कहीं पैकेज तो कहीं दवाओं के खर्च पर इलाज का दिया जाता है मरीज को लालच, डिस्चार्ज के समय दिखाते हैं अपना असली रूप, आये दिन ज्यादा पैसे मांगने को लेकर हॉस्पिटलों में होती है मारपीट और हंगामा, आखिर विभागीय अधिकारी मौन क्यों ………….
कानपुर – सफेद कोट की आड़ में गरीब जनता की जेब काटने के लिए कानपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम बाकायदा प्रक्षिक्षण प्राप्त कर चुके हैं आपको बस इनकी सेवा लेनी होगी.यकीन मानिए कब आपका घर बिक गया या खेत नीलाम हो गया इस बात का आपको पता भी नही चलेगा..इनके द्वारा बिछाई गई विसात को मात देने की क्षमता यहां के विभागीय अधिकारियों में भी नही है ।इनके प्रक्षिक्षित दलाल आपको सरकारी अस्पताल तक नही पहुंचने देंगे भले ही उनके द्वारा आपको कोई भी लालच ही क्यों न देना पड़े…लेकिन एक बार आप मरीज को एडमिट करवा दीजिये फिर देखिए इन धरती के भगवानों का असली और रौद्र रूप ये आपसे मनमाना पैसा तो वसूल ही लेंगे और न देने पर मारपीट भी करने पर आमादा हो जायेगे…और यकीन मानिए इस मामले में आपकी न कोई अधिकारी मदद को आगे आएगा और न ही पुलिस । क्योंकि हमाम में सभी नंगे है । और तो और सूत्रों की माने तो इन सभी को मेज के नीचे वाली व्यवस्था की जाती है जिससे इन *मौत के कारखानों* पर कोई अंकुश नही लग पा रहा । और ये *धरती के भगवान* मनमाने तरीके से जनता की जेब काटने पर उतारू है …..
आये दिन शहर के हॉस्पिटलों पर तय रकम से ज्यादा पैसे मांगने के आरोप लगते हैं । बीते शनिवार को कैंसर पीड़ित से ज्यादा पैसे मांगने को लेकर कल्याणपुर के ‘एम एस हॉस्पिटल’ में हंगामा फिर रविवार को पैसे बढ़ाने के लिए मौत के बाद भी हॉस्पिटल में रखने का आरोप लगाते हुए परिजनों ने ‘नार्थ स्टार हॉस्पिटल’ में बवाल और हंगामा किया था वही आज फिर परिजनों ने तय रकम से ज्यादा पैसे मांगने को लेकर कल्याणपुर के *लाइफ़ट्रान हॉस्पिटल* में हंगामा कर दिया।
बीते रविवार को कल्याणपुर के रावतपुर गांव निवासी शीशे के कारीगर मो.हाशिम के हाथ मे शीशा लग गया था जिसपर परिजन उन्हें कल्याणपुर के आवास विकास स्थित लाइफ़ट्रान हॉस्पिटल लेकर आये थे जहां उन्हें ’40 हजार का पैकेज’ दिया था जिसमे सभी खर्च शामिल बताये गए थे और यह भी कहा गया था कि इसके अतिरिक्त कोई अन्य शुल्क नही लगेगा। आज जब 40 हजार के अतिरिक्त बिल बनाया गया तो मरीज के भाई रफीक ने विरोध किया।रफीक के मुताबिक रावत पुर चौकी पुलिस ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए 50 हजार में समझौता करवा दिया था लेकिन हॉस्पिटल प्रबंधन ( ‘डॉ निधि भटनागर’ और उनके कर्मचारी ) उनके जाने के बाद फिर पैसे की मांग करते हुए परिजनों पर 68 हजार पूरे देने का दबाव बनाने लगी और हंगामे की सूचना पुनः 100 नम्बर पर दे दी.लेकिन परिजन मात्र 24 घण्टे के 68 हजार देने पर राजी नही हुए .जिसपर मौके पर पहुची पुलिस परिजनों से ही पूरे पैसे देने को कहने लगी….वहीं इस मामले में कई बार ‘सीएमओ अशोक शुक्ला’ से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनकी तरह शायद उनका फोन भी किसी कार्य मे व्यस्त था जिससे सम्पर्क नही हो सका ।