पाकिस्तान के सिंध प्रांत में नदी किनारे रहने वाले डाकुओं ने इस महीने की शुरुआत में पांच लोगों को अगवा कर लिया था। इन पांच में तीन हिंदू पुरुष भी शामिल थे। अब सभी हिदू वापस घर लौट आए हैं। एक रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई है।
देश के एक प्रमुख समाचार पत्र की खबर के मुताबिक, मुखी जगदीश कुमार, सागर कुमार, जयदीप कुमार, मुनीर नैज और मुश्ताक अली मुमदानी का इस साल सितंबर में डाकुओं ने काशमोर जिले से अपहरण कर लिया था।
घटना से चिंतित स्थानीय लोगों ने इस महीने की शुरुआत में प्रदर्शन किया था ताकि लोगों की बरामदगी की ओर अधिकारियों का ध्यान खींचा किया जा सके। चार सितंबर को अपहरणकर्ताओं के साथ पुलिस मुठभेड़ के दौरान मुखी जगदीश कुमार और जयदीप कुमार को बरामद किया गया था। एक दिन बाद मुनीर नैज को भी बरामद कर लिया गया।
परिजनों के मुताबिक, चौथा बंधक सागर कुमार भी एक महीने से अधिक समय तक बंधक बनाए जाने के बाद मंगलवार रात को काशमोर स्थित अपने घर पहुंचा। सागर के भाई सुनील ने कहा कि उसका भाई घर पहुंच गया है और पुष्टि की कि उसका अपहरण नौ अगस्त को किया गया था। सुनील ने कहा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कहमोर रोहल खोसो कल देर रात उसे हमारे घर लेकर आए।
सुनील ने कहा कि सागर की तबीयत ठीक नहीं थी और वह मलेरिया से पीड़ित लग रहा था। उन्होंने कहा, ‘मैं उसे जांच के लिए क्लिनिक ले गया। वह अभी नहीं बोल सकता।’ हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि पांचवें बंधक मुश्ताक अली मुमदानी को बरामद किया गया है या नहीं।
उनके अपहरण के साथ-साथ सिंध में लूटपाट की बढ़ती घटनाओं को लेकर तीन सितंबर को प्रांत के कई अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए और पीड़ितों के रिश्तेदारों ने उनकी जल्द और सुरक्षित बरामदगी की मांग की। सिंध में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की अल्पसंख्यक शाखा के अध्यक्ष डॉ. लाल चंद उकरानी ने कहा, हम (हिंदू) आसान निशाना हैं। मुसलमानों का भी अपहरण किया जाता है लेकिन हिंदू फिरौती के लिए आसान निशाना हैं।
उन्होंने कहा कि उन्होंने सिंध के पूर्व मुख्यमंत्री मुराद अली शाह के समक्ष यह मामला उठाया था और अपने कार्यकाल के अंत से पहले इस मुद्दे पर उनसे बातचीत की थी, क्योंकि ऊपरी सिंध में कानून और व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है, खासकर काशमोर में।
पिछले हफ्ते सिंध के कार्यवाहक मुख्यमंत्री सेवानिवृत्त न्यायाधीश मकबूल बकर ने अधिकारियों को प्रांत के कच्चा (नदी) इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने का आदेश दिया था, क्योंकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने लोगों को बंधक बनाने वाले डाकुओं के खिलाफ अभियान तेज कर दिया था।