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Saturday, July 27, 2024

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अंतरिम सरकार ने ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन निर्माण को दी मंजूरी, नई सरकार के गठन से पहले लिया फैसला

पाकिस्तान की अंतरिम सरकार ने पड़ोसी देश ईरान के साथ गैस पाइपलाइन के निर्माण कार्य को मंजूरी दे दी है। नकदी की संकट से जूझ रहे देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतो को पूरा करने में मदद मिलेगी। कैबिनेट कमेटी ऑन एनर्जी द्वारा फरवरी के बाद नई सरकार के गठन से पहले ही मंजूरी दे दी गई है। 

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि पाकिस्तान की अंतरिम सरकार ने ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। समिति ने पेट्रोलियम डिवीजन की एक सिफारिश पर काम करते हुए पहले चरण में पाकिस्तान-ईरान सीमा से शुरू होकर बलूचिस्तान प्रांत के बंदरगाह शहर ग्वादर तक परियोजना की शुरुआत का समर्थन किया है। बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान के लोगों को गैस आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक मंजूरी दी, जिससे देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके।

जुर्माने के डर से पाकिस्तान ने उठाया कदम
पाकिस्तान की इंटरस्टेट गैस सिस्टम्स (प्राइवेट) लिमिटेड इस परियोजना को लागू  करने के लिए तैयार है, जिसे गैस इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (जीआईडीसी) के जरिए वित्त पोषित किया जाएगा। बयान में पाकिस्तान की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और बेहतर गैस आपूर्ति के माध्यम से स्थानीय उद्योग में विश्वास पैदा करने के लिए परियोजना के महत्व पर जोर दिया गया। इस परियोजना से बलूचिस्तान प्रांत में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का अनुमान है, जिससे पाकिस्तान की समग्र आर्थिक प्रगति में योगदान मिलेगा। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि परियोजना को समय पर पूरा करने में विफल रहने पर 18 अरब अमेरिकी डॉलर के संभावित जुर्माने के डर से पाकिस्तान को कई वर्षों की देरी के बाद काम शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

अमेरिका के प्रतिबंधों के चलते ठंडे बस्ते में थी परियोजना
अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुकदमेबाजी से बचने के उद्देश्य से ईरान ने सितंबर 2024 तक 180 दिन का विस्तार दिया है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि पाइपलाइन परियोजना से संबंधित अपने अधिकारों की रक्षा के लिए ईरान द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाती है तो पाकिस्तान और ईरान के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। इस परियोजना की शुरुआत में भारत-पाकिस्तान-ईरान गैस पाइपलाइन के रूप में कल्पना की गई थी, लेकिन बाद में भारत ने इसे छोड़ दिया और पाकिस्तान और ईरान के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना बन गई। अमेरिका द्वारा ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अब तक पाकिस्तान पाइपलाइन का निर्माण नहीं कर पा रहा था।

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