लंदन की एक अदालत ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को राहत दी है। अदालत ने असांजे को अमेरिका में उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की अनुमति दे दी है। असांजे ऑस्ट्रेलियाई मूल के नागरिक हैं, जो 2019 से लंदन की बेलमार्श उच्च-सुरक्षा वाली जेल में बंद है। असांजे को इक्वाडोर के दूतावास से हिरासत में लिया गया था क्योंकि यहां उसने शरण मांगी थी।
रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों ने सोमवार को असांजे को उनके प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी। अदालत असांजे की कानूनी टीम की दलीलों से सहमत हुई कि अमेरिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है और वहां मृत्युदंड थोपा नहीं जा सकता। बता दें, अमेरिकी अधिकारी चाहते हैं कि असांजे को मुकदमे का सामना करना पड़े तो वहीं असांजे के वकीलों का कहना है कि मामला राजनीति से प्रेरित है।
असांजे की पत्नी ने की रिहाई की मांग
असांजे के समर्थक और उनकी पत्नी उच्च न्यायालय में एकत्रित हुए और उन्होंने कहा कि असांजे ने हमेशा गलत काम करने से मना किया है। उन्होंने चिकित्सा आधार पर रिहाई की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर अदालत ने अमेरिका के पक्ष में फैसला सुनाया होता, तो असांजे के पास ब्रिटेन में सभी कानूनी रास्ते खत्म हो गए होते। इससे पहले भी उनकी पत्नी ने कहा था कि जेल में असांजे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है और अगर उनके पति को अमेरिका भेजा गया तो वे मर जाएंगे।
52 साल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांजे को अमेरिकी सरकार ने 2010 में इराक और अफगानिस्तान में लड़ाईयों से जुड़े वर्गीकृत दस्तावेजों को लीक करने में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया है। दोषी पाए जाने पर उसे उम्र कैद की जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
लंदन के हाईकोर्ट ने मार्च में सुनवाई के दौरान असांजे के ‘तत्काल’ प्रत्यर्पण पर रोक लगाई दी थी। साथ ही कोर्ट ने अमेरिका से अपने अधिकारों का आश्वासन दाखिल करने को कहा था। दो न्यायाधीशों के एक पैनल ने अपने फैसले में कहा था कि असांजे को तुरंत प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा, जिससे अमेरिका को यह आश्वासन देने के लिए तीन सप्ताह का समय मिल जाएगा कि उन्हें अमेरिकी नागरिकों के समान कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे। फैसले में कहा गया कि अगर वे आश्वासन नहीं दिए गए, तो अपील की इजाजत दी जाएगी और फिर अपील पर सुनवाई होगी।