हत्या के दोषी को माफी देने का पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के फैसले को श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है। 1978 में राष्ट्रपति शासन व्यवस्था लागू होने के बाद शीर्ष अदालत का फैसला इस तरह का पहला मामला था। गौरतलब है कि वर्ष 2021 के दौरान गोटबाया राजपक्षे ने हत्या मामले अपने करीबी राजनीतिक सहयोगी डुमिंडा सिल्वा की सजा माफ कर दी थी। 2011 में दोषी डुमिंडा सिल्वा को राजनीतिक प्रतिद्वंदी प्रेचंद्र की हत्या मामले में मौत की सजा सुनाई थी।
सिल्वा ने अपने प्रतिद्वंदी की गोली मारकर की थी हत्या
महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहने के दौरान दोषी डुमिंडा सिल्वा और प्रेमचंद्र कोलंबो के उपनगर कोलोनावा में चुनावी जंग लड़ रहे थे। इस दौरान सिल्वा ने प्रेमचंद्र की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिन्हें कोर्ट ने दोषी पाया था। 2019 के बाद महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद गोयबाया श्रीलंका के राष्ट्रपति बने थे। अपने कार्यकाल के दौरान गोटबाया ने दोषी की मौत की सजा को माफ कर दिया था।
गोटबाया सजा माफी के कारणों को नहीं बता सकें-कोर्ट
सजा माफी के खिलाफ मृतक प्रेमचंद्र के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। बुधवार को तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गोटबाया राजपक्षे ने सजा माफ करने के पीछे के कारणों को नहीं बताया। वे प्रक्रिया के तहत कार्य करने में विफल रहे। गौरतलब है कि श्रीलंका के संविधान के मुताबिक, अनुच्छेद 34 के तहत श्रीलंका के राष्ट्रपति को एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत सजा माफ करने का अधिकार है।
बता दें दोषी डुमिंडा सिल्वा को हाईकोर्ट ने मामले का दोषी पाया था, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही ठहराया था। गौतलब है कि सिल्वा की सजा माफी के बाद गोटबाया राजपक्षे ने राज्य आवास प्राधिकरण का उसे प्रमुख नियुक्त किया था। हालांकि आर्थिक अस्थिरता के बीच जुलाई 2022 में गोटबाया राजपक्षे को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी।