विदेश मंत्री जयशंकर ने युगांडा दौरे पर ‘भारत विश्वमित्र’ की बात दोहराई है। उन्होंने भारत की नीति का जिक्र करते हुए कहा कि जरूरतमंद देशों की मदद के लिए देश हमेशा तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान दिखाया कि परिवर्तन संभव है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यवस्था को बदलने के लिए व्यावहारिक कदमों की आवश्यकता है। बता दें कि पीएम मोदी ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का जिक्र करते हुए कहा था कि बदले समय के साथ भारत की भूमिका ‘विश्वमित्र’ जैसी है।
कंपाला में NAM सम्मेलन में वक्तव्य से पहले विदेश मंत्री ने फलस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल मलिकी से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा, फलस्तीनी समकक्ष के साथ बातचीत के दौरान गाजा में चल रहे संघर्ष पर विस्तृत और व्यापक चर्चा हुई। इसके मानवीय और राजनीतिक आयामों पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि इस्राइल और फलस्तीन मुद्दे का समाधान करने के लिए भारत दो राष्ट्र समाधान (two-state solution) का समर्थन करता रहेगा। उन्होंने भारत के समर्थन का भरोसा दिलाते हुए संपर्क में बने रहने पर सहमति भी व्यक्त की।
कंपाला में आयोजित NAM शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, 2019 में बाकू में NAM की आखिरी बैठक हुई थी। इसके बाद से दुनिया में गहरा बदलाव आया है। पूरी दुनि.या को कोरोना (COVID-19) महामारी ने तबाह कर दिया है। इसके निशान को मिटाने में पीढ़ियां लग जाएंगी। इस्राइल और हमास का जिक्र किए बिना विदेश मंत्री ने कहा कि गाजा में बीते लगभग साढ़े तीन महीने से जारी टकराव का असर पूरी दुनिया में महसूस किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विपरीत हालात में भी भारत मदद करने को हमेशा तत्पर रहने की नीति पर चल रहा है।
इस्राइल हमास संघर्ष और यूक्रेन रूस संघर्ष का परोक्ष जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, दुनिया में कई ऐसे संघर्ष चल रहे हैं जिनके प्रभाव दूर-दूर तक महसूस किए जा रहे हैं। गाजा हमारी विशेष चिंता का केंद्र है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन तेजी से दुनियाभर के देशों को अपनी चपेट में ले रहा है। ऋण, मुद्रास्फीति और विकास जैसी तीन प्रमुख चुनौतियां भी विकास पर भारी पड़ रही हैं। गंभीर चिंताओं के मूल में दुनिया की वह प्रकृति है जिससे अधिकांश देश जूझ रहे हैं।
करीब साढ़े सात दशक से पहले आजादी से पहले के दौर का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने दो टूक अंदाज में कहा, भले ही हमने उपनिवेशवाद का चोगा उतार फेंका हो, लेकिन हम असमानता और वर्चस्व के नए स्वरूपों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। वैश्वीकरण के युग में आर्थिक ताकतें सिकुड़ती (economic concentrations) दिख रही हैं। ये ताकतें बाकी दुनिया के साथ बस बाजार या संसाधनों के रूप में बातचीत करती हैं। बकौल डॉ जयशंकर, हमारी छोटी से छोटी जरूरतें अक्सर सबसे दूर देशों में होने वाली घटनाओं और वहां रहने वाले लोगों से प्रेरित / प्रभावित होती हैं।
विरासतों का परस्पर सम्मान जरूरी
विदेश मंत्री ने कहा, राजनीतिक रूप से सही होने और सार्वभौमिक होने की चुनौती हमारे सामने भी है। हमारी संस्कृति और हमारी परंपराओं को उचित स्थान नहीं दिया जाता। गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) में शामिल 100 से अधिक देशों के समूह के रूप में, हमें इन चुनौतियों का एकजुट होकर जवाब देना चाहिए। बहुध्रुवीय दुनिया का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने कहा कि ऐसी दुनिया को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में सुधार किया जाना महत्वपूर्ण है। अधिक क्षेत्रीय उत्पादन के साथ आर्थिक विकेंद्रीकरण भी ऐसे ही चुनिंदा सुधार हैं।
जी20 की अध्यक्षता कर भारत ने दिखाया, बदलाव करना संभव है
कंपाला में भारत की संस्कृति और देश की विदेश नीति का जिक्र करते हुए डॉ जयशंकर ने कहा, हमें सांस्कृतिक पहलुओं का ध्यान रखते हुए नए सिरे से संतुलन बनाने पर जोर देना चाहिए। ऐसा होने पर सभी विरासतों का परस्पर सम्मान किया जा सकता है। जी-20 देशों में अफ्रीकी संघ को शामिल करने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि जी20 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी यूनियन को जी20 सदस्यता दिलाने का नेतृत्व करके, भारत ने दिखाया कि बदलाव करना संभव है।