यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने अलर्ट में कहा है कि कोरोनावायरस के कारण अस्पताल में भर्ती कुल मरीजों में से केवल आठ फीसदी को बैक्टीरिया के कारण भी संक्रमण का पता चला। इसका उपचार एंटीबायोटिक्स दवाओं से किया जा सकता है, मगर हर चार में से तीन मरीजों को बिना विशेष जरूरत के ही दवा दे दी गई।
विषाणु, जीवाणु, फफूंदी और अन्य परजीवों में समय बीतने के साथ होने वाले बदलावों के कारण रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित हो जाता है। इस स्थिति में एंटीबायोटिक व अन्य जीवनरक्षक दवाएं अनेक प्रकार के संक्रमणों पर असर नहीं कर पातीं। हर प्रकार के बायोटिक के लिए प्रतिरोधी हो चुके बैक्टीरिया के प्रकार, ‘सुपरबग’ को उभरने व फैलने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का तर्कसंगत ढंग से इस्तेमाल किया जाना जरूरी है।
यूएन एजेंसी की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने बताया कि वैश्विक महामारी के दौरान, स्वास्थ्य संगठन की ओर से किसी भी समय कोविड-19 उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवा का इस्तेमाल किए जाने की सिफारिश नहीं की गई। उन्होंने कहा, “शुरुआत से ही सलाह बहुत स्पष्ट थी कि यह एक वायरस है। इसलिए ऐसा नहीं था कि किसी तरह के दिशानिर्देश या कोई सिफारिश थी कि स्वास्थ्यकर्मियों को इस दिशा में जाना चाहिए। मगर, संभवत: लोग पूरी तरह से एक नई चीज का सामना कर रहे थे, और वे किसी भी ऐसे उपाय को खोज रहे थे जो उनके विचार में उपयुक्त हो सकता था।”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 संक्रमितों के उपचार में 33 फीसदी को एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं। वहीं पूर्वी भूमध्यसागर व अफ्रीकी क्षेत्र में यह आंकड़ा 83 प्रतिशत था। 2020 और 2022 के दौरान, योरोप और अमेरिका क्षेत्र में दवा के नुस्खे में कमी दर्ज की गई, लेकिन अफ्रीका में उछाल दर्ज किया गया।
संगठन द्वारा जुटाए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि अधिकांश एंटीबायोटिक दवाएं, गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 मरीजों को दी गईं, और इसके लिए वैश्विक औसत 81 प्रतिशत है। मामूली रूप से या उससे थोड़ा अधिक संक्रमितों के उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल भिन्न-भिन्न देखा गया है। यह अफ्रीका क्षेत्र में सबसे अधिक 79 प्रतिशत रहा। यूएन एजेंसी का कहना है कि बैक्टीरिया संक्रमण को दूर करने क लिए जिस दवा को सबसे अधिक दिया जाता है, वे वही दवाएं हैं, जिनमें रोगाणुरोधी प्रतिरोध (antimicrobial resistance /AMR) में वृद्धि की संभावना सबसे अधिक है।
सकारात्मक असर नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से कोविड-19 संक्रमितों की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं देखा गया। इसके बजाय, उन्हें ऐसी दवाएं दिए जाने का उन लोगों को नुकसान पहुंच सकता था, जिन्हें बैक्टीरिया संक्रमण नहीं था, मगर उन्हें फिर भी दवा दी गई। यूएन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा है कि मौजूदा निष्कर्ष बताते हैं कि एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को तर्कसंगत को अपनाया जाना होगा, ताकि मरीजों और आबादियों पर उसका नकारात्मक असर न हो।
ये निष्कर्ष, कोविड-19 के लिए WHO वैश्विक प्लेटफॉर्म से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है। यह एक ऐसा डेटाबेस है, जिसमें कोविड-19 के कारण अस्पतालों में भर्ती मरीजों से जुड़ा डेटा बिना पहचान सार्वजनिक किए संकलित किया जाता है। इस डेटा को जनवरी 2020 से लेकर मार्च 2023 तक 65 देशों में साढ़े चार लाख मरीज़ों से हासिल किया गया।