संपादक – रवि जी. निगम
‘मानवाघिकार अभिव्यक्ति’ का एक और विश्लेषण सच साबित – पूरा विश्लेषण पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक करें . . . https://wp.me/p9f0WU-3VJ
मुम्बई (महाराष्ट्र) – आखिरकार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने पिता से किये गये वादे को पूर्ण करने जा रहे हैं कि वो एक दिन शिवसेना का मुख्यमंत्री बनायेंगे। सायद वो वादा यही रहा होगा कि एक दिन ठाकरे परिवार का मुख्ययमंत्री जरूर बनाायेंगे क्योंकि वैसे तो देखा जाय तो बाला साहेब ठाकरे ने अपने जीते जी ही शिवसेना की ओर से मनोहर जोशी और नारायण राणे को मुख्यमंत्री के पद पर आसीन करा चुके थे।
लेेकिन ठाकरे परिवार ने सत्ता से दूरी बनाये रखी और किंगमेकर की भूमिका ही निभाई और सत्ता का रिमोर्ट बाला साहेब ने अपने हाथ में ही रखा, उसी को उद्धव ठाकरे भी निभा रहे थे, लेकिन तीसरी पीढ़ी नहीं चाह रही थी कि अब भी ठाकरे परिवार वही भूमिका निभाता रहे या निरन्तर बनाये रखे।
क्योंकि उन्हे ये अहसाश होने लगा था कि अब पार्टी के अन्दर सब कुछ ठीक नहीं है क्योंकि जो धमक बाला साहेब की थी या राज ठाकरे जैसी हनक पार्टी में जो ठाकरे परिवार की थी वो सायद नहीं रही।
क्योंकि उद्धव जैसे सौम्य सभ्य व सरल स्वभाव वाले व्यक्ति द्वारा सायद वो घमक या हनक अब बरकरार रह पायेगी जो संभव नही क्योंकि पार्टी के अन्दर कुछ एक ऐसे व्यक्ति भी सक्रीय हो गये हैं जो कभी भी पार्टी को तगड़ा नुक्सान पहुँचाने में कोर कसर बाकी नहीं रखेगें इससे अच्छा होगा कमान अपने हाथों में ले ली जाये ।
यहीं कारण रहा होगा कि उद्धव ठाकरे परिवार ने सायद विधानसभा चुनाव के वक्त संयमवर्ता और आदित्य को वर्ली विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारना बेहतर समझा और बीजेपी के लिये भी मुसीबत खड़ी कर दी।
पढ़ें पूर्व विश्लेषण जो सच सावित हुआ –
एनसीपी – काँग्रेस गठबन्घन की सरकार बननी तय है वहीं ये भी तय है कि मुख्यमंत्री भी शिवसेना का ही होगा …
कारण क्या है ?
यदि इसको पूरे घटना चक्र के साथ देखा जाय तो ये साफ स्पष्ट हो जाता है कि ये संभावना प्रबल है कि सरकार एनसीपी – काँग्रेस की ही बनेगी लेकिन इस सच्चाई को भी नकारा नहीं जा सकता है कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा।
आप पूछेंगे वो कैसे ?
अब एनसीपी – कॉंग्रेस के पाले में गेम है अब एनसीपी – कॉंग्रेस शिवसेना के साथ ये डील कर सकते हैं, प्रथम – कि वो उद्वव ठाकरे को मुख्यमंत्री तो बना सकते हैं लेकिन सरकार एनसीपी – कॉंग्रेस की ही होगी जिससे आपका मान भी बना रहेगा और हमारी विचारधारा की प्रतिष्ठा भी बरकार रहेगी, इससे आपका हक आपको मिल जायेगा और जनता के बीच हमारा दिया गया बयान भी बरकरार रहेगा कि मुख्यमंत्री शिवसेना का होना चाहिये इससे ये वचन भी सार्थक होगा कि राज्य को वैकल्पिक सरकार देने के लिये एनसीपी – कॉंग्रेस विचार करेगी। साथ ही एनसीपी का डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष व गृहमंत्री काँग्रेस का और बाकी के मंत्री पद तीनों के हिस्से में बराबर बांटे जायें इस तरह की भी डील हो सकती है।
दूसरा विकल्प या डील ये हो सकती है कि जो मांग शिवसेना बीजेपी करती आ रही है उसी प्रारूप में सरकार का गठन एनसीपी – काँग्रेस व शिवसेना सरकार हो , ढाई साल एनसीपी का मुख्यमंत्री ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री और दोनों ही टर्म में कांग्रेस का विधानसभा अध्यक्ष और गृहमंत्री और बाकी के मंत्री पद तीनों के हिस्से में बराबर बांटे जायें इस तरह की भी डील हो सकती है। या ढाई साल काँग्रेस का मुख्यमंत्री ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री और दोनों ही टर्म में एनसीपी का विधानसभा अध्यक्ष और गृहमंत्री और बाकी के मंत्री पद तीनों के हिस्से में बराबर बांटे जायें।
लेकिन इस प्रकार के गठन के लिये वक्त भी लग सकता है क्योंकि इसके अलावा कॉमन-मिनिमम प्रोग्राम भी तैयार करने में वक्त लग सकता है।
यदि ये संभावनाये सच साबित होती है तो राजनीति में एक और वर्चश्व (चाणक्य) का फैसला होगा निर्धारित । ज्ञात हो कि इसके सूत्रधार या रणनीतिकार यदि कोई है तो ये कहना गलत नहीं होगा कि वो एनसीपी प्रमुख शरद पवार को ही इंगित करता है।
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