लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के आठ महीने बाद विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है। आपसी मतभेदों और रणनीतिक असहमति के चलते चुनावी नतीजे उम्मीद से कम रहे, जिससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गई है।
दिल्ली चुनाव के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन को बड़ा झटका
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की हार के बाद विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा शासित राज्यों की संख्या घटकर आठ रह गई है, जिनमें शामिल हैं:
✔ कर्नाटक
✔ जम्मू-कश्मीर
✔ तेलंगाना
✔ केरल
✔ तमिलनाडु
✔ हिमाचल प्रदेश
✔ झारखंड
✔ पश्चिम बंगाल
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को हराने के लिए विभिन्न विपक्षी पार्टियां ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत एकजुट हुई थीं, लेकिन राज्यों में यह पार्टियां अक्सर एक-दूसरे के खिलाफ ही खड़ी रहीं। भाजपा को सत्ता में आने से रोकने में भले ही इन्हें कामयाबी न मिली हो, लेकिन गठबंधन ने भाजपा को अकेले बहुमत पाने से जरूर रोक दिया।
दिल्ली में कांग्रेस और ‘आप’ के बीच बढ़ी तल्खी
गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने दिल्ली चुनावों में आम आदमी पार्टी के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया, जिससे दोनों दलों के बीच संबंध और खराब हो गए।
✔ कांग्रेस के बड़े नेता – मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने आप और अरविंद केजरीवाल की तीखी आलोचना की।
✔ समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया, क्योंकि उन्हें लगा कि आप ही भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है।
वहीं, कांग्रेस के इस रुख से ‘इंडिया’ गठबंधन में फूट और गहरा गई, जिससे भाजपा को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हुआ।
बिहार चुनाव में एकजुटता, लेकिन बंगाल और यूपी में बढ़ेगी चुनौती
✔ बिहार चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन एकजुट नजर आ सकता है, लेकिन पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों में यह गठबंधन बड़ी चुनौती झेलेगा।
✔ पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और कांग्रेस के बीच तनाव है, वहीं उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के समीकरण भी अस्थिर नजर आ रहे हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी पार्टियां भाजपा को चुनौती देने के लिए आपसी मतभेदों को कैसे सुलझाती हैं।
गठबंधन में आपसी मतभेदों पर उमर अब्दुल्ला की नाराजगी
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली चुनाव पर नाराजगी जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा –
“और लड़ो आपस में!”
✔ माकपा (CPI-M) और IUML ने कांग्रेस को दोषी ठहराया कि अगर गठबंधन की सभी पार्टियां एकजुट होतीं, तो भाजपा को दिल्ली में जीतने से रोका जा सकता था।
कांग्रेस का तर्क: यह मोदी की जीत नहीं, बल्कि केजरीवाल की हार
दिल्ली चुनाव के नतीजों पर कांग्रेस का मानना है कि –
✔ यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की जीत नहीं, बल्कि अरविंद केजरीवाल और आप के खिलाफ जनादेश था।
✔ कांग्रेस ने तर्क दिया कि 2015 और 2020 में भी मोदी की लोकप्रियता के बावजूद आप ने बड़ी जीत दर्ज की थी।
✔ इसलिए, इस बार की हार मोदी की नीतियों की वजह से नहीं, बल्कि केजरीवाल की राजनीति के खिलाफ जनता की नाराजगी के कारण हुई।
कांग्रेस का तर्क: यह मोदी की जीत नहीं, बल्कि केजरीवाल की हार
दिल्ली चुनाव के नतीजों पर कांग्रेस का मानना है कि –
✔ यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की जीत नहीं, बल्कि अरविंद केजरीवाल और आप के खिलाफ जनादेश था।
✔ कांग्रेस ने तर्क दिया कि 2015 और 2020 में भी मोदी की लोकप्रियता के बावजूद आप ने बड़ी जीत दर्ज की थी।
✔ इसलिए, इस बार की हार मोदी की नीतियों की वजह से नहीं, बल्कि केजरीवाल की राजनीति के खिलाफ जनता की नाराजगी के कारण हुई।