कोर कसर नहीं छोड रहे हैं क्योंकि ये देश का सबसे अहम मुद्दा है ? लेकिन ड्रग्स माफिया और बॉलीवुड के लोगों को जो नशा परोस रहा था, जिसके सारे के सारे सबूत फार्म हाऊस में मिले जो इनके बीच का माध्यम था, उसपे कोई सवाल पूंछने से क्यों घबरा रहे हैं ? क्या हुक़्क़ा पानी बंद होने का डर है ?

अरे दद्दा अब तो देश की जनता पर रहम करो, अब तो आर्टिकल 19 की बात करने वाले सायद शर्तों के आधार पर फिर से बहाल हो गये हैं, एक जिनसे ही सच्चाई को सामने रखने की एक उम्मीद भी दिखती थी अब तो वो ज़ुबां भी सायद खामोश हो गयी है, प्रभू ड्रग्स के परोसने वाले की सम्पत्ती की जांच और करोडो का धन एकत्र करने वाले तथा किराये के फ्लैट और फार्म हाऊस होल्ड करने वाले इतना धन कहाँ से कमा रहे थे ? क्या इसकी जांच भी केंद्रीय जांच एजेंसियां करेगी ? क्या इस पर भी मेंनस्ट्रीम मीडिया चर्चा, बहस और चिल्ला-चिल्लाकर सवाल पूंछेगी ? क्योंकि इस मुद्दे के अलावा उसके पास और कोई मुद्दा तो दिखता ही नहीं है, जबकि देश जल्द ही विश्व गुरू यानी पहले पायदान पे पहुंचने वाला है, ये इन्हे मुद्दा नहीं दिखता है ? कोरोना से देश की जनता के मरने वाले आकडे जल्द ही एक लाख के आकडे को छूने वाले हैं, लेकिन इसे ये नहीं छुयेंगे क्योंकि डर लगता है ? बस उसे सरकार की पीठ थपथाने वाले बयान के साथ पेश किया जायेगा ? दूसरे देशो के हाल पर तो बडी-बडी बातें की जायेंगी ! इस विषय पर भारत नहीं पूंछेगा ?

जब देश का मेंनस्ट्रीम मीडिया नंबर वन मीडिया के माध्यम से भारत पूंछेगा तो बॉलीवुड को ज़वाब देना चाहिये की नहीं ? जब ये सितारे देश की जनता के रोल मॉडल हैं, आदर्श हैं, जनता इनके द्वारा दिखाये गये रास्तों का अनुसरण करती है, तो क्या इन सभी सेलेब्रिटीज को कोरोना मामले में देश की जनता की आवाज नहीं बनना चाहिये ? जब कोरोना से देश कराह रहा है तो जनता की आवाज नहीं उठाना चाहिये ? क्योंकि बकौल मीडिया देश के उज्वल भविष्य का बॉलीवुड ही आधार स्तंभ है, तो अब उसे इस पर अपना कर्तव्य पालन नहीं करना चाहिये ? जब देश के बेरोजगारियों की आह घोंटी जा रही हो तो क्या इन्हे अपना दायित्व नहीं निभाना चाहिये ? जब अर्थ व्यवस्था चरमरा गयी हो और आवाज़ उठाने वाले अपना कर्तव्यों और दायित्वों को ताख पर रख कैमरा लेकर सिर्फ एक ही काम में व्यस्त हो गये हो तब बॉलीवुड को अपनी जिम्मेदारी नहीं निभानी चाहिये ? करोडो रूपये का टैक्स भरने वाले सितारे देश की जनता के जख्म को भरने का काम नहीं कर सकते हैं ? और जब देश की जनता के मुद्दे उठाने वाले आपना कर्तव्य भूल गये हो तो क्या उन्हे आईना दिखाने का काम नहीं कर सकते हैं ? क्या ये देश की सबसे बडी इंडस्ट्री जो सबसे ज्यादा टैक्स भरती है तो क्या कोरोना से कराह रही जनता के जख्म को नहीं भर सकती है ? तो उसे कोरोना के संक्रमण के रोकथाम और इलाज़ के लिये अपनी प्रतिभा के माध्यम से फंड एकत्र करने के लिये कार्यक्रमों के आयोजन कर उनके उपचार के लिये एक राहत कोष बनाकर जनता की मदद नहीं करनी चाहिये, जो जनहित में ऐसे वक्त में एक बडा योगदान के रूप में होगा ? और खाली मुंह बजाने वालों को करारा जवाब ? ये विचार करने योग्य है कि नहीं ? मैं तो देश के महानायक से भी नम्र निवेदन करूंगा कि वो इस विषय पर अपनी इंडस्ट्री से बात अवश्य करें…..

मुंबई पुलिस की छवि खराब करना कितना उचित ?

क्या मुंबई पुलिस को राजनीति के जाल में फसाकर उसकी विश्व स्तरीय छवि को बिगाडने का काम मात्र सत्ता पाने के खातिर करना कितना उचित है ? और क्या ये ड्रग्स रैकेट चन्द महिनों की सरकार के कार्यकाल में ही फलाफूला ? माना आज जो ये आरोप मढा जा रहा है कि सरकार के इशारों पर पुलिस काम कर रही है जो केंद्र की जांच एजेंसियों को सहियोग नहीं कर रही है सायद ? तो 2014 से 2019 तक तो एक ही विचारधारा और एक ही पार्टी की सरकार महाराष्ट्र में थी तो क्या तब ड्रग्स रैकेट या ड्रग्स के मामले सामने नहीं आये, जब ये कहा जा रहा है कि बॉलीवुड को ड्रग्स मामले में खुलकर सामने आना चाहिये तो ‘उडता पंजाब’ किस विषय पर आधारित फिल्म थी ? ये जवाब है किसी के पास, तब ये देश के कर्मवीर कहाँ सो रहे थे ? आज उसी फिल्म के निर्माता आदि को भी उसकी आंच छू रही है, तब जांच एजेंसी को तो पूरा सहियोग पुलिस से करा सकते थे कि नहीं ? तब बॉलीवुड वुलीवुड नहीं था ? सवाल अनेक हैं… पर जवाब….. में वेबसाईट पर फेशबुक पर अब्यूज मैसेज पोस्ट करने के नाम पर प्रतिबंध…!!!!

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